-देहरादून महानगर सिटी बस सेवा 'महासंघ' ने लगाए आरोप

-महासंघ ने शहर के प्रत्येक रूट पर कराया विक्रम का सर्वे

-पंजीकृत सूची में नहीं है इन सैकड़ों विक्रमों के नंबर शामिल

DEHRADUN : देहरादून महानगर सिटी बस सेवा 'महासंघ' ने शहर में विक्रमों के अवैध संचालन का आरोप लगाया है। वेडनसडे को नरदेव शास्त्री मार्ग स्थित प्रधान कार्यालय में महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने कहा कि उन्होंने कुछ समय पहले संभागीय परिवहन कार्यालय से पंजीकृत विक्रमों की संख्या की सूचना मांगी।

77ब् विक्रम हैं बकायदा रजिस्टर

शहर में 77ब् विक्रमों की संख्या पंजीकृत बताई गई। इस सूची में विक्रम का नंबर और स्वामी का नाम भी दर्ज था। इसके बाद महासंघ की ओर से उन्होंने शहर में विभिन्न रूट पर सर्वे किया तो उसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जिसमें विभिन्न रूट पर करीब फ्0ख् विक्रम अवैध रूप से पाए गए। यह बगैर परमिट के ही शहर में चल रहे हैं। जबकि इनका मिलान भी पंजीकृत सूची से किया गया। लेकिन इनमें से एक भी विक्रम का नंबर सूची में शामिल नहीं है।

सीमाद्वार रूट पर 9फ् बगैर परमिट

सर्वे के अनुसार राजपुर रोड पर करीब ब्ब्, धर्मपुर रूट पर भ्7, माजरा, सीमाद्वार रूट पर 9फ्, प्रेमनगर रूट पर ख्म्, परवल रूट पर 7, रायपुर सहस्त्रधारा रूट पर ख्0, मोथरोवाला रूट पर फ्0, एमडीडीए केदारपुरम रूट पर क्9, घंटाघर से कौलागढ़ रूट पर म् और घंटाघर से गढ़ीकैंट रूट पर एक विक्रम का संचालन अवैध रूप से चल रहा है। महासंघ ने इन अवैध रूप से चल रहे विक्रमों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए ड्राइवर व वाहन मालिक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

कठोर कार्रवाई करने की मांग

साथ ही इस संबंध में आरटीओ, डीएम,एसएसपी व डीजीपी को भी विज्ञप्ति प्रेषित करने की बात कही। महासंघ की ओर से अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने कहा कि अगर शीघ्र ही कार्रवाई नही होती है तो फिर महासंघ परिवहन विभाग में ऐसे ही पिछले कई मामलों के साथ दिल्ली के जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन शुरू कर देगा। इस मौके पर अनुज गोयल, अनुज चंदेल, मनमोहन बिष्ट, रघुवीर नेगी, राकेश सोनकर, पंकज बिष्ट, राजेश शर्मा, केशर सिंह रावत आदि शामिल रहे।

बढ़ सकती है इनकी संख्या?

यह तो सिर्फ शहर के वह चंद रूट हैं जहां विक्रमों का संचालन होता है। उसमें करीब फ्0ख् बगैर परमिट के विक्रम चलते हुए दिखाई दिए। अगर पूरे जिले की बात करें तो इनकी संख्या भ् गुना अधिक होने की संभावनाएं हैं। अगर यह सही तो फिर परिवहन विभाग को इस पर लगाम जरूर कसनी होगी। क्योंकि वाहनों की इतनी संख्या बगैर परमिट के हैं तो फिर सरकार को भी राजस्व का चूना लग रहा है।

'अगर कोई विक्रम बगैर परमिट के मिलता है तो उस पर कठोर कार्रवाई करते हुए उसे सीज कर दें। मैं स्वयं कई बार परिवहन विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारियों से यह कह चुका हूं। कोई गलत तरीके से संचालन कर रहा है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें, लेकिन जहां तक महानगर सिटी बस यूनियन का सवाल है तो वह तो लगातार विक्रम संचालकों के पीछे पड़े हुए हैं। विक्रमों को स्टेज कैरिज करने की प्रक्रिया चल रही है जिसका वह विरोध कर रहे हैं.'

-सतीश शर्मा, अध्यक्ष,

विक्रम जनकल्याण सेवा समिति