PATNA: शहर में अक्टूबर से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम शुरू हो जाएगा। इसके लिए निगम ने 200 करोड़ रुपए से वाहन और मशीन खरीदने वाला है। लेकिन आपको बता दें पिछले और इस साल सफाई के नाम पर कई वाहन, डस्टबीन और मशीनें खरीदी गई थी, जिन्हें सड़ने के लिए खुले में रख दिया गया है। इसका खुलासा दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में हुआ है। निगम ने कचरे की तरह इन उपकरणों को अंचलों के कार्यालयों पर लावारिस फेंक दिया। ऐसे में निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। एक तरफ नए उपकरणों को अंचल कार्यालयों पर जंग खाने के लिए खुले में रखा गया। वहीं, फिर से नए उपकरण खरीदने की तैयारी की जा रही है। डीजे आई नेक्स्ट के आज के अंक में पढि़ए निगम में कैसे चल रहा है लापरवाही का खेल।

धूल खा रहे वाहन-ट्राई साइकिल

निगम के चारों अंचलों में ऑटो टिपर, ट्राई साइकिल, डस्टबीन आदि उपकरण लंबे समय से खुले आसमान के नीचे रखे हुए हैं और वे बरसात और धूल में जंग खाकर नष्ट हो रहे हैं। स्थिति यह है कि कई उपकरण जहां आजतक इस्तेमाल नहीं किए गए। इसमें से कई सफाई के उपकरणों को छोटी सी तकनीकी खराबी की वजह से कचरे में फेंक दिया गया। स्थिति यह है कि इसे खरीदने के बाद आज तक इनका उपयोग ही नहीं किया गया।

वाहनों की नहीं हुई मरम्मत

जानकारी के अनुसार निजी एजेंसी के माध्यम से ऑटो टीपर को चलवाया जा रहा था। एजेंसी के चालकों ने मनमाने तरीके से वाहनों को चलाया और जब वाहन खराब हुए तो उसे निगम के कार्यालयों में खड़ा कर दिया गया। वर्तमान में 50 से भी अधिक ऑटो टिपर चारों अंचलों में लावारिस हालत में खड़े हैं। इन वाहनों को बनवाकर दोबारा उपयोग में आसानी से लाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

25 गाडि़यों से हुई थी बैटरी चोरी

नगर निगम के अंचलों में कचरा ढोने वाले 25 ऑटो टिपर से बैटरी ही चोरी कर ली गई। यह पूरी घटना पिछले साल की है। इस चोरी की घटना के बाद निगम ने न तो एफआईआर दर्ज करवाया और न ही वाहनों में नई बैटरी ही लगाई गई। जिसकी वजह से ये ऑटो टिपर अंचलों में लावारिस हालत में खड़े कर दिए गए। जो अब खराब हो रहे हैं।

कर्मियों की संख्या भी बनी चुनौती

नगर निगम में कर्मचारियों की कम संख्या की वजह से भी ज्यादातर वाहन और मशीन इस्तेमाल में नहीं लाए जा सके। निगम में शहर की आबादी के हिसाब से उपकरण तो खरीदे गए लेकिन कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई। शहर से कचरा और कूड़ा एकत्रित करने वाले कर्मचारियों में भी सही ढंग से उपकरण का वितरण नहीं हुआ। जिसकी वजह से ये उपकरण दुर्दशा की भेंट चढ़ गए।

एनजीओ निगम के ऑटो टिपर से कचरा ढोने का काम करती थी। उसने तकनीकी खराबी के बाद गाडि़यां वापस कर दी। मरम्मत के लिए सर्विसिंग सेंटर भेजेंगे और खर्चा एनजीओ से वसूलेंगे।

वीरेंद्र कुमार तरूण, ईओ बांकीपुर अंचल

मेरे यहां साफ-सफाई से संबंधित वाहन या दूसरे किसी भी प्रकार के उपकरण खराब नहीं है।

शैलेष कुमार, ईओ, एनसीसी अंचल।