- आरएफए तकनीक से ठीक किए तीन मरीज

- अब चीर फाड़ की जरूरत नहीं

LUCKNOW: मरीज की इलाज के बाद भी पैरों में सूजन, खून की नलियां अत्यधिक मोटी दिखे और दर्द भी रहता है तो यह वेरीकोज वेन की दिक्कत हो सकती है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सीवीटीएस विभाग के डॉक्टर्स ने शनिवार को ऐसे तीन मरीजों का आरएफए तकनीक से सर्जरी कर नई जिंदगी दी।

तो लें डॉक्टर की सलाह

ऑपरेशन करने वाले डॉ। शैलेंद्र कुमार ने बताया कि ऐसी समस्या होने पर कार्डियो वैस्क्युलर थोरेसिक सर्जरी विभाग में परामर्श लेना जरूरी है। वेरीकोज वेन को अब नयी तकनीक आरएसए से ब्लाक कर दिया जाता है। इससे सूजन समाप्त हो जाती है। अभी तक इसके लिए सर्जरी करनी पड़ती थी। जिसमें मरीज का लाखों रूपए खर्च हो जाता था। जबकि इस नई तकनीक में सिर्फ 10 से 15 हजार रूपए के खर्च में मरीज की समस्या ठीक हो जाती है।

इस कारण होती है समस्या

डॉ। शैलेंद्र ने बताया कि आम तौर पर लोग पैरो में सूजन आने के कारणों को ब्लड प्रेशर बढ़ना, यूरिक एसिड बढ़ना आदि कारण मान कर आर्थोपैडिक व अन्य विशेषज्ञों से इलाज कराते रहते है। समय पर इलाज न होने पर स्किन का रंग काला पड़ने व दर्द होने लगता है। इस बीमारी में पैरो की वेरीकोज रक्तवाहिनी में दिक्कत आती है और पैर में सूजन बनी रहती है। अभी तक इस वेन को तलाश कर पैर में एक विशेष स्थान पर चीरा लगाकर सर्जरी की जाती थी और नली को ब्लाक कर दिया जाता था। लेकिन अब रेडियो फ्रीक्वेंसी एविलेशन तकनीक से खून की नली में एक तार डालकर वेरीकोज वेन में प्रवेश कर वेरीकोज वेन्स की जगह को तलाश कर उसे ब्लाक कर देते हैं। इस तकनीक में लेजर व अन्य अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग उपकरणों की सहायता से किया जाता है।