आई एक्सक्लूसिव

- वीसी ने किया आदेश, एक हफ्ते में सौंपे रिपोर्ट

- एसटीपी संचालन में डीजल घोटाले की मिली थी सूचना

मेरठ। एमडीए की विभिन्न योजनाओं में लगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के संचालन में गड़बड़ी सामने आई है। इसको लेकर एमडीए वीसी योगेन्द्र यावद ने सभी एसटीपी का एनर्जी ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं। यही नहीं वीसी ने सभी एसटीपी की सूची तलब करते हुए एक हफ्ते के भीतर एनर्जी ऑडिट की रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात कही है।

क्या है मामला

मेरठ विकास प्राधिकरण की सभी आवासीय योजनाओं में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं। इन प्लांट्स के माध्यम से योजनाओं से निकलने वाले सीवेज को ट्रीट कर कार्बन का डिस्पोजल करना है। इन एसटीपी के लिए एमडीए की ओर से बाकायदा बिजली के कनेक्शन लिए गए हैं। बावजूद इसके एसटीपी के नाम पर डीजल खरीद के आरोप कर्मचारियों पर लगते रहे हैं। पिछले दो माह में वीसी के पास इस तरह की कई शिकायतें पहुंची हैं।

अब होगा एनर्जी ऑडिट

एमडीए पहुंची गड़बड़ी की शिकायतों के बाद वीसी योगेन्द्र यादव ने एसटीपी का एनर्जी ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं। वीसी ने योजनाओं में लगे एसटीपी, क्षमता और इलेक्ट्रीसिटी लोड की सूची तलब की है। इसके साथ ही एक हफ्ते के भीतर एनर्जी ऑडिट की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

ये हैं मानक

एसटीपी अनुबंध के अनुसार साल यानी 365 दिनों में 1430 घंटे यदि पावर सप्लाई बंद रहेगी तो डीजल का भुगतान नहीं किया जाएगा। मतलब दिन में चार घंटे से अधिक बिजली गुल रहने पर ही सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को डीजल का भुगतान मान्य होगा। इसके साथ ही एसटीपी प्लांट स्थापित होने के एक साल बाद से डीजल भुगतान की व्यवस्था शुरू होगी।

यहां है गड़बड़ी

सूत्रों की मानें तो नियम के विपरीत एमडीए ने केवल पहले साल से ही सर्विस प्रोवाइडर को डीजल का पेमेंट करता आ रहा है। बल्कि कंपनी को 10 प्रतिशत लाभांश भी मुहैया कराया जा रहा है। जबकि डीजल के भुगतान में भी गड़बड़ी की जा रही है।

25 साल पुरानी टेक्नोलॉजी

चौंकाने वाली बात यह है कि मोटे खर्च पर बने एसटीपी के माध्यम से एमडीए जिस सीवेज को ट्रीट करने का दावा कर रहा है, वो 25 साल पुरानी टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है। यही कारण है कि इन सीवेज ट्रीटमेंट के बाद एसटीपी से निकलने वाले पानी का खुला वेस्ट किया जा रहा है।

बॉक्स

सामने आया था पेमेंट घोटाला

एमडीए की आवासीय योजना पांडव नगर में एक एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाया जाना प्रस्तावित है। एसवीएस कंस्ट्रशन कंपनी द्वारा यह एसटीपी योजना में एक साल पूर्व लगाया जाना था। प्राधिकरण की ओर से एसटीपी की कुल लागत डेढ़ करोड़ रुपए रखी गई थी। अब जबकि प्राधिकरण की ओर से योजना में प्रस्तावित एसटीपी के लिए जगह का भी चयन नहीं किया, बावजूद इसके प्राधिकरण की ओर से संबंधित कंपनी प्रोजेक्ट के नाम पर 90 लाख रुपए के भुगतान कर दिया गया।

वीसी द्वारा सभी योजनाओं में एसटीपी समेत अन्य पावर कंज्पशन का ब्यौरा मांगा गया है। इसके साथ किसी प्रतिष्ठित कंपनी द्वारा एनर्जी ऑडिट कराए जाने की बात सामने आई है।

-शबीह हैदर, एसई एमडीए