बाढ़ आई जम्मू कश्मीर में। पहाड़ों से लेकर घाटी तक बाढ़ से हुई तबाही का वैसे तो काशी यानि बनारस नगरी से सीधा कोई कनेक्शन नहीं है। दोनों के बीच दूर भी काफी ज्यादा है। लेकिन फिर भी कश्मीर की बाढ़ का असर अब बनारस में महसूस होने लगा है। जी हां, ये बात आपको हैरान कर सकती है लेकिन यही सच है। कैसे और कहां पड़ रहा है असर, यही बताने जा रहे है हम

-जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ के कारण लोकल मार्केट में अचानक उछले हैं ड्राई फ्रूट्स के रेट

- फल मार्केट में सेब का चढ़ता भाव भी कर रहा है हर किसी को हैरान

-आने वाले त्योहारों पर बेचने और खरीदने वालों पर पड़ेगा असर

VARANASI: जम्मू कश्मीर में आए जलजला का तो वैसे पूरे देश में असर पड़ा है। जम्मू में आई इस त्रासदी ने हर इंसान को झकझोर कर रख दिया है। लेकिन कश्मीर की बाढ़ ने बनारस को डिस्टर्ब करना शुरू कर दिया है। जम्मू-कश्मीर अभी बाढ़ की त्रासदी से उबर भी नहीं पाया है और अपने लोकल मार्केट में स्वर्ग की नदियों के बेहिसाब बहाव ने कुछ चीजों के भाव आसमान पर पहुंचा दिये हैं। हालांकि जिन चीजों के भाव बढ़ रहे है वो अब भी कंट्रोल हैं मगर संभावना ये है कि इनके दाम जल्द ही बेकाबू हो जाएंगे। खासकर नवरात्रि, दशहरा और दिवाली पर जब मार्केट में डिमांड ज्यादा होगी तब ये ज्यादातर लोगों की पहुंच से बाहर होंगे।

ड्राई फ्रूट मार्केट में असर

कश्मीर की बाढ़ का सीधा असर ड्राई फ्रूट्स के मार्केट पर पड़ा है। कश्मीर से जिन ड्राई फ्रूट्स की सप्लाई ज्यादा थी, उनकी आवक लगभग ठप सी हो गयी है। इससे व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं। उनके बिजनेस पर खराब इफेक्ट पड़ा है। कुछ दिनों बाद ही नवरात्र भी स्टार्ट हो जाएगा तब ड्राई फ्रूट्स की डिमांड बढ़ जाएगी। दिवाली पर ड्राई फ्रूट्स मार्केट में सबसे ज्यादा उछाल आता है लेकिन इस बार मामला पूरी तरह बिगड़ने की उम्मीद है क्योंकि ड्राई फ्रूट्स में कई चीजों की सप्लाई में कश्मीर का अहम रोल है और वहां की कंडीशन आने वाले कुछ महीनों तक सुधरने वाली नहीं है।

मेन हैं अखरोट और केसर

स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में अखरोट का काफी बड़ा कारोबार है। वहीं से अखरोट व केसर दूसरे स्टेट्स में भेजे जाते हैं। बनारस में अखरोट व केसर की खपत काफी ज्यादा है। क्योंकि अधिकांश स्वीट शॉप्स पर केसर युक्त स्वीट्स प्रिपेयर की जाती हैं। बनारस में केसर का इस्तेमाल ठंडई और आयुर्वेदिक मेडिसीन वाले भी बहुतायत करते हैं। लेकिन जम्मू में जिस तरह का माहौल क्रिएट हुआ है उससे इनकी सप्लाई जल्द ही सुधरने के आसार नहीं है। अभी मार्केट में पहले से स्टॉक माल से ही काम चल रहा है जिसका रेट दिनों दिन चढ़ता जा रहा है जबकि नई सप्लाई का कहीं नामो-निशान नहीं है।

आने वाला है त्यौहारों का मेला

सितंबर के लास्ट से ही त्यौहारों का मेला स्टार्ट होने वाला है। नवरात्र, दशहरा व दीवाली की धूम रहेगी। दीवाली में अधिकतर लोग ड्राई फ्रूटस की खरीदारी करते हैं। एक दूसरे को ड्राई फ्रूट्स गिफ्ट किया जाता है। जबकि स्वीट्स का भी बिजनेस काफी लंबा चौड़ा होता है जिसमें ड्राई फ्रूट्स भी मिक्स्ड होता है। लेकिन जम्मू में आई आपदा के कारण ड्राई फ्रूट्स पर भी मार पड़ गयी है। कश्मीर अखरोट के अलावा बादाम और काजू का बड़ा सप्लायर है। इनकी सप्लाई प्रभावित रही तो स्थिति और खराब होन का अनुमान है।

डेढ़ गुना तक चढ़ा दाम

जम्मू में आए बाढ़ से जिन चीजों के दाम बढ़े हैं उसमें अखरोट सबसे मेन है। जो अखरोट कश्मीर की बाढ़ से पहले बनारस में एक हजार रुपये प्रति किलो मिल रहा था वह अब क्म्00 से क्800 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। हाई क्वालिटी का अखरोट तो मार्केट से गायब ही हो चुका है। यही हाल कश्मीरी सेब का भी है। कश्मीरी सेब पहले म्0 से 70 रुपये प्रति किलो था जो इन दिनों क्00 से क्ख्0 रुपये किलो जा पहुंचा है। केसर के रेट में भी खासी बढ़ोतरी हो गयी है।

ड्राई फ्रूट्स का व्यापार तो प्रभावित हो रहा है। फेस्टिवल स्टार्ट होते ही असर और भी दिखने लगेगा। मेवा, मसाला की आवक ठप हो गई है।

सत्येंद्र कुमार गुप्ता, केराना व्यापारी, कबीरचौरा

व्यापारियों का परेशान होना लाजिमी है। जम्मू कश्मीर से एप्पल, केसर-अखरोट की आवक लगभग ठप है। व्यापारियों के बिजनेस पर प्रभाव तो पड़ रहा है।

गौरव राठी, युवा शाखा प्रभारी, खाद्य व्यापार मंडल

जींस पहले अब

अखरोट (प्रति किलो) क्000 क्म्00-क्800

केसर (प्रति ग्राम) क्00 क्ख्0-क्ब्0

सेब (प्रति किलो) 70-80 क्00-क्ख्0

खुमानी (प्रति किलो) ख्भ्0 ब्00-ब्भ्0

अंजीर (प्रति किलो) ब्00 भ्00-भ्भ्0

काजू (प्रति किलो) ब्भ्0 भ्00