मेला एरिया में शौचालय सप्लाई करने में फेल्योर साबित हो रहे वेंडर

पब्लिक काट रही सेक्टर आफिसेज के चक्कर

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PRAYAGRAJ: कुंभ मेले में पहली बार अप्लाई की गई शौचालय व्यवस्था श्रद्धालुओं व कल्पवासियों के लिए मुसीबत का सबब बन रही है। हालात यह है कि मेले में आने वाली संस्थाएं पहले शौचालय के प्रबंध में पसीना बहा रही हैं, बाद में ज्ञान-ध्यान की राह खोज रही हैं। यह हाल लगभग सभी सेक्टर का है। वेंडर्स की लापरवाही का नतीजा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भुगतना पड़ रहा है।

बढ़ा लोड तो पटरी से उतरा सिस्टम

पिछले साल तक मेले में शौचालय उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की होती थी। पहली बार 1.22 लाख शौचालय बनाने की जिम्मेदारी आधा दर्जन वेंडर्स को दी गई। मकर संक्रांति स्नान के पहले कल्पवासियों और संस्थाओं का अचानक आगमन हुआ तो प्रेशर में वेंडर्स की हालत खराब हो गई। उनके ठेकेदार शौचालय उपलब्ध कराने से पीछे हटते नजर आ रहे हैं। श्रद्धालु सेक्टर प्रशासनिक कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं। जवाब में उन्हे इंकार सुनना पड़ रहा है।

खुले में शौच, निकली ओडीएफ की हवा

शौचालय उपलब्ध नही होने से मेले में आने वाले खुले में शौच करने को मजबूर हैं। इससे सरकार के ओडीएफ अभियान की हवा भी निकल रही है। कई सेक्टर्स में खुले में शौच करने वालों को स्वच्छाग्राहियों के कोपभाजन का शिकार भी होना पड़ रहा है। ऐसे में आपस में बहस की स्थिति भी बन रही है। लोगों का कहना है कि दो से तीन दिन बीत जाने के बावजूद शौचालय उपलब्ध न हो पाने से हम खुले में जाने को मजबूर हैं।

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अभी भी वक्त है, पुराने सिस्टम को दें जिम्मेदारी

जिस तरह से वेंडर्स शौचालय सप्लाई में फेल्योर साबित हो रहे हैं। उसको देखते हुए मेला प्रशासन पुराने सिस्टम को आजमा सकता है। इस साल 1.22 लाख शौचालय में आधा दर्जन वेंडर्स को सप्लाई के आर्डर दिए गए हैं। इनमें से किसी को 11 हजार तो किसी को 24 हजार शौचालय देने थे। जो लोग फेल हो रहे हैं उनका आर्डर निरस्त कर वापस स्वास्थ्य विभाग को दिया जा सकता है। पिछले मेलों तक स्वास्थ्य विभाग के ठेकेदार शौचालय सप्लाई करते थे और उन्हे इसकी आदत भी है।

बंद हो गया है पर्ची सिस्टम

पिछले साल तक शौचालय की सप्लाई में क्राइसिस होने पर पर्ची सिस्टम भी अपनाया जाता था। इसमें प्राइवेट तौर पर पर्ची काटकर दी जाती थी और श्रद्धालु इनको निजी वेंडर्स से ले लेते थे। इसका नामिनल चार्ज लगता था। मेला प्रशासन ने इस बार इस व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया है। ऐसे में मेले में आने वालों के पास मेला कार्यालयों का चक्कर काटने और शौचालय की जंग लड़ने के अलावा दूसरा रास्ता नही बचा है।

सभी वेंडर्स को स्ट्रिक्ट निर्देश दिये गये हैं कि वे मेले से पहले शौचालय शुरू करके दें। वे 31 जनवरी तक का समय मांग रहे हैं। यह उन्हें नहीं दिया जा सकता है। हमारी पूरी कोशिश है कि शाही स्नान से पहले शौचालयों को दुरुस्त करा दिया जाय।

विजय किरन आनंद

कुंभ मेलाधिकारी