रोडवेज की बसें सड़कों पर उगल रहीं जहरीला काला धुआं

इंजन-टायर सब गड़बड़, फिर भी रोड पर उतारी दी जा रही बसें

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) आमजन की सुविधा के लिये बसों को फिट रखने के लिए जमकर पैसा दे रहा है, लेकिन इसके बावजूद बसों की सूरत नहीं बदल रही। इसकी बानगी बसों से निकलने वाले काले धुंए को देखकर समझी जा सकती है, क्योंकि इनसे होने वाले प्रदूषण की जांच कब की गई यह बताने वाला भी कोई नहीं है।

मुश्किल से होती है इंट्री

बसों का निर्धारित मानकों के रूप में संचालन हो इसके लिये इलाहाबाद में राजापुर और झूंसी में वर्कशाप बनाया गया है। राजापुर में लीडर रोड, प्रयाग और जीरो रोड वर्कशाप है। नियम है कि चालक की अनुशंसा पर रोडवेज के एआरएम को बसों की मेंटेनेंस का मानक के अनुरूप अनुपालन करना चाहिये। हकीकत इससे परे है। विभाग के लोग बताते हैं कि वर्कशाप में बसों को मेंटेनेंस के लिये जल्दी इंट्री ही नहीं मिलती। इंट्री उस दशा में मिलती है, जब बसों की हालत बद से बदतर हो जाती है।

निर्धारित है मेंटेनेंस का किलोमीटर

इलाहाबाद रीजन के तहत आने वाली ऐसी बसें बड़ी संख्या में हैं, जिनके इंजन, टायर और अन्य पार्ट्स समेत पूरी की पूरी बस ही एक्सपायरी मोड में जा चुकी हैं। फिर भी इनका धड़ल्ले से संचालन हो रहा है। इसके चलते आये दिन बसें विभिन्न रूटों पर मार्ग दुर्घटना का कारण बन रही हैं। विभाग से जुड़े जानकार बताते हैं कि बसों में मंहगे स्टेयरिंग आयल की जगह मोबिल और डीजल से काम चलाया जा रहा है।

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लाख किलोमीटर से ज्यादा किसी भी बस का संचालन नहीं करने का नियम

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हजार किलोमीटर फिर 32 हजार किलोमीटर के क्रम में सर्विसिंग के नियम की होती है अनदेखी

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से साढ़े तीन लाख किलोमीटर पर टायर बदलने का नियम है

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हजार किलोमीटर तक घिस चुके टायरों की रबडि़ग का नियम

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लाख किलोमीटर से ऊपर तक दौड़ाए जाते हैं घिसे टायर

होता रहा है आन्दोलन

साधारण बसों का हाल ये है कि इनका एक भी पुर्जा अपनी सही अवस्था में नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि विभाग को मिलने वाला करोड़ों का बजट कहां खप रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इतनी सारी दिक्कतें होते हुये भी वर्कशाप से बसों को मनमाने तरीके से ओके सर्टिफिकेट देकर रोड पर दौड़ाया जा रहा है। बसों की हालत में सुधार के लिए रोडवेज के कर्मचारी संगठन आन्दोलन भी चलाते हैं। लेकिन संचालन का जिम्मा संभालने वालों के कान पर जूं नहीं रेंगती।

वर्कशाप में नहीं हो रही भर्ती

सिटी की सड़कों पर दौड़ रही मार्कोपोलो बसों का भी हाल बेहाल है। जेएनएनयूआरएम के तहत पहली बार जब इन बसों को सड़क पर उतारा गया था, तब इनका हाईटेक स्वरूप देखते ही बनता था। लेकिन समय बीतने के साथ ये साधारण बसों की श्रेणी में आ गई हैं। इनके मेंटीनेंस का जिम्मा इलाहाबाद परिक्षेत्र के सबसे बड़े वर्कशाप झूंसी को है। वर्कशाप में सही तरीके से काम न होने का एक महत्वपूर्ण कारण टेक्निकल और नॉन टेक्निकल पदों पर कर्मचारियों की भारी कमी भी है। यहां 60 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं।

बसों के रखरखाव के लिये कई बार ज्ञापन दिया गया। कर्मचारियों के खाली पद भरने की मांग भी की गई, लेकिन ऑफिसर्स इसका संज्ञान ही नहीं लेते।

सत्यनारायण यादव, प्रदेश मंत्री, यूपी रोडवेज कर्मचारी संघ

हमारी ओर से बसों की बेहतर देखरेख के लिये पूरी कोशिश की जाती है। पहले से अब स्थिति काफी बेहतर हुई है। ऐसा कहना सही नहीं है कि सभी बसें एक ही स्थिति में हैं।

आरएल वर्मा, सर्विस मैनेजर, इलाहाबाद रीजन