-केंद्रीय मुख्य दिव्यांगजन आयुक्त बोले, उत्तराखंड में न अलग कमिश्नर और न डायरेक्टर

-जिलों में भी नहीं हैं दिव्यांजन अधिकारी, सरकारी अस्तपालों में नहीं मिल पाती सुविधा

-राज्य में हैं 1 लाख 85 हजार दिव्यांग

देहरादून, दिव्यांगजनों को सुविधा व आधार देने के मामले में उत्तराखंड खुद दिव्यांग है। राज्य में दिव्यांगजनों के लिए न अलग विभाग है, न राज्य कमिश्नर है और न डायरेक्टर। यही नहीं, जिलों में जिला दिव्यांगजन अधिकारी भी नहीं हैं। केंद्रीय मुख्य आयुक्त, दिव्यांगजन डॉ। कमलेश कुमार पांडे ने ये बातें कहीं।

बस, पेंशन देने में राज्य पास

डॉ। कमलेश कुमार पांडे आजकल उत्तराखंड दौरे पर हैं। जहां वे प्रदेश सरकार के आलाधिकारियों व एनजीओ से दिव्यांगनजों की समस्याओं को लेकर बैठकें और चर्चाएं कर रहे हैं। सोमवार को उन्होंने सीएस शत्रुघ्न सिंह से भी मुलाकात की। डॉ। कमलेश पांडे ने सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि उत्तराखंड दिव्यांगजनों को पेंशन देने में आगे है। राज्य में दिव्यांगों को एक हजार रुपये पेंशन दी जाती है।

99 हजार को सर्टिफिकेट

डॉ। पांडे ने कहा कि प्रदेश की यूनिवर्सिटीज में डिसएबिलिटी डिपार्टमेंट खोले जाने पर शासन के अधिकारियों से बात हुई है। जिस पर सहमति मिली है। आधार कार्ड भी पचास प्रतिशत ही बन पाए हैं। दृष्टिबाधितार्थो के लिए हल्द्वानी में ब्लड बैंक खुलने पर भी सरकार ने मंजूरी दी है। राज्य दिव्यांगजन आयुक्त मनोज चंद ने बताया कि प्रदेश में एक लाख 85 हजार दिव्यांगजनों की संख्या है। जिनमें से 99 हजार को सर्टिफिकेट दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि पीएचसी सेंटर में अब सर्टिफिकेट बन पाएंगे। सरकारी अस्पतालों में फ्री ओपीडी के सुविधा न मिलने पर राज्य आयुक्त ने कहा कि 1 से 18 साल तक दिव्यांगजनों को फ्री मेडिकल की सुविधा है, जिन अस्पतालों में सुविधा नहीं मिल रही है, शिकायत मिलने पर सख्ती बरती जाएगी।

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::मुख्य आयुक्त केंद्र बोले:::

-केंद्रीय मुख्य आयुक्त कार्यालय को अब तक कुल 34500 शिकायतें प्राप्त हुई हैं।

-इसमें से 33000 का निपटारा कर दिया गया है।

-अब तक कुल 49 मोबाइल कोर्ट का आयोजन प्रदेश में किया गया है।

-दिव्यांगजन मुख्य आयुक्त कार्यालय ccpd@nic.in पर शिकायत भेज सकते हैं.

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दिव्यांगों को मिलेगा भ् फीसदी आरक्षण ?

मुख्य आयुक्त ने बताया कि दिव्यांगजनों की सुविधा व अधिकार के लिए नया बिल राज्यसभा में लंबित है। बिल पास होने पर दिव्यांगता के प्रकार 7 से क्8 और आरक्षण तीन से बढ़कर पांच प्रतिशत हो जाएगा। आयोग का गठन भी होगा।