जोर का झटका: स्मार्ट सिटी की रेस में फिर पिछड़ा अपना शहर

शहरी विकास मंत्रालय ने फास्ट ट्रैक आधार पर 23 और शहरों को स्मार्ट सिटी के लिए किया सेलेक्ट

स्मार्ट सिटी मिशन के लिए चुने गये 97 शहरों के आखिरी पायदान पर रहे देहरादून में किया गया शामिल

VARANASI

स्मार्ट सिटी की टॉप ख्0 लिस्ट से बनारस के बाहर होने के बाद केंद्र सरकार ने फास्ट ट्रैक के तहत ख्फ् और शहरों को मौका दिया। जिससे भी बनारस को बाहर कर दिया गया है। लेकिन इन ख्फ् शहरों की लिस्ट में देहरादून को जगह मिली है जो स्मार्ट सिटी के 97 शहर की रैंकिंग के आखिरी पायदान पर है। देहरादून को फ्9 प्रतिशत अंक मिले है जबकि बनारस को ब्0 प्रतिशत अंक मिला। स्मार्ट सिटी की गाइडलाइन में क्भ् पॉइंट्स पर मानक के आधार पर अधिक से अधिक नंबर बनाने थे लेकिन बनारस इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर पाया।

जिम्मेदार नहीं दे पा रहे जवाब

स्मार्ट सिटी से बनारस बाहर होने को लेकर सभी अपना तर्क दे रहे है। लेकिन इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी जबाव देने से बच रहे है। नगर आयुक्त श्रीहरि प्रताप शाही इस मामले में बात करने से बच रहे है। जबकि अन्य अधिकारियों का कहना है कि उन्हें सेलेक्शन प्रॉसेस के बारे में जानकारी नहीं है। हालांकि वह टॉप ब्0 के लिए ताल ठोंकने में भी पीछे नहीं है।

टॉप ब्0 के लिए भी बाहर है शहर

टॉप ख्0 के बाद फास्ट ट्रैक की लिस्ट में भी शामिल न होने का कारण प्रदेश सरकार और नगर निगम की ओर से शहर में चलायी जा रही है सारी योजनाओं में कम से कम हुई प्रगति है। जिस आधार पर नंबर दिया गया है। स्मार्ट सिटी के अगले फेज में ब्0 शहरों का चयन होना है जिसमें भी बनारस का सेलेक्ट हो पाना मुश्किल ही है। नगर निगम अगले प्रॉसेस के लिए कोई स्ट्रैटजी तैयार नहीं कर रहा है जबकि सितंबर तक ब्0 और शहरों की घोषणा होने की संभावना है।

विजन प्लान हुआ लेट

नगर निगम अपना विजन प्लान तैयार करने में भी लेट हुआ था। निगम की मानें तो उन्हें कंसल्टेंट कंपनी अक्टूबर में मिले जिसके कारण उन्हें अपना विजन प्लान तैयार करने का कम वक्त मिला था। वहीं केंद्र सरकार की ओर से विजन प्लान के लिए जारी किये गये दो करोड़ रुपये स्टेट की ओर से जारी नहीं किया गया।

यहां पर हुई कमी

स्मार्ट सिटी में अपनी जगह बनाने के लिए बनारस को कड़ी दावेदारी प्रस्तुत करनी थी। जो पिछले कई सालों में हुए काम को लेकर नंबर दिलाता। लेकिन नगर निगम केवल विजन प्लान तक ही सीमित रह गया। स्मार्ट सिटी के लिए क्भ् पॉइंट्स दिये गये थे जिन पर रैंकिंग तय की जानी थी।

इन पर पिछड़े--

- सिटी में चल रही योजनाओं में फ्7 प्रतिशत की प्रगति

- कोई भी योजना अपने तय समय पर नहीं हुई पूरी

- जायका, जेएनएनयूआरएम के तहत शुरु हुई योजनाएं अभी तक 80 प्रतिशत भी नहीं हुई पूरी

- नगर निगम सेल्फ जेनरेटेड रेवेन्यू के सोर्स नहीं बता पाया।

- टैक्स वसूली में नगर निगम बहुत पीछे रहा।

- रेट्रो फिटिंग के लिए पांच सौ एकड़ का एरिया नहीं बता पाया निगम

- ऑन लाइन वर्किंग में पिछड़ा निगम

- ई-न्यूजलेटर पर भी दिया जाना था नंबर

- पेपरलेस वर्किग नहीं कर पाया नगर निगम

- सौ प्रतिशित घरों में शौचालय नहीं

- वेस्ट मैनेजमेंट में पूरी तरह फेल बनारस

- सिटी में नहीं सीवर ट्रीटमेंट प्लांट

टॉप ख्0 स्मार्ट सिटी में शामिल न होने के लिए प्रदेश सरकार और नगर निगम ही पूरी तरह जिम्मेदार है। गाइडलाइन के आधार पर शहर में एक भी काम नहीं हुआ है। जिस पर वह लगातार पिछड़ता गया। केंद्र से विजन प्लान के लिए दिया गया दो करोड़ रुपये भी राज्य सरकार ने नगर निगम को नहीं दिया।

रविंद्र जायसवाल, विधायक

फास्ट ट्रैक के आधार पर ख्फ् शहरों का चयन किया गया, इसमें ज्यादातर हर स्टेट के कैपिटल को लिया गया है। इसी कारण बनारस का नाम शामिल नहीं है।

राम गोपाल मोहले, मेयर