कई मंत्रालयों में किया है घोटालों का पर्दाफाश

विनोद राय के कार्यकाल में ही कैग ने यूपीए के शासन में एक के बाद एक कई मंत्रालयों में घोटालों का पर्दाफाश किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैंक बोर्ड ब्यूरो के अध्यक्ष पद पर राय के नाम की मुहर लगाई है। राय के अलावा इस ब्यूरो में आईसीआईसीआई के पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक एच एन सिनोर बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व सीएमडी अनिल खंडेलवाल और रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के पूर्व प्रमुख रुप कुडवा बतौर सदस्य शामिल होंगे। राय की नियुक्ति दो साल के लिए की गई है।

बैंको का हजारों करोड़ कर्ज में है फंसा

मोदी सरकार ने बैंक बोर्ड ब्यूरो का गठन ऐसे समय किया है जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको के फंसे कर्ज की राशि लगभग चार लाख करोड़ रुपये की सीमा को पार करने को है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सबसे बड़ी समस्या इस समय फंसे कर्ज की है। ब्यूरो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको में निदेशकों की नियुक्ति धन जुटाने के तरीकों और विलय तथा अधिग्रहण के संबंध में सलाह देगा। इसके अलावा ब्यूरो लगातार बैंको के निदेशकों के साथ संपर्क में रहकर बैंको के लिए रणनीति तैयार करने में भी मदद करेगा। साथ ही गैर कार्यकारी अध्यक्ष और गैर सरकारी निदेशकों की नियुक्ति भी यही बोर्ड करेगा।

कांग्रेस ने किया राय को अध्यक्ष बनाए जाने पर ऐतराज

कांग्रेस पार्टी ने बैंक बोर्ड ब्यूरो के अध्यक्ष पद पर पूर्व सीएजी विनोद राय के बनाए जाने पर ऐतराज जताया है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने टृवीट कर कहा कि प्रधानमंत्री ने राय को पदम अवार्ड दिया है और अब उन्हें बैंक बोर्ड ब्यूरो का अध्यक्ष बना दिया है। अरूण जेटली ने पूर्व में कहा था कि सीएजी को सेवा निवृत्त के बाद कोई पद नहीं दिया जाएगा। उन्होंने सरकार पर यूटर्न का आरोप लगाया है। सुरजेवाला ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको में नियुक्त करने वाली संस्था का अध्यक्ष राय को बनाने से क्या संविधान के अनुच्छेद 148(4) का उल्लंघन नहीं है।

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