- दून निवासी शिवेंद्र वालिया ने खंडित मूर्तियों के रख-रखाव के लिए की थी मांग

- पिछले साल मेयर व सीएम कार्यालय को खंडित मूर्तियों के लिए मांगी थी खाली जमीन

- 8 जनवरी को यूपी की जनसुनवाई वेबसाइट पर की थी शिकायत दर्ज, छह दिन में आ गया जवाब

- यूपी सीएम कार्यालय ने एसीएस, प्रमुख सचिव व गृह व गोपन सचिव को दिए निर्देश

>DEHRADUN: सड़कों, खाली स्थानों व पेड़ों के नीचे खंडित व लावारिश हालत में पड़ी मूर्तियों व प्रतिमाओं के लिए सुरक्षित स्थान मांगने की मांग पर उत्तराखंड सरकार और नगर निगम ने तो नहीं सुनी। लेकिन पड़ोसी राज्य की योगी सरकार ने न केवल शिकायत को महज छह दिनों में सुन ली, बल्कि अधिकारियों को भी निर्देश निर्गत कर दिए। खास बात यह है कि यूपी सरकार ने इस आग्रह को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय को भी सुपुर्द कर ि1दया।

पिछले साल विसर्जित की थी खंडित मूर्तियां

टर्नर रोड निवासी शिवेंद्र वालिया पिछले डेढ़ दो सालों से खास अभियान पर जुटे हुए हैं। उन्होंने अपनी मां से प्रेरणा लेकर सड़कों के किनारे, पेड़ों के नीचे और चौराहों पर पड़े देवी देवताओं की खंडित व बदहाल स्थिति में पड़े हुए मूर्तियों को उठाकर विधि विधान से उनको विसर्जित करने का नेक काम शुरू किया है। खुद अपने जेब से आने वाले खर्च का भार उठाकर शिवेंद्र ने पिछले साल दून शहर के तमाम इलाकों में पड़े हुए मूर्तियों व प्रतिमाओं को एकत्रित कर उन्हें विवि विधान से विसर्जित भी किया। नगर निगम के वर्कशाप में मौजूद एक खाली जमीन पर शिवेंद्र ने अपने सहयोगियों की मदद से पिछले साल 21 अगस्त को पूजा-अर्चना के साथ ऐसी मूर्तियों, प्रतिमाओं व भगवान की फोटोग्राफ को विसर्जित किया। जिसमें खुद मेयर विनोद चमोली को आमंत्रित किया गया था। वहीं शांतिकुंज के कुछ कार्यकर्ताओं के साथ नगर निगम व जल संस्थान के अधिकारी भी पहुंचे ।

यूपी के सीएम से भी की शिकायत

इस कार्य का जिम्मा उठाने के बाद शिवेंद्र वालिया ने इस प्रकार से सड़कों व पेड़ों के नीचे पड़ी हुई मूर्तियों को न छोड़ने का आह्वान किया। साथ में नगर निगम व सरकार से मांग की कि वे अपने कार्य को आगे भी जारी रखेंगे। लेकिन खंडित मूर्तियों या फिर प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए उन्हें एक खाली स्थान दिया जाए। जहां वे उनका विधि विधान से विर्सजन कर सकें। शिवेंद्र वालिया की मानें तो उन्होंने उत्तराखंड सीएम कार्यालय को भी स्पीड पोस्ट से जमीन देने में सहयोग की मांग की। जबकि पत्र के जरिए नगर निगम के मेयर को भी जानकारी दी। मेयर की तरफ से आश्वासन मिला। इस बीच इसी जनवरी महीने में शिवेंद्र वालिया ने उत्तर प्रदेश सरकार की वेबसाइट पर अपनी शिकायत दर्ज की। आठ जनवरी को शिकायत दर्ज हुई और 15 जनवरी को जवाब मिल गया। जिसका विवरण यूपी जन सुनवाई वेबसाइट पर मौजूद है।

यूपी सीएम कार्यालय से उत्तराखंड को अाख्या भेजी

यूपी मुख्यमंत्री कार्यालय के अनु सचिव काशी प्रसाद तिवारी ने शिकायत पर यूपी के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव गृह व गोपन को भी निर्देश दिए हैं कि खंडित मूर्तियों के रख-रखाव जैसी शिवेंद्र की पहल पर भी कदम उठाए जाएं। बकायदा इसकी आखिरी तारीख भी 14 फरवरी निर्धारित की गई। 14 फरवरी तक कार्रवाई से संतुष्ट न होने पर शिकायतकर्ता फिर से अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है। इसी प्रकार से यूपी के सीएम कार्यालय की तरफ से उत्तराखंड के सीएम कार्यालय को भी उत्तराखंड का मामला होने के नाते आख्या प्रेषित की गई है।

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लंबे समय से जुटे हुए हैं शिवेंद्र

ऑटो चालक शिवेंद्र वालिया पेशेवर ऑटो चालक हैं, लेकिन सड़कों के किनारे पूजा अर्चना के बाद खंडित मूर्तियां या फिर प्रतिमाओं की दुर्दशा को संवारने पर वह लंबे समय से जुटे हुए हैं। हाल में शिवेंद्र ने अपने दम पर दून में पेड़ों के नीचे, सड़कों-चौराहों के किनारे पड़े भगवान की प्रतिमाओं, फोटोग्राफ को यूं ही पड़ देख एकत्रित करने का निर्णय लिया। जिसके बाद शिवेंद्र ने खुद अपने ऑटो में दर्जनों की संख्या में प्रतिमाओं को एकत्रित कर उनका विधि विधान से विसर्जित करने का प्रण लिया। शांतिकुंज व मेयर विनोद चमोली के सहयोग से शिवेंद्र ने कार्यक्रम का आयोजन कर भगवान की प्रतिमाओं विसर्जन किया। जिसमें कई गणमान्यों ने भी प्रतिभाग किया।