- देहराखास के खेतों की सीवरेज से हो रही सिंचाई

- सीएम के पोर्टल पर की गई थी शिकायत, नहीं हुआ समाधान

- नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने माना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

DEHRADUN: क्या आप जानते हैं कि जो ताजी सब्जियां आप खरीद रहे हैं, उसमें जहर भी हो सकता है और वह जहर कैंसर सहित अनेक जानलेवा बीमारियों का कारण भी बन सकता है। सब्जी उत्पादन में किस तरह से स्वास्थ्य संबंधी मापदंडों की अनदेखी की जा रही है, उसका उदाहरण शहर के बीचों-बीच देहराखास क्षेत्र के खेतों में देखा जा सकता है। यहां खेतों के बीच से गुजर रहे एक नाले के सीवरेज से खेतों की सिंचाई की जा रही है। इस बारे में समाधान पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज है, लेकिन कोई समाधान निकालने के बजाय यह शिकायत एक विभाग से दूसरे विभाग और एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर भेजी जा रही है। इधर खेतों में सीवरेज के पानी से सिंचाई का सिलसिला लगातार जारी है और इस सिंचाई से उगने वाली सब्जी कई तरह की बीमारियों के साथ लोगों के घरों तक पहुंच रही है।

क्या है मामला

दून शहर के बीचों-बीच श्री महंत इंदरेश अस्पताल के पीछे देहराखास इलाका है। यहां काफी बड़े हिस्से में खेत हैं और इन खेतों में सब्जी उगाई जाती है। खेतों के बीचोबीच सीवरेज की गंदगी के साथ एक नाला गुजरता है। ठेकेदारों द्वारा इस नाले पर पंप लगाकर सीवरेज का पानी खींचा जा रहा है और इस पानी से इन खेतों की सिंचाई की जा रही है।

समाधान पोर्टल पर शिकायत

मोहित नगर निवासी नितिन जैन ने इस संबंध में ख्ख् अप्रैल को समाधान पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई थी। नितिन जैन ने अपनी शिकायत में कहा था कि इस तरह से सिंचाई करके कैंसर सहित कई तरह की बीमारियों का खतरा है। राज्य सरकार का दावा है कि समाधान पोर्टल पर आने वाली शिकायतों का त्वरित समाधान किया जाता है, लेकिन नितिन जैन की शिकायत का फिलहाल कोई समाधान नहीं हो पाया है।

निगम ने रेलवे को बताया जिम्मेदार

समाधान पोर्टल पर की जाने वाली शिकायतों का क्या हश्र होता है, नितिन जैन की शिकायत इसका एक उदाहरण भी है। पिछले दिनों सीएम के समक्ष इस शिकायत के निवारण के संदर्भ में की गई कार्यवाही का जो ब्योरा दिया गया है, उसके अनुसार नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस नाले में रेलवे ने अपनी सीवर लाइन डाल रखी है, जो कई सालों से है और इस पर रेलवे को कार्यवाही करनी है।

तहसीलदार ने कहा, निगम करे काम

रेलवे की सीवर लाइन होने की बात आई तो मामले की जांच क् जून को तहसीलदार सदर को सौंपी गई। तहसीलदार ने अपनी जांच रिपोर्ट में एक बार फिर यह कहकर गेंद नगर निगम के पाले में डाल दी कि शिकायतकर्ता ने इस नाले को पाइप लाइन से बंद करने को कहा है, इसलिए नगर निगम पाइप लाइन से नाले को बंद करे।

अब गेंद सिंचाई विभाग के पाले में

नगर निगम के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी के पास एक बार फिर शिकायत पहुंची तो उन्होंने बताये गये स्थान का निरीक्षण किया और पाया कि जिस तरह से सीवरेज के पानी से सिंचाई की जा रही है, उससे जन स्वास्थ्य को खतरा है। अपनी जांच रिपोर्ट में स्वास्थ्य अधिकारी ने एक बार फिर सिंचाई विभाग के पाले में गेंद डाल दी और कहा कि सिंचाई विभाग अथवा निर्माण विभाग इस पर पाइप डाले। सीएम को जो रिपोर्ट पेश की गई उसके अनुसार यह शिकायत अब जांच और कार्यवाही के लिए सिंचाई विभाग के पास भेजी गई है।

मैं तो मुसद्दीलाल बन गया : शिकायतकर्ता

इस संबंध में जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शिकायतकर्ता नितिन जैन से उनके फोन पर संपर्क किया तो उनका कहना था कि मैं टीवी सीरियल ऑफिस-ऑफिस का मुसद्दीलाल बन गया हूं। जहां शिकायत पहुंचती है, उसी विभाग से लंबी-चौड़ी जानकारी मांगी जाती है, लेकिन होता कुछ नहीं। अब तक मीडिया से कोई फोन नहीं आया था, अब वह भी आ गया। शिकायत तो कभी दूर होनी नहीं है।

सिर्फ फ्भ्0 मीटर है खुला नाला

नितिन जैन का कहना है नाले में रेलवे का सीवरेज होने की बात झूठी है। यह नाला खुड़बुड़ा से आता है। पहले कांजी हाउस से बांध बनाकर सीवरेज खींचा जाता था, अब मेडिकल कॉलेज बनने के कारण वहां नाला बंद है। अब केवल फ्भ्0 मीटर नाला खुला है और यहीं पर सीवरेज का पानी पंप से निकाला जाता है। इस फ्भ्0 मीटर को कवर करने के मामले में ही इतना सब कुछ हो रहा है।