-जिला न्यायालय में अब अधिगृहित जमीन के मुआवजे के मामलों की नहीं होगी सुनवाई

-कचहरी स्थित प्राधिकरण में वाराणसी समेत सात जिलों के मामलों का होगा निस्तारण

VARANASI

रिंग रोड, वरुणा कॉरीडोर, काशी विश्वनाथ कॉरीडोर आदि प्रोजेक्ट्स के लिए अधिगृहित की गई जमीनों के मुआवजे, पुनर्वासन और पुन‌र्व्यवस्थापन के मामलों की सुनवाई अब जिला न्यायालय में नहीं होगी। कचहरी स्थित भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुन‌र्व्यवस्थापन प्राधिकरण ही अब इन मामलों की सुनवाई करेगा। यहां वाराणसी समेत आसपास के सात जिलों के मामलों का निस्तारण होगा।

20 दिसम्बर से आया वर्किंग में

वाराणसी में 20 दिसम्बर से कलेक्ट्रेट स्थित भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुन‌र्व्यवस्थापन प्राधिकरण वर्किंग में आया, जबकि आदेश 25 सितम्बर को दिया गया था। प्राधिकरण में जमीनों के अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुन‌र्व्यवस्थापन के मामलों के निस्तारण की प्रक्रिया चल रही है। पेशकार वीके जोशी ने बताया कि डेली करीब आठ-दस मामलों की सुनवाई होती है।

सात जिलों की अपील होगी

बनारस समेत पूरे पूर्वाचल में रिंग रोड, फ्लाईओवर का निर्माण, सड़क का चौड़ीकरण आदि विकास कार्यो के लिए लोगों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है। अधिकतर जगहों पर प्रशासन और किसानों के बीच मुआवजे को लेकर विवाद है। कचहरी स्थित प्राधिकरण में इन्हीं विवादों की सुनवाई और निस्तारण की प्रक्रिया चलेगी। यहां पर वाराणसी समेत गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर और सोनभद्र के मामलों की सुनवाई होगी।

2013 एक्ट के तहत होगी सुनवाई

केंद्र सरकार ने जनवरी 2014 में भूमि अधिग्रहण के करीब सौ साल पुराने कानून को बदलते हुए 'भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुन‌र्व्यस्थापना में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 पास किया था। कचहरी स्थित प्राधिकरण में इससे पहले के मामले की सुनवाई नहीं होगी। 2013 के बाद हुए अधिग्रहण के मामलों की सुनवाई होगी। पेशकार की मानें तो प्राधिकरण में करीब 150 मामले आए हैं, जो 2013 के पहले के हैं। इस प्राधिकरण को 2013 के पहले के मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है।

जटिल हो जाएगी कवायद

अब तक मुआवजा बांटने से लेकर भूमि अधिग्रहण की कवायद में जिलाधिकारी ही अहम होता थे, लेकिन अब इसको जटिल कर दिया गया है। शासनादेश के मुताबिक अब डीएम की मंजूरी के बाद अधिग्रहण के प्रस्ताव को राजस्व एवं न्याय विभाग से परामर्श लेना होगा। परामर्श मिलने के बाद इसे आवास मंत्री से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंत्री से मंजूरी के बाद ही अधिग्रहण की अधिसूचना जारी हो सकेगी।

प्राधिकरण में स्टाफ की कमी

मानक के अनुसार प्राधिकरण में कुल 12 स्टाफ होना चाहिए, लेकिन तीन कर्मचारी से ही काम चल रहा है। सारे काम तीन बाबुओं से कराया जाता है। एक भी चपरासी नहीं है। इसके चलते सुनवाई के दौरान तमाम दिक्कतें आती हैं।

वर्जन---

इस प्राधिकरण के बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। यहां सात जिलों के इस तरह के मामलों की सुनवाई होती है।

-अशोक कुमार, पीठासीन अधिकरी

भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुन‌र्व्यवस्थापन, प्राधिकरण