राहुल गांधी सबसे पहले शामली ज़िले के मलकपुर शिविर गए और दंगा पीड़ितों से हालात का जायज़ा लिया.

उन्होंने दंगा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का भरोसा दिया और पीड़ितों से वापस अपने गाँव लौटने की अपील की.

राहत शिविरों में रह रहे दंगा पीड़ितों ने राहुल गांधी से मकान बनाने के लिए ज़मीन आवंटन की माँग की.

राहुल गांधी के काफ़िले को रोककर जोगिया खेड़ा गाँव में लोगों ने उनसे बात करने की कोशिश भी की. ये लोग राहुल गांधी के मुज़फ़्फ़रनगर के दंगा पीड़ित नौजवानों के बारे में आईएसआई संबंधी बयान का विरोध कर रहे थे.

दंगे

दंगा पीड़ितों ने राहुल से मांगी ज़मीनदंगा पीड़ितों ने राहुल गांधी से मकान बनाने के लिए ज़मीन आवंटन की माँग की.

सात सितंबर को मुज़फ़्फ़रनगर में जाटों की महापंचायत के बाद उसी दिन शाम को और अगले दिन मुज़फ़्फ़रनगर, शामली और बाग़पत ज़िलों के कई इलाक़ों में दंगे हुए थे, जिनमें पचास से अधिक लोग मारे गए थे और चालीस हज़ार से अधिक विस्थापित हुए थे.

प्रशासन के मुताबिक़ अधिकतर विस्थापित वापस अपने गाँव लौट चुके हैं, लेकिन दंगों के तीन माह बाद भी मुज़फ़्फ़रनगर और शामली के राहत शिविरों में अभी भी हज़ारों लोग अमानवीय हालात में रह रहे हैं.

दोनों ज़िलों का प्रशासन लगातार लोगों से राहत शिविर छोड़कर वापस लौटने या फिर सरकारी राहत शिविरों में आने की अपील कर रहा है.

मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के डीएम कौशल राज ने बीबीसी को बताया, "हमारी कोशिश है कि सभी राहत शिविर बंद हो जाएं और लोग अपने घरों को वापस लौट जाएं. जो लोग अपने घर नहीं जा सकते, उन्हें हम पक्की इमारतों में सरकारी राहत शिविर में रखने के लिए तैयार हैं. यह दुखद है कि प्रशासन की अपील के बाद भी लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं."

कौशल राज ने बताया कि प्रशासन ने धार्मिक संगठनों को पत्र लिखकर लोगों से वापस लौटने की अपील भी की है.

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