गरिमा मिश्रा। घर दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह है, जहां दिन भर की थकान और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। साफ-सुंदर घर न सिर्फ आंखों को लुभाता है बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करता है। क्यों न व्यस्त दिनचर्या के बीच थोड़ा सा समय घर को दें...। कुछ इस अंदाज में इसे संवारें कि शांति, सुकून, ध्यान, एकाग्रता और सुंदरता का सुंदर समायोजन नजर आए!

घर पैसे से नहीं, दिल से बनता है और इसे प्यार, स्नेह और कलात्मकता से सजाया जाता है। कई बार बहुत पैसा लगाने के बाद भी घर में खुशहाली नजर नहीं आती तो कभी सजावट में थोड़ी सी फेरबदल से भी घर नया बन जाता है। घर की साज-सज्जा का अर्थ है- सकारात्मक ऊर्जा का एहसास। प्रवेश द्वार में घुसते ही मन प्रसन्न हो जाए तो समझें कि मेहनत सफल हो गई।

पुराने समय में घर बनाते हुए कुछ वास्तु संबंधी नियमों का पालन किया जाता था, जो आज के स्पेस मैनेजमेंट वाले दौर में कम संभव हो पाता है। बिल्डर्स फ्लैट में चूंकि एक-एक इंच जगह का इस्तेमाल किया जाता है, लिहाज वास्तु के नियमों का पालन करना थोड़ा कठिन होता है। फिर भी थोड़ी सी समझदारी से घर को एक स्प्रिचुअल टच दिया जा सकता है।

प्रवेश द्वार
प्राचीन भारतीय पद्धति के हिसाब से अपने घर के एंट्रेंस को सजाने का प्रयास करें- मेन डोर पर आम और अशोक के पत्तों से बने तोरण या बंदनवार लगाने से घर शुभ लगता है। पूजा या त्योहार पर भी बंदनवार लगाए जाते हैं ताकि घर पावन-पवित्र दिखे।  शंख, सीपी, बीड्स और घंटियों से बने तोरण भी प्रवेश द्वार को सुंदर बनाते हैं। माना जाता है कि इससे मां लक्ष्मी की कृपा घर पर बनी रहती है।

कहते हैं, घर की दीवारों पर स्वस्तिक का चिह्न होता है तो वहां देवता वास करते हैं। मुख्य द्वार के ऊपर हल्दी-चंदन से बना स्वस्तिक द्वार की सुंदरता बढ़ाने के साथ ही नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर रखता है।

एंट्रेंस पर हेवी काव्र्ड डोर भी उसे यूनीक बनाता है।

मेन डोर पर कुछ शुभ आकृतियां जैसे-  गणेश, फूल-पत्तियां भी बनवाई जा सकती हैं। हेवी काव्र्ड गणेश जी या एक हाथियों के जोड़े की आकृतियां भी लुक को बेहतरीन बनाएंगी। इंटीरियर का यह क्लासिक आइडिया एंट्रेंस के ग्रेस को बढ़ा देगा।

पेंटिंग्स और कलाकृतियां
दीवारों पर सजी मधुबनी पेंटिंग्स घर की खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं। प्राचीन काल से ही मधुबनी पेंटिंग्स राजमहलों और भारतीय घरों का अभिन्न हिस्सा रही हैं। ये प्राकृतिक दृश्यों और पौराणिक तसवीरों के सामंजस्य से बनाई जाती हैं। जैसे- विवाह दृश्यों, कमल के फूल, रंग-बिरंगे पंछी, राधा-कृष्ण और रामायणकालीन शुभ दृश्य घर को आध्यात्मिकता के रंग में रंग देते हैं।

इन्हें प्राकृतिक रंगों जैसे गुलाब, हल्दी, चंदन, फूलों के रस या गाय के गोबर से बनाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा-पाठ और हर शुभ अवसर पर इसी तरह से चित्र बनाने की पंरपरा है।

मधुबनी पेंटिंग्स को घर के लिविंग एरिया, गेस्ट रूम या बेडरूम की वॉल्स पर लगाएं। कहा जाता है कि श्री रामचंद्र और जनकसुता सीता जी के विवाह पर पूरे राज्य को ऐसे ही चित्रों से सजाया गया था। ये आकृतियां घर को पॉजिटिव एनर्जी से भर देती हैं।

घर में आक्रामक पशु-पक्षियों या शिव तांडव जैसे चित्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे घर के सदस्यों में वैमनस्य की आशंका रहती है।

किड्स रूम में मोटिवेशनल वॉल स्टीकर्स का प्रयोग किया जा सकता है। इससे बच्चों में उत्साह और जोश बना रहेगा।

घर की पूर्व दिशा या स्टडी रूम की पूर्व दिशा वाली वॉल पर सूर्योदय की तसवीर लगाएं। इससे बच्चों में ऊर्जा, उत्साह और उमंग बना रहेगा और पढ़ाई में उनका मन एकाग्र हो सकेगा। 

सुगंधित हो माहौल
सुगंध तन-मन को राहत प्रदान करती है। फिर भले ही खाने की खुशबू हो या परफ्यूम... इससे मन प्रसन्न रहता है और अच्छे विचारों का संचार होता है। इसलिए घर के हर कोने को सुगंध से महकाएं। गर्मी के मौसम में मार्केट में खासतौर पर खस के सुगंधित रूम फ्रेशनर आसानी से मिलते हैं। इन्हें इस्तेमाल करें। खस की भीनी-भीनी सुगंध पुराने दिनों की ओर लौटाती है, जब गर्मियों के मौसम में घरों में कूलर चला करते थे और इसके पानी में खस के इत्र का प्रयोग किया जाता था।

हरियाली शुभ है
शास्त्र-सम्मत बात है कि जिस घर में हरे-भरे पेड़-पौधे होते हैं, वहां वास्तु-दोष भी दूर हो जाते हैं। वास्तु में कहा जाता है कि नॉर्थ, ईस्ट या नॉर्थ ईस्ट में गार्डन य लॉन हो तो उसका प्रभाव सकारात्मक होता है। इंडोर प्लांट्स को व्हाइट सिरेमिक पॉट, सीमेंटेड या व्हाइट स्टोन पॉट्स में लगाएं। ग्रीन-व्हाइट का कॉम्बिनेशन गर्मी में सुकून देगा और ताजगी का एहसास कराएगा। हरियाली से सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली पनपेगी। घर में तुलसी का एक पौधा अवश्य लगाएं। तुलसी पूजनीय तो है ही, इसके गुण भी कम नहीं हैं। इसका पौधा एयर प्यूरीफायर का काम करता है। यह ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है। तुलसी के गमले को कलरफुल या मोजैक स्टोन्स से सजाया जा सकता है।

रंगों का प्रयोग
रंगों का मूड से गहरा नाता है। इनका प्रयोग करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखें-
डार्क शेड्स अस्थिरता और क्रोध को दर्शाते हैं जबकि लाइट कलर्स मन को शांत बनाते हैं और एकाग्रता के लिए अच्छे होते हैं। 
घर के उत्तर और पूर्व स्थित कमरों में सफेद, पीले या नारंगी रंग का इस्तेमाल करें।
पश्चिमी कमरे की दीवारों पर लाइट ब्लू या आसमानी रंग का प्रयोग कर सकते हैं। ये रंग मन को सुकून प्रदान करेंगे।
लाइट फ्लोरल प्रिंटेड बेडशीट्स व परदे गर्मियों में मूड को अच्छा रखेंगे।

लेख: गरिमा मिश्रा, इंटीरियर डिजाइनर, वास्तु एक्सपर्ट और एनर्जी हीलर, लखनऊ

साभार सखी

घर दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह है, जहां दिन भर की थकान और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। साफ-सुंदर घर न सिर्फ आंखों को लुभाता है बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करता है। क्यों न व्यस्त दिनचर्या के बीच थोड़ा सा समय घर को दें...। कुछ इस अंदाज में इसे संवारें कि शांति, सुकून, ध्यान, एकाग्रता और सुंदरता का सुंदर समायोजन नजर आए!

घर पैसे से नहीं, दिल से बनता है और इसे प्यार, स्नेह और कलात्मकता से सजाया जाता है। कई बार बहुत पैसा लगाने के बाद भी घर में खुशहाली नजर नहीं आती तो कभी सजावट में थोड़ी सी फेरबदल से भी घर नया बन जाता है। घर की साज-सज्जा का अर्थ है- सकारात्मक ऊर्जा का एहसास। प्रवेश द्वार में घुसते ही मन प्रसन्न हो जाए तो समझें कि मेहनत सफल हो गई।

पुराने समय में घर बनाते हुए कुछ वास्तु संबंधी नियमों का पालन किया जाता था, जो आज के स्पेस मैनेजमेंट वाले दौर में कम संभव हो पाता है। बिल्डर्स फ्लैट में चूंकि एक-एक इंच जगह का इस्तेमाल किया जाता है, लिहाज वास्तु के नियमों का पालन करना थोड़ा कठिन होता है। फिर भी थोड़ी सी समझदारी से घर को एक स्प्रिचुअल टच दिया जा सकता है।

प्रवेश द्वार

प्राचीन भारतीय पद्धति के हिसाब से अपने घर के एंट्रेंस को सजाने का प्रयास करें- मेन डोर पर आम और अशोक के पत्तों से बने तोरण या बंदनवार लगाने से घर शुभ लगता है। पूजा या त्योहार पर भी बंदनवार लगाए जाते हैं ताकि घर पावन-पवित्र दिखे।  शंख, सीपी, बीड्स और घंटियों से बने तोरण भी प्रवेश द्वार को सुंदर बनाते हैं। माना जाता है कि इससे मां लक्ष्मी की कृपा घर पर बनी रहती है।

कहते हैं, घर की दीवारों पर स्वस्तिक का चिह्न होता है तो वहां देवता वास करते हैं। मुख्य द्वार के ऊपर हल्दी-चंदन से बना स्वस्तिक द्वार की सुंदरता बढ़ाने के साथ ही नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर रखता है।

एंट्रेंस पर हेवी काव्र्ड डोर भी उसे यूनीक बनाता है।

मेन डोर पर कुछ शुभ आकृतियां जैसे-  गणेश, फूल-पत्तियां भी बनवाई जा सकती हैं। हेवी काव्र्ड गणेश जी या एक हाथियों के जोड़े की आकृतियां भी लुक को बेहतरीन बनाएंगी। इंटीरियर का यह क्लासिक आइडिया एंट्रेंस के ग्रेस को बढ़ा देगा।

पेंटिंग्स और कलाकृतियां

दीवारों पर सजी मधुबनी पेंटिंग्स घर की खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं। प्राचीन काल से ही मधुबनी पेंटिंग्स राजमहलों और भारतीय घरों का अभिन्न हिस्सा रही हैं। ये प्राकृतिक दृश्यों और पौराणिक तसवीरों के सामंजस्य से बनाई जाती हैं। जैसे- विवाह दृश्यों, कमल के फूल, रंग-बिरंगे पंछी, राधा-कृष्ण और रामायणकालीन शुभ दृश्य घर को आध्यात्मिकता के रंग में रंग देते हैं।

इन्हें प्राकृतिक रंगों जैसे गुलाब, हल्दी, चंदन, फूलों के रस या गाय के गोबर से बनाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा-पाठ और हर शुभ अवसर पर इसी तरह से चित्र बनाने की पंरपरा है।

मधुबनी पेंटिंग्स को घर के लिविंग एरिया, गेस्ट रूम या बेडरूम की वॉल्स पर लगाएं। कहा जाता है कि श्री रामचंद्र और जनकसुता सीता जी के विवाह पर पूरे राज्य को ऐसे ही चित्रों से सजाया गया था। ये आकृतियां घर को पॉजिटिव एनर्जी से भर देती हैं।

घर में आक्रामक पशु-पक्षियों या शिव तांडव जैसे चित्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे घर के सदस्यों में वैमनस्य की आशंका रहती है।

किड्स रूम में मोटिवेशनल वॉल स्टीकर्स का प्रयोग किया जा सकता है। इससे बच्चों में उत्साह और जोश बना रहेगा।

घर की पूर्व दिशा या स्टडी रूम की पूर्व दिशा वाली वॉल पर सूर्योदय की तसवीर लगाएं। इससे बच्चों में ऊर्जा, उत्साह और उमंग बना रहेगा और पढ़ाई में उनका मन एकाग्र हो सकेगा। 

सुगंधित हो माहौल

सुगंध तन-मन को राहत प्रदान करती है। फिर भले ही खाने की खुशबू हो या परफ्यूम... इससे मन प्रसन्न रहता है और अच्छे विचारों का संचार होता है। इसलिए घर के हर कोने को सुगंध से महकाएं। गर्मी के मौसम में मार्केट में खासतौर पर खस के सुगंधित रूम फ्रेशनर आसानी से मिलते हैं। इन्हें इस्तेमाल करें। खस की भीनी-भीनी सुगंध पुराने दिनों की ओर लौटाती है, जब गर्मियों के मौसम में घरों में कूलर चला करते थे और इसके पानी में खस के इत्र का प्रयोग किया जाता था।

हरियाली शुभ है

शास्त्र-सम्मत बात है कि जिस घर में हरे-भरे पेड़-पौधे होते हैं, वहां वास्तु-दोष भी दूर हो जाते हैं। वास्तु में कहा जाता है कि नॉर्थ, ईस्ट या नॉर्थ ईस्ट में गार्डन य लॉन हो तो उसका प्रभाव सकारात्मक होता है। इंडोर प्लांट्स को व्हाइट सिरेमिक पॉट, सीमेंटेड या व्हाइट स्टोन पॉट्स में लगाएं। ग्रीन-व्हाइट का कॉम्बिनेशन गर्मी में सुकून देगा और ताजगी का एहसास कराएगा। हरियाली से सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली पनपेगी। घर में तुलसी का एक पौधा अवश्य लगाएं। तुलसी पूजनीय तो है ही, इसके गुण भी कम नहीं हैं। इसका पौधा एयर प्यूरीफायर का काम करता है। यह ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है। तुलसी के गमले को कलरफुल या मोजैक स्टोन्स से सजाया जा सकता है।

रंगों का प्रयोग

रंगों का मूड से गहरा नाता है। इनका प्रयोग करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखें-

डार्क शेड्स अस्थिरता और क्रोध को दर्शाते हैं जबकि लाइट कलर्स मन को शांत बनाते हैं और एकाग्रता के लिए अच्छे होते हैं। 

घर के उत्तर और पूर्व स्थित कमरों में सफेद, पीले या नारंगी रंग का इस्तेमाल करें।

पश्चिमी कमरे की दीवारों पर लाइट ब्लू या आसमानी रंग का प्रयोग कर सकते हैं। ये रंग मन को सुकून प्रदान करेंगे।

लाइट फ्लोरल प्रिंटेड बेडशीट्स व परदे गर्मियों में मूड को अच्छा रखेंगे।

 

लेख: गरिमा मिश्रा, इंटीरियर डिजाइनर, वास्तु एक्सपर्ट और एनर्जी हीलर, लखनऊ

साभार सखी

वास्तु के अनुसार, इस तरह से सोने वाले पति-पत्नियों के बीच होती हैं तकरार

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