तो ये था पहला लव लेटर

इस लव लेटर की खास बात यह है कि इसे लिखा भारत में गया था, लेकिन इसे लिखने वाले एक विदेशी टीचर जॉन मैकेनन थे। जॉन मैकेनन मसूरी के लेंडेड स्टेट स्कूल में लैटिन भाषा के अध्यापक थे। उन्होंने ये लेटर 14 फरवरी 1843 को अपनी बिलव्ड एलिजाबेथ लुईस को लिखा था। लुईस उनकी पत्नि थी। ये लेटर उन्होंने वेलेंटाइन के खास मौके पर अपनी वाइफ को अपनी फीलिंग्स बताने के लिए लिखा था। इस लेटर में  उन्होंने अपने दिल की सारी बातें शब्दों के जरिए एलिजाबेथ तक पहुंचाने की कोशिश की थी।

वेलेंटाइन डे पर लिखा लेटर

जॉन ने अपनी वाइफ को उस लेटर में लिखा कि चाहे ये लेटर तुम्हें जब भी मिले, लेकिन ये मैंने वेलेंटाइन डे के मौके पर तुम्हारे लिए खास लिखा है। शादी से पहले मेरी लाइफ बिल्कुल बोरिंग थी, मसूरी के जंगलों में उसे बेमतलब देखता था, लेकिन जब से तुम से शादी हुई है मानो जिंदगी को नए मायने मिल गए हैं। तुम मेरा बहुत ध्यान रखती हो। तुमने जिंदगी में आकर मुझ में जिंदगी जीने की नई प्रेरणा जगाई है।

छह महीने बाद पहुंचा लेटर

उस दौर में अगर डाक सेवा की बात करें तो, भारत में डाक सेवा की स्थिति बहुत बेहतर नहीं थी। इंडिया में डाक सेवा 1828 में शुरू हुई थी। उस वक्त एक पत्र छह महीने बाद समुद्र के रास्ते इंग्लैंड पहुंचता था, लेकिन सच्चे प्रेम को कोई दूरी नहीं दूर कर सकती। जॉन मैकेनन और एलिजाबेथ लुईस के कुछ ऐसे ही लेटर्स का जिक्र उनके करीबी दोस्त एडम माइगन ने अपनी किताब 'मसूरी मर्चेंट द इंडियन लैटर्सÓ में किया है। ये बुक लिखने के 50 साल बाद पब्लिश हुई थी, इस प्रेम कहानी के हीरो जॉन मैकेनन की डेथ 32 साल की उम्र में 1849 में हो गई थी। उनकी कब्र आज भी मेरठ के चर्च सेंट जोंस चर्च में है। भले ही जॉन बहुत कम उम्र में दुनिया से चल गए, लेकिन आज भी उनके इस लव टोकन को लोग जानना चाहते हैं।