रांची के 23वर्षीय कंप्यूटर इंजीनियर वरुण बंका का नाम फो‌र्ब्स इंडिया के वर्ष 2015 के '30 अंडर 30' लिस्ट में शामिल किया गया है। वरुण नई दिल्ली में सोशल कॉप्स नामक संस्था चलाते हैं। वरुण झारखंड के पहले युवा हैं, जिन्होंने यह बेमिसाल उपलब्धि हासिल की है। फो‌र्ब्स इंडिया हर वर्ष विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय काम करनेवाले और विलक्षण प्रतिभा वाले यंग अचीवर्स की यह लिस्ट जारी करती है। इस वर्ष यह लिस्ट 6 फरवरी की शाम जारी की गई।

वरुण रांची के अपर बाजार निवासी लेखक-कवि नरेश बंका के पुत्र हैं। सिंगापुर के नान्यांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करनेवाले वरुण ने ट्वेल्थ तक की पढ़ाई रांची में ही हुई है। उन्होंने डोरंडा स्थित सेंट जेवियर स्कूल से टेंथ और इसके बाद जेवीएम श्यामली से ट्वेल्थ की पढ़ाई की।

लाखों का पैकेज छोड़ चुना सोशल सेक्टर

ट्वेल्थ की पढ़ाई के बाद वरुण सिंगापुर एयरलाइन्स की मेरिट स्कॉलरशिप योजना के तहत वहां की नान्यांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग के फ्री एडुकेशन के लिए सेलेक्ट हुए थे। चार साल की पढ़ाई के बाद वरुण ने कुछ अर्से तक बारक्लेज कैपिटल, व्हर्लपूल कॉरपोरेशन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के साथ काम किया, लेकिन लाखों का पैकेज और फॉरेन में नौकरी के बेहतरीन अवसर उन्हें ज्यादा दिनों तक बांधकर नहीं रख सके। वरुण ने इस रिपोर्टर से मोबाइल पर बातचीत में बताया कि उनके दिल में शुरू से कुछ अलग और इनोवेटिव करने की इच्छा थी। सिंगापुर नान्यांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में साथ पढ़नेवाली बेंगलुरू की प्रुकल्पा शंकर के साथ उन्होंने भारत लौटकर सोशलकॉप्स नामक संस्था खोलने का निर्णय लिया। सोशल कॉप्स मुख्य रूप से देश के पॉलिसी मेकर्स और सोशल सर्विस सेक्टर में काम करनेवाले ऑर्गनाइजेशंस एवं कंपनियों को साइंटिफिक तरीके से डेटा और रिसर्च सपोर्ट प्रोवाइड करती है।

इंटरनेशनल कंपनीज ले रही हैं सेवाएं

वरुण बताते हैं कि जब हमने भारत लौटकर काम करने का निर्णय लिया तो यह फैसला बेशक आसान नहीं था, लेकिन हमारी निगाह उन भारतीयों पर थी जिनके हाथ में मोबाइल नामक एक चमत्कारी डिवाइस है। हमने यह पाया कि मोबाइल रखनेवाले इंडियंस के जरिए किसी भी टॉपिक पर ऑथेंटिक और साइंटिफिक डेटा कलेक्ट कर उसे कायदे से एनालाइज किया जाए तो यह पॉलिसी मेकर्स और सोशल सर्विस सेक्टर में काम करनेवाले ऑर्गनाइजेशंस के लिए काफी हेल्पफुल हो सकता है। हमें खुशी है कि हमने इस आइडिया को बेहतरीन तरीके से एक्सप्लोर किया और इसी का नतीजा है कि आज गूगल इंडिया और फ्रॉस्ट एंड सुलीवन जैसी संस्थाओं को हम सर्विस दे रहे हैं। गूगल इंडिया के एमडी राजन आनंदम और फ्रॉस्ट एंड सुलीवन के एशिया-पैसिफिक एमडी मनोज मेनन ने व्यक्तिगत तौर पर वरुण बंका और प्रुकल्पा की संस्था सोशल कॉप्स को मदद दी है। नई दिल्ली के मालवीयनगर में चलनेवाले सोशल कॉप्स के ऑफिस में इस वक्त 15 युवा इंजीनियर्स की टीम काम करती है।

दिल में है रांची, क्रेडिट मां-पापा को

23 वर्षीय वरुण बंका ने आई नेक्स्ट से बातचीत में कहा कि रांची मेरे दिल में है। किसी भी प्रोजेक्ट पर काम करते हुए जेहन में रांची का नाम जरूर आता है। आज जब रांची को स्मार्टसिटी बनाने की चर्चा चल रही है, तब हमें लगता है कि इसकी प्लानिंग साइंटिफिक और ऑथेंटिक डेटा के आधार पर तैयार की जानी चाहिए। वह कहते हैं कि अगर मौका मिला तो ऐसे प्रोजेक्ट के लिए काम करके बेहद खुशी होगी। वरुण अपनी अब उपलब्धि का श्रेय अपने पैरेंट्स को देते हैं। वह कहते हैं कि मेरे पैरेंट्स ने मुझे जिस तरह अपनी पसंद का क्षेत्र चुनने की आजादी और आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया, वह अद्भुत है।