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ALLAHABAD: सीबीआई जांच से घिरे उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीपीएससी) के लिए साख पर लगे दाग को मिटाना जरूरी था। ऐसे में आयोग ने रविवार को हुई पीसीएस प्री परीक्षा में इस मौके को जाने नहीं दिया। परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों ने भी माना कि आयोग ने पीसीएस का जो पेपर बनाया, वह आने वाले समय में एक उदाहरण की तरह पेश किया जाएगा। परीक्षा में शामिल प्रतियोगियों की मानें तो इससे पहले पीसीएस का इतना स्तरीय पेपर कभी हुआ ही नहीं था।

 

खल गया गोले भरने में लगा टाइम

पीसीएस परीक्षा में सवालों के बदले पैटर्न को इसकी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। खासकर, परीक्षा में कूट से सही उत्तर ढूंढने के फॉर्मूले ने परीक्षार्थियों को घनचक्कर बनाए रखा। इनमें कई सवाल ऐसे रहे जिनके चारों विकल्प में दिए गए ऑप्शन ही पहले की परीक्षाओं में जहां एक लाइन के सवाल हुआ करते थे। उन्हीं सवालों को उत्तरों के चारों विकल्प के रूप में परोस दिया गया था। इनमें से छानबीन करके सही उत्तर को चुनना बड़ी चुनौती थी। ऐसे सवालों की संख्या 30 से 40 के बीच रही। वहीं कौन सही और कौन गलत (सुमेलित) से जुड़े 35 से 40 सवालों ने भी खासा परेशान किया। यही कारण रहा कि परीक्षार्थियों के लिये जितना सवाल पढ़ना और जवाब देना चुनौती था। उतना ही उत्तरों का गोला भरने का काम भी था।

 

न तुक्का काम आया न ताकझांक

पीसीएस प्री के एग्जाम में सवालों का रिपीट होना भी कॉमन बात रही है। लेकिन अबकी बार रिपीटेड सवालों पर फोकस करने वालों को भी झटका लगा। प्रतियोगियों की मानें तो इस परीक्षा में उसे ही सफलता मिलेगी जिन्हें कंटेंट की डीप नॉलेज रही हो। परीक्षा में तुक्का और ताकझांक करके सवालों का जवाब देने वाले अंत तक निराश रहे। मजेदार बात तो यह रही कि परीक्षा के बाद झट से आंसर की पेश कर देने वाले कोचिंग संस्थान भी इस बार फ्लॉप साबित हुए। अभी भी तमाम सारे ऐसे प्रतियोगी हैं जो गूगल और दूसरी चीजों की मदद से सही आंसर की तलाश में हैं, लेकिन तलाश पूरी नहीं हो सकी है।


इसलिए खास रहा पीसीएस का पेपर

आईएएस प्री की तर्ज पर पूछे गये सवाल

पिछले दस सालों में पीसीएस के प्रत्येक एग्जाम में तकरीब 30 सवाल रिपीट होते थे, अबकी 10 के नीचे ही सवाल हो सके रिपीट

अबकी वन लाइनर सवाल कम ही पूछे गये, पहले ऐसे सवालों की संख्या 50 के ऊपर होती थी, इस बार यह संख्या सिमटकर 10 से 15 के बीच रह गई

आंकड़ों पर निर्धारित सवालों की संख्या भी रही कम।

कड़ी मेहनत और अच्छी तैयारी वाले प्रतियोगियों को 70 सवाल तक करनी पड़ी माथापच्ची।

90 सवाल के ऊपर प्रतियोगियों के लिये बहुत रिस्क रहा।

पहले 30 से 40 सवाल ही होते थे कठिन, अबकी तकरीबन 100 सवाल पूछे गये टफ।

एक-एक सवाल को कई बार पढ़ना पढ़ा फिर भी नहीं सूझा आंसर

 

इनकी नहीं गली दाल

वन डे एग्जाम देने वालों को पेपर देखते ही आया पसीना

एसएससी, बैंक और रेलवे जैसे एग्जाम से जुड़े अभ्यर्थियों के लिये सीसैट रहा टफ

ऐसे लोगों के लिये टाइम मैनेजमेंट और एक्यूरेसी के नहीं रहे कोई मायने

 

यहां से पूछे गये सवाल

सामान्य अध्ययन

भारतीय राजव्यवस्था- 25 से 30 सवाल

पर्यावरण- 20 से 25 सवाल

करंट अफेयर्स-15 से 20 सवाल

विज्ञान- 15 सवाल

इतिहास-20 सवाल

 

सीसैट

अंग्रेजी पैसेज- 30 से 35 सवाल

गद्यांश (परिच्छेद)- 05 सवाल

हिन्दी- 19 सवाल

मैथ- 15 से 20 सवाल

रीजनिंग- 15 से 20 सवाल

 

मार्केट से किताब लेकर पढ़ाई करने वालों के लिये यह परीक्षा एक सबक की तरह है। परीक्षा का पैटर्न अगर ऐसे ही रहा तो टेक्स्ट बुक और अच्छे लेखकों की किताबों को पढ़ना जरूरी हो जाएगा।

अनुराधा श्रीवास्तव

 

बोली कहां की है, भोजपुरी का क्षेत्र, गद्यांश ऐसे रहे जिसने हिन्दी बेल्ट के छात्रों को हिन्दी और मजबूती से पढ़ने का मेसैज दिया है। पर्यायवाची, विलोम, मुहावरा, सन्धि, समास सब समेट दिया गया

अवनीश दुबे

 

पेपर टफ हो तो मेरिट नीचे ही रहती है। इतना तो तय है कि इस परीक्षा में अच्छी तैयारी करने वालों को ही सफलता मिलेगी। परीक्षा तो ऐसी ही होनी चाहिये।

मनोज उपाध्याय