शुक्रवार को इसकी पहली खेप पहुँच भी गई है। हवाई जहाज़ के ज़रिए पहुँची इस खेप को कड़ी सुरक्षा में राजधानी काराकस के केंद्रीय बैंक तक पहुँचाया गया।

राष्ट्रपति चावेज़ ने इसे देश की संप्रभुता का मामला बताया है और कहा है कि इससे देश का खज़ाना दुनिया में चल रही आर्थिक उथल-पुथल से बचा रहेगा। हालांकि इस फ़ैसले की निंदा करने वालों का कहना है कि ये एक खर्चीला और अनावश्यक है। विपक्षी दलों ने इसे चुनावी राजनीति से जो़ड़कर देखना शुरु कर दिया है।

क्यों लाया जा रहा है खज़ाना?

वेनेज़ुएला की योजना विदेशों में जमा सोने में से कुल 160 टन को देश वापस लाने की है। इसकी क़ीमत 11 अरब डॉलर (लगभग 583 अरब रुपए) है।

राष्ट्रपति चावेज़ ने कहा है, "सोना वहीं लौट रहा है, जहाँ उसे होना चाहिए था, वेनेज़ुएला के केंद्रीय बैंक के वॉल्ट में." अधिकारियों का कहना है कि जो पहली खेप देश में लौटी है वह यूरोपीय देशों से आई है। हालांकि अभी ये नहीं बताया गया है कि पहली खेप में कितना सोना आया है। वैसे वेनेज़ुएला का ज़्यादातर सोना लंदन में रखा हुआ है।

केंद्रीय बैंक के प्रमुख नेल्सन मेरेंतेज़ ने सोने की वापसी को 'ऐतिहासिक' बताया है। उन्होंने कहा, "इसका ऐतिहासिक महत्व है, इसका प्रतीकात्मक महत्व है और इसका वित्तीय महत्व भी है। इससे हमारी संपत्ति से देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और हम किसी के दबाव में नहीं रहेंगे." लेकिन विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति चावेज़ के इस निर्णय की निंदा की है।

उनका कहना है कि चावेज़ ने ये फ़ैसला अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए किया है जिससे कि उन्हें अक्तूबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में फ़ायदा मिल सके। चावेज़ इन चुनावों में एक बार फिर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे।

कुछ आलोचकों का कहना है कि चावेज़ ये क़दम इसलिए उठा रहे हैं जिससे कि वेनेज़ुएला की इस संपत्ति को आर्थिक प्रतिबंध के तहत सील न कर दिया जाए, जैसा कि उनके मित्र और सहयोगी गद्दाफ़ी के मामले में हुआ।

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