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KANPUR: कादर उन एक्टर्स में शामिल थे जिन्होंने निगेटिव और कॉमिक कैरेक्टर्स को तो बखूबी प्ले किया ही, साथ ही पिता और दूसरे कैरेक्टर्स में भी जान डाल दी। उन्होंने बेनाम, रोटी, अमर अकबर एंथनी, परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, सुहाग, मिस्टर नटवरलाल, याराना, लावारिस जैसी फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखे। सुपरहिट फिल्म रोटी के लिए उन्हें 1974 में एक लाख बीस हजार रुपये बतौर फीस मिले थे। उस दौर में यह रकम बहुत बड़ी मानी जाती थी।

अमिताभ से थी गहरी दोस्ती
कादर खान ने मेगास्टार अमिताभ बच्चन की कई सुपरहिट फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखे हैं और इन दोनों की दोस्ती भी काफी गहरी थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'मैं अमिताभ को लेकर फिल्म भी बनाना चाहता था लेकिन इससे पहले ही बच्चन को कुली की शूटिंग के दौरान चोट लग गई, फिर वो राजनीति में चले गए और फिल्म कभी बन नहीं पाई। हमारे बीच भी दरार आ गई। जब वो एमपी बन गया तो मैं ख़ुश नहीं था क्योंकि यह सियासत इंसान को बदलकर रख देती है। वो जब वापस आया तो मेरा अमिताभ बच्चन नहीं था। मुझे बहुत दुख हुआ।

जिसपर जनता ताली बजाए
कादर खान की जिंदगी में बड़ा मोड़ तब आया जब 1974 में मनमोहन देसाई और राजेश खन्ना के साथ उन्होंने फिल्म रोटी में काम करने का मौका मिला। देसाई को कादर पर खास भरोसा नहीं था। वह अक्सर कहते, तुम लोग शायरी तो अच्छी कर लेते हो पर मुझे चाहिए ऐसे डायलॉग जिसपर जनता ताली बजाए। फिर क्या था, कादर खान डायलॉग्स लिखकर लाए और मनमोहन देसाई को उनके डायलॉग इतने पसंद आए कि वो घर के अंदर गए, अपना तोशिबा टीवी, 21000 रुपये और ब्रेसलेट कादर को वहीं तोहफे में दे दिया।   

कादर खान को मिले थे ये अवार्ड

फिल्म अंगार, बाप नंबरी बेटा दस नंबरी और मेरी आवाज सुनो के डायलॉग्स लिए इस हरफनमौला एक्टर को फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाजा गया। इसके अलावा वह 10 बार बेस्ट कॉमेडियन कैटेगरी में फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नॉमिनेट हो चुके थे। हिंदी सिनेमा में उनके कॉन्ट्रिब्यूशन के लिए साल 2013 में उन्हें साहित्य शिरोमणि ऑनर भी दिया गया।

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