RANCHI : 34वें नेशनल गेम्स घोटाले की जांच चार सालों से चल रही है। निगरानी के पास जांच का जिम्मा है। खास बात है कि जांच के सिलसिले में अबतक पांच अनुसंधानकर्ता बदल चुके हैं। सबसे पहले इस घोटाले के अनुसंधानकर्ता प्रशांत कर्ण थे, जो उस समय विजिलेंस डिपार्टमेंट में एएसपी थे। उन्होंने इस बाबत कई लोगों से पूछताछ की और रिपोर्ट तैयार की, पर इसके बाद उनका तबादला कर दिया गया। इसके बाद देवेंद्र ठाकुर, शैलेंद्र सिन्हा और एम रिजवी नेशनल गेम्स स्कैम के आईओ का जिम्मा संभाल चुके हैं। इस दौरान घोटाले से जुड़े तथ्यों को इकट्ठा करने के साथ आरोपियों के बयान को दर्ज किया।

आनंद जोसेफ तिग्गा बने आईओ

सितंबर, 2013 में आनंद जोसेफ तिग्गा ने निगरानी में एएसपी का प्रभार लिया। प्रभार में आने के बाद आनंद जोसेफ को इस केस को समझने में तीन महीने का समय लगा। इस दौरान उन्हें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होने की जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने एडीजी नीरज कुमार सिन्हा को पूरी जानकारी दी। एडीजी नीरज कुमार सिन्हा के निर्देश पर आईओ के तौर पर उन्होंने मंगलवार को जेओए के महासचिव एसएम हाशमी और तत्कालीन स्पो‌र्ट्स डायरेक्टर पीसी मिश्रा से पूछताछ के लिए बुलाया। इन दोनों के द्वारा घोटाले को लेकर दिए गए गोलमटोल जवाब और कोई प्रमाण नहीं देने पर गिरफ्तार कर लिया गया।

एक्पायर्ड मेडिसीन की सप्लाई

निगरानी जांच में यह बात भी सामने आई है कि खिलाडि़यों के लिए जिन दवाओं की आपूर्ति की गई थी, उसमें लाखों रुपए की दवाईयां एक्सपायर हो चुकी थी। नेशनल गेम 2011 में हुआ था, जबकि दवाएं दिसंबर, 2010 में एक्पायर हो चुकी थी, फिर भी आयोजन समिति ने इन दवाओं को भंडार पंजी की पुस्तिका में दर्ज किया था। बताया जाता है कि दवा आपूर्ति का काम सुरेश कलमाडी की बेटी की कंपनी को दिया गया था। निगरानी की टीम सुरेश कलमाडी की बेटी से भी पूछताछ करेगी।