जीएसटी काउंसिल ने व्यापारियों को दी बड़ी राहत, छह कंडीशन पर सर्कुलर जारी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने व्यापारियों को परेशान नहीं करने का काउंसिलि को दिया था आदेश

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न्रुरुन्॥न्क्चन्ष्ठ: व्यापारियों द्वारा जारी किए जा रहे ई-वे बिल में वाहन संख्या, एचएसएन कोड, एड्रेस और इनवायस संख्या में गड़बड़ी होने पर व्यापारियों का माल रोक दिया जाता था। सचल दल द्वारा व्यापारी से भारी भरकम टैक्स और पेनाल्टी दोनों वसूला जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। छोटी-मोटी त्रुटियों पर सचल दल व्यापारियों का उत्पीड़न नहीं कर सकेगा। जीएसटी काउंसिल ने व्यापारियों को अब एक बड़ी राहत दी है।

राजस्व का है सर्कुलर

जीएसटी काउंसिल के आदेश पर वित्त मंत्रालय के राजस्व अनुभाग ने जीएसटी की धारा 129-3 के अंतर्गत ई-वे बिल के तहत सचल दल द्वारा व्यापारियों का जो उत्पीड़न किया जा रहा था, उस पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया है। जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि ई-वे बिल जारी करते समय मानवीय भूल के कारण हुई त्रुटि पर भारी-भरकम टैक्स और पेनाल्टी लगाना पूरी तरह से गलत है। जिसके लिए छह कंडीशन निर्धारित किए गए हैं। इन कंडीशन में अगर ई-वे बिल में कोई त्रुटि होती है तो व्यापारी पर कोई कार्रवाई न की जाए, बल्कि जानकारी देते हुए भूल सुधार कराया जाए।

जारी किए गए छह कंडीशन

1. ई-वे बिल जारी करते समय यदि क्रेता और विक्रेता के नाम में कोई गल्ती हो जाती है, फर्म का नाम गलत हो जाता है तो सचल दल द्वारा व्यापारी का माल नहीं रोका जाएगा। सचल दल द्वारा उस पर टैक्स और पेनाल्टी नहीं लगाया जा सकेगा।

2. पिनकोड भरने में यदि कोई नंबर गलत हो जाता है तो माल नहीं रोका जाएगा।

3. ई-वे बिल में इनवायस संख्या लिखने में कोई गल्ती हो जाती है तो भी अब सचल दल की टीम व्यापारी का माल रोक कर उस पर टैक्स-पेनाल्टी नहीं लगा सकेगी।

4. ई-वे बिल में एचएसएन कोड भरते समय यदि कोई डिजिट की गल्ती हो जाती है तो, उस गल्ती के आधार पर व्यापारी पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।

5. ई-वे बिल भरते समय यदि वाहन संख्या में गड़बड़ी हो जाती है तो भी माल को नहीं रोका जाएगा।

6. क्रेता व्यापारी के पति में यदि कोई गल्ती हो गई हो तो, कोई कार्रवाई नहीं होगी।

हाई कोर्ट इलाहाबाद का आदेश

अभी तक ई-वे बिल में त्रुटि होने पर व्यापारियों पर सीधे तौर पर कार्रवाई होती थी। सचल दल द्वारा माल रोके जाने पर व्यापारी का उत्पीड़न होता था। अधिकारी डायरेक्ट कहता था कि टैक्स और पेनाल्टी दोनों लिया जाएगा। ई-वे बिल के नाम पर हो रहे उत्पीड़न को लेकर उत्तर प्रदेश के कुछ व्यापारियों ने हाई कोर्ट इलाहाबाद में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था कि छोटी-मोटी त्रुटि होने पर व्यापारियों का उत्पीड़न न किया जाए। इस पर जीएसटी काउंसिल ने अब साफ निर्देश दिया है कि व्यापारी का उत्पीड़न न किया जाए। कोई गड़बड़ी है तो उसे मौका दिया जाए सुधारने का। धारा 125 के तहत अधिकतम एक हजार रुपये तक टैक्स लगाना चाहिए। कर विवेचन की कार्रवाई स्पष्ट होनी चाहिए। 500 रुपया सीजीएसटी और 500 रुपया एसजीएसटी।

ई-वे बिल में छोटी-छोटी गलती पर व्यापारी पर भारी भरकम टैक्स और पेनाल्टी लगाया जाता था, जो पूरी तरह से गलत था। जीएसटी काउंसिल वाकई में बधाई का पात्र है, जिसने व्यापारियों की समस्या को समझा और सचल दल इकाईयों को स्पष्ट आदेश जारी किया। अब व्यापारी का उत्पीड़न नहीं होगा। वह आराम से व्यापार कर सकेगा।

संतोष पनामा

संयोजक, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति