-देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर बनारस में सांस लेना है मुश्किल

-पीएम 2.5 का लेवल पहुंचा 443 तक, हर साल बढ़ते जा रहे हैं सांस के रोगी, फेफड़ा हो रहा है कमजोर

VARANASI

अब तो हो जाइये सावधान क्योंकि अपने शहर बनारस की हवा भी जहरीली हो चुकी है। हवा में फैले इस जहर के चलते जहां सांस लेना मुश्किल हो रहा है। वहीं इस परेशानी के चलते हर सांस के साथ उम्र भी घट रही है। ये हम नहीं वायु गुणवत्ता सूचकांक केंद्र के आंकड़े बता रहे हैं। अगर अब भी हमारी आंखें नहीं खुलीं तो हम धुएं और धूल से जानलेवा बीमारी के शिकार होंगे। इतना ही नहीं तब हमे बचा पाने वाला भी कोई नहीं होगा।

फिजा हुई सात गुना दूषित

वायु गुणवत्ता सूचकांक केंद्र के सहायक वैज्ञानिक टीएन सिंह बताते हैं कि बनारस के वातावरण में नये साल के दूसरे दिन शनिवार को पीएम क्0 (धूल के बड़े कण) की अधिकतम मात्रा ब्ख्9 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पहुंच गयी थी। जबकि इसका लेवर क्00 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर होना चाहिए। वहीं पीएम ख्.भ् (धूल के छोटे कड़) की अधिकतम मात्रा ब्ब्फ् पहुंच गया है। जिसे म्0 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर होना चाहिए। अर्दली बाजार स्थित केंद्र के इक्विपमेंट्स ने पाया कि इन दिनों फिजाओं में हानिकारक धूल के कण निर्धारित मानक से करीब सात से आठ गुना अधिक हैं।

बीजिंग में अलर्ट, बनारस बेपरवाह

शहर में पीएम (पार्टिकुलेट मैटर)-क्0 का स्तर ब्ख्9 पहुंच गया है। वहीं पीएम ख्.भ् का लेवल देश में सबसे ज्यादा ब्ब्फ् हो गया है। बनारस की आबोहवा में इन दिनों जितना प्रदूषण फैला है उस स्तर पर बीजिंग में हाई एलर्ट कर दिया गया था। लेकिन प्रशासन इससे अंजान है। अगर आने वाले वक्त में इस प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया तो हालात बद से बदतर होते जाएंगे।

प्रदूषण की वजह

-वाहनों की बेहिसाब बढ़ी संख्या, -सकरी सड़कें

-अत्यधिक जेनरेटर ट

-गंदगी व उड़ता धूल

-पेड़ों की घटती संख्या

-आधुनिक उपकरणों का उपयोग

-बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या

(केंद्र ने पाया कि हानिकारक गैसों की मात्रा नियंत्रण में हैं)

खतरनाक हो रहा वातावरण

प्रदूषण के लेवल ने बनारस को देश का सबसे ज्यादा खतरनाक शहरों में लाकर खड़ा कर दिया है। पिछले साल के आखिरी दिन बनारस देश के सबसे ज्यादा जहरीली हवा वाला शहर साबित हुआ था। हालांकि रोजाना के ये आंकड़े बदलते रहते हैं लेकिन प्रदेश में बनारस सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर हो गया है। एक्यूआईसीएन डॉट ओआरजी वेबसाइट पर जारी आंकड़े के आधार पर बनारस शहर लखनऊ, कानपुर और राजधानी दिल्ली से भी आगे निकल गया है।

पांच गुना बढ़े सांस के रोगी

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में प्रदूषण के कारण लोगों पर पड़ने वाले असर की बात की जाए तो एक्सपर्ट बताते हैं कि दस साल में फेफड़े से जुड़े रोगियों की तादाद करीब पांच गुना बढ़ गयी है। इस बारे में बीएचयू के चेस्ट डिपार्टमेंट के डॉ। एसके अग्रवाल बताते हैं कि बनारस में बढ़ता प्रदूषण लोगों के फेफड़े को कमजोर बनाता जा रहा है।

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प्रो। एसके अग्रवाल ने बताया कि फेफड़े की ताकत को चेक करने के लिए पीक फ्लो मीटर से टेस्ट किया जाता है। दस साल पहले इस मीटर के टेस्ट में लोगों के लंग टेस्ट की रीडिंग भ्00 हुआ करती थी जो अब ब्00 से ब्क्भ् के बीच पहुंच गयी है। यानी दूषित वातावरण ने हमारे फेफड़े को काफी कमजोर कर दिया है। जिसके कारण अस्थमा, सीओपीडी जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या इन सालों में पांच गुना ज्यादा हो गयी है। शहर का हाल कुछ ऐसा हो गया है कि एक बड़े कमरे में क्भ् से ख्0 अंगीठी जल रही है और हम उसमें सांस लेने को मजबूर हैं। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदूषण का लेवल कहां पहुंच गया है।