एक बार फिर यह समय है नवरात्रि का, मां की पूजा करने का, उनका ध्यान करने का और स्वयं में भक्ति भाव जगाने का। मित्रों, इस समय का अपना अलग ही महत्व है। इस समय मां के नौ स्वरूपों का ध्यान और पूजन करने से हमें जीवन में आगे बढ़ने की  प्रेरणा मिलती है। हम स्वयं में शक्ति का अनुभव करते हैं और घर का वातावरण भी शुद्धता से पूर्ण होता है। ऐसा अनुभव तब और भी ज्यादा होता है, जब घर की वास्तु वाइब्स सही होती हैं। घर का उत्तर-पूर्व दिशा क्षेत्र साफ-सुथरा हो और वहां किसी तरह की अस्त-व्यस्तता नहीं हो।

घर-परिवार के लोगों के साथ पूजा करने से घर का वातावरण शांत और मधुर बनता है। देवी जी की पूजा-आराधना, हवन आदि दक्षिण-पूर्व दिशा क्षेत्र में हो। घर का यह दिशा क्षेत्र बहुत साफ-सुथरा हो, विशेष तौर पर इन दिनों में ध्यान रखा जाना चाहिए। यदि अंक शास्त्र में देखें तो उसमें भी नौ अंक लाल रंग, तेजी, आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। ये हमें जीवन में ऊर्जा देने में और निरंतर कार्यशील बने रहने में सहायक होता है।

देवी जी की पूजा में भी लाल रंग का एक विशेष महत्व है। यदि इन बातों का हम सब अपने जीवन में या इस समय नवरात्रि में अपनी पूजा-आराधना करने में ध्यान देते हैं तो हम अपने इष्ट से और भी बेहतर जुड़ाव महसूस करते हैं। इससे जीवन में हम जहां भी हैं, जैसे भी हैं, आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। हमारे जीवन में समर्पण भाव भी बढ़ता है, जो हमें आगे ले जाने में और हमारी सफलता में सहायक होता है।

घर में इन दिशा क्षेत्रों के संतुलित होने से हम में स्व की भावना (स्वयं के साथ जुड़ाव) और एकाग्रता का अहसास होता है। इससे जीवन में शांति और भक्ति भाव का आगमन होता है।

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इस समय मां की पूजा आराधना के साथ-साथ उत्तरपूर्व दिशा में 'ध्यान’ करने से खुद में शांति और जीवन में तथा रिश्तों में एक लयबद्धता बढ़ती है। हम में खुशी और संतुष्टि भी आती है। हम स्वयं के विचारों में सकारात्मकता भी महसूस कर सकते हैं।

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