- विधानसभा में उठा क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में डॉक्टरों के आंदोलन का मसला

DEHRADUN: क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी डॉक्टरों के सप्ताहभर से चल रहे आंदोलन का मसला थर्सडे को विधानसभा सत्र के दौरान सदन में उठा। विपक्ष कांग्रेस ने इस मामले में राज्य सरकार को घेरने का प्रयास किया और सरकार पर आरोप लगाया कि उसे मरीजों की कोई चिंता नहीं है। संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी मसले का समाधान आंदोलन नहीं, बल्कि वार्ता से संभव है। निजी डॉक्टरों के लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं। वे कठिनाइयां बताएं और सरकार क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के दायरे में इनके निदान का रास्ता निकालने को तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि इस आंदोलन से प्रदेश में संकट जैसी कोई स्थिति नहीं है। उनके जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने इस मसले पर सदन से वॉकआउट कर दिया।

डॉक्टरों की समस्या पर गंभीर नहीं सरकार: कांग्रेस

कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने निजी डॉक्टरों के आंदोलन का मसला रखते हुए नियम 58 के तहत इस पर चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 80 फीसद आबादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी डॉक्टरों पर निर्भर है। निजी डॉक्टर आंदोलित होने के कारण विकट स्थिति है और मरीजों को भटकना पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों की स्थिति ऐसी नहीं कि वे मरीजों का पूरा भार उठा सकें। इस मामले में सरकार का रवैया उदासीन है। यही नहीं, राज्य में स्वाइन फ्लू भी दस्तक दे चुका है। उन्होंने कहा कि एक्ट को लेकर समस्याएं आ रही हैं तो डबल इंजन इन्हें दूर क्यों नहीं कर रहा। नेता प्रतिपक्ष डॉ। इंदिरा हृदयेश ने कहा कि एक्ट के मद्देनजर अन्य राज्यों ने जिस तरह की सुविधाएं दी हैं, उनके आधार पर रास्ता निकाला जाना चाहिए। विधायक एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि हर बात के लिए पूर्ववर्ती सरकार को दोषी ठहराना ठीक नहीं है। यदि पूर्ववर्ती सरकार से कोई भूल हुई है तो मौजूदा सरकार उसे सुधारे। उन्होंने कहा कि निजी डॉक्टरों की जो कठिनाइयां हैं, उन्हें दूर कराया जाए। इसके लिए सरकार को उनसे वार्ता करनी चाहिए। साथ ही एक्ट के प्रावधानों को लेकर कोई प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाना है तो सदन में पारित किया जाए। विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने निजी डॉक्टरों की हड़ताल से प्रदेश में संकट जैसी किसी स्थिति को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में चौबीसों घंटे सेवाएं दी जा रही हैं और इस कड़ी में डॉक्टरों व स्टाफ की छुट्टियां कैंसिल की जा चुकी हैं। इसके अलावा मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों में मरीजों को उपचार मिल रहा है और कहीं किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट में राज्य सरकार संशोधन नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि एक्ट के प्रावधानों को लेकर पूर्व में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बताया कि भवन संबंधी मानकों के चलते पंजीकरण में असुविधा हो रही है। इस पर निजी डॉक्टरों के लिए आवास विभाग की ओर से नियमों में छूट देते हुए वन टाइम सेटलमेंट योजना लाई गई। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी व्यवस्था को ठीक करना चाहती है। समाधान वार्ता से ही होगा, मगर एसोसिएशन बताए कि वह क्या चाहती है। उन्होंने कहा कि यदि किसी राज्य में कोई संशोधन हो तो उसे भी देख लिया जाएगा। विपक्ष सरकार के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने सदन से वॉकआउट कर दिया।