- सरकार पर है परिवहन निगम की 52 करोड़ 43 लाख की देनदारी

- सरकारी योजनाओं के तहत फ्री यात्रा से हुआ निगम को सबसे ज्यादा घाटा

DEHRADUN: उत्तराखंड परिवहन निगम करीब साढ़े भ्ख् करोड़ के घाटे में दबा है। ये घाटा उसे सरकार ने दिया है। दरअसल सरकार पर निगम की कई मदों में करोड़ों की देनदारी है। सरकार की कल्याणकारी सरकारी योजनाएं भी निगम को घाटे में धकेल रही हैं, सरकार द्वारा करीब क्8 कल्याणकारी योजनाएं चलाईं गईं जिनकी देनदारी भी निगम को नहीं चुकाई गई। निगम के अफसर भले ही इस मसले पर बोलने को तैयार न हों, लेकिन निगम कर्मचारियों का साफ कहना है कि अगर सरकार देनदारी चुका दे तो निगम घाटे से उबर जाए।

देनदारी (क्)- आपदा का बकाया

ख्0क्फ् में दैवीय आपदा के दौरान सरकार ने यात्रियों को ढोने के लिए प्रदेशभर में परिवहन निगम की बसों को दौड़ाया था। इस दौरान बसों के संचालन में ख्क् करोड़ 9फ् लाख का खर्चा आया था, जो सरकार द्वारा चुकाया जाना था। करीब तीन साल बाद भी यह रकम परिवहन निगम को नहीं मिल पाई है।

देनदारी (ख्)-भूकंप के दौरान नेपाल की मदद

साल ख्0क्भ् में भारत के पड़ोसी देश नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान जान-माल का काफी नुकसान हुआ था। इस दौरान मदद के लिए राज्य सरकार ने परिवहन निगम की ख्भ् बसों को नेपाल रवाना किया था। इस दौरान बसों के संचालन में करीब ब्0 लाख का खर्चा परिवहन निगम को उठाना पड़ा था। सरकार पर इस रकम का भुगतान भी अभी बाकी है।

देनदारी (फ्)- सरकार की क्8 कल्याणकारी योजनाएं

पिछली सरकार ने सत्ता में रहते हुए क्8 जन कल्याणकारी योजनाएं संचालित की थीं। इसमें मेरे बुजुर्ग, मेरे तीर्थ, सीनियर सिटीजंस को मुफ्त यात्रा, छात्राओं को फ्री बस सेवा आदि कई योजनाएं शामिल थीं। निगम द्वारा इन योजनाओं के तहत यात्रियों को फ्री बस सेवा का लाभ दिया गया, जिसका भुगतान सरकार को करना था। इन योजनाओं के संचालन में निगम का ख्7 करोड़ रुपए का हिसाब बना, जो अभी तक सरकार द्वारा चुकाया नहीं गया है।

देनदारी (ब्)- विधानसभा चुनाव ड्यूटी

राज्य की चौथी विधानसभा चुनाव के दौरान परिवहन निगम की बसों ने पोलिंग पार्टियों को प्रदेश भर में ढोया था, चुनाव की इस ड्यूटी में परिवहन निगम की कई बसें ली गई थीं, जिनके संचालन में ब् करोड़ रुपए खर्च हुए। ये भुगतान भी अभी बाकी है।

नई बसों के पहिए जाम

परिवहन निगम की ओर से ब्8फ् बसों को खरीदा गया था, जिनमें से करीब ढाई सौ बसें बेकार खड़ी हैं। इसकी वजह सरकार द्वारा चालक-परिचालकों की भर्ती न किया जाना है। सरकार अगर भर्ती कर देती तो बसें सड़कों पर दौड़तीं और निगम की कमाई होती। निगमक को हर महीने इन बसों की किश्त के रूप में ख् करोड़ ब् लाख रुपये अदा करने पड़ रहे हैं। औसतन इससे निगम को प्रतिदिन ख्भ् लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

डग्गामारी से लग रहा चूना

परिवहन निगम के कर्मचारियों की मानें तो परिवहन विभाग व परिवहन निगम की लापरवाही के कारण राज्य में डग्गामारी व अवैध बसों के संचालन पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं की जा रही। एक अनुमान के मुताबिक निगम को इससे रोजाना फ्0 लाख रुपए की चपत लग रही है।

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सरकार व परिवहन निगम नहीं चाहता की रोडवेज घाटे से उबरे, सरकार पर निगम का करीब भ्ख् करोड़ ब्फ् लाख रुपए का बकाया है। सरकार ने तो यह रकम चुकाई नहीं, निगम के अफसर भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हैं।

रामचन्द्र रतूड़ी, महामंत्री, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद

बार-बार शासन से बकाया भगुतान के लिए कहा जा रहा है। लेकिन, शासन से कोई जवाब नहीं मिल रहा। सरकार यह रकम अगर चुका दे तो निगम का घाटा पट जाए।

बृजेश कुमार संत, प्रबंधक, परिवहन निगम