आखिर कहां है इलेक्शन कोड?

- आचार संहिता लागू होने के बाद भी नहीं दिख रहा असर

- अभी भी कई स्थानों पर लगे हैं सत्ताधारी दल के होर्डिग्स

- कार्रवाई का प्रावधान होने के बाद भी प्रशासन खामोश

- धारा 144 लागू होने के बाद भी सिटी में धरना-प्रदर्शन जारी

Meerut : लोकतंत्र के महापर्व में आहुति डालने का समय आ गया है। चुनाव आयोग की घोषणा के बाद पहले चरण के लोकसभा चुनाव की तैयारियां हर स्तर पर शुरू हो गई हैं। इलेक्शन कराने के लिए पुलिस-प्रशासन प्लान बनाकर तैयारी में जुटा है, लेकिन सबसे अहम है आचार संहिता का पालन कराना। इसके लिए प्रशासन और पुलिस कितनी तैयार है, इसका जायजा आई नेक्स्ट ने लिया। यूं तो नियमानुसार आचार संहिता लागू होने के ख्ब् घंटे बाद ही सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों से सरकारी नीतियों का गुणगान करने वाले तमाम होर्डिंग्स, बैनर, पोस्टर आदि प्रचार सामग्री हट जानी चाहिए थी। अब सिटी पर नजर डालते हैं, अभी भी कई स्थानों पर प्रचार सामग्री नहीं हटाई गई है। इसके अलावा लगभग सभी दल के नेताओं के वाहनों पर भी पार्टी का झंडा लगा हुआ है। उधर, आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान होने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

अभी काफी पीछे है प्रशासन

बुधवार को लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही प्रशासन ने भी मीटिंग कर आदर्श आचार संहिता लागू कराने के लिए तमाम अधिकारियों की फ्भ् टीमें गठित कर सख्त आदेश दिए, लेकिन अफसरों की फौज सिटी में आचार संहिता का पालन कराने में अभी तक तो नाकाम ही है। बात प्रचार सामग्री को हटाने की हो या, वाहनों पर लगे पार्टियों के झंडे की तो, अभी भी नगर में इनकी भरमार है।

नहीं दिख रहा असर

आचार संहिता लागू होने के बाद प्रशासन ने तमाम दलों को अपनी प्रचार सामग्री हटाने और आचार संहिता का पालन करने की हिदायत दी। प्रशासन ने इसके लिए ख्ब् घंटे का समय दिया था। साथ ही प्रशासन ने प्रचार सामग्री उतारने और उसकी विडियो ग्राफिक कराने का खर्च प्रत्याशी से करने की बात भी कही गई। समय सीमा को बीते हुए भी ख्ब् घंटे से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन आचार संहिता का पालन अभी सिटी में होता नहीं दिख रहा है।

किसके लिए है आचार संहिता

इलेक्शन की घोषणा के साथ लागू हुई आचार संहिता में आखिर किसके लिए है। दल और प्रत्याशी के लिए आचार संहिता में उन्हें काबू में रखने के लिए तमाम प्रावधान है, लेकिन चुनाव में नेताओं पर इन प्रावधान का कितना असर होता है, हर बार इलेक्शन के दौरान सामने आता है। उधर, पब्लिक के लिए भी कई नियम हैं, जिसमें धनराशि से लेकर समूह में जमा होकर अपनी बात अधिकारियों के सामने रखने तक आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है। हर बार आचार संहिता के बहाने पब्लिक को ही तमाम मुसीबतों का समना करना पड़ता है।

सब के लिए बराबर लागू हो नियम

आदर्श आचार संहिता का पालन पब्लिक से ज्यादा नेताओं के लिए जरूरी है। प्रशासन को भी सख्त होना चाहिए।

- नीलम जैन

हर बार चुनाव के दौरान दावे किए जाते हैं, लेकिन सब पब्लिक पर ही लागू होता है। नेताओं के लिए आचार संहिता लागू होने का कोई असर नहीं दिखता है।

- आचार्य बगीश्वर

इलेक्शन के दौरान लागू नियम सब के लिए बराबर होने चाहिए, लेकिन प्रशासन की लापरवाही से ऐसा नहीं हो पाता।

- रेखा रानी

प्रशासन को चाहिए कि पब्लिक को भी आदर्श आचार संहिता की जानकारी दें। इससे पब्लिक को अपने हक और बंदिशों का पता चलेगा।

- अरविंद गुप्ता

बोले डीएम

इलेक्शन की घोषणा होते ही आचार संहिता लागू हो गई है। इसका पालन कराने के लिए प्रशासन सख्त है। इसके लिए टीम गठित कर दी गई हैं।

- पंकज यादव, डीएम

कैंडिडेट के लिए आदर्श आचार संहिता

क्- सुधारें अपना आचरण

- दल या प्रत्याशी जाति, धर्म और भाषा स्तर पर ऐसा कुछ न करें, जिससे तनाव पैदा हो।

- धार्मिक स्थलों पर चुनाव प्रचार नहीं होना चाहिए, सांप्रदायिकता की बात भी नहीं हो।

- मतदाता को रिश्वत देकर अपने पक्ष में करना और डराना, धमकाना भी आचार संहिता का उल्लंघन है।

- दल या नेता अपने विपक्षी दलों की आलोचना तो करें पर व्यक्तिगत आरोप न लगाएं।

- राजनीतिक दल एक-दूसरे की चुनाव प्रचार सभाओं में बाधा न डालें।

- अनुमति के बिना चुनाव प्रचार सामग्री का प्रयोग न हो।

ख्- सभाओं में रखें ध्यान

- सभा के स्थान और समय के बारे में प्रशासन से अनुमति अनिवार्य है।

- पुलिस को पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं और अव्यवस्था फैलाने वालों की सूचना पुलिस को दें।

- सभा से पहले जानकारी होनी अनिवार्य है कि सभा स्थल पर कोई प्रतिबंध तो नहीं है।

- लाउडस्पीकर की अनुमति भी अनिवार्य है।

फ्- संभाल कर निकालें जुलूस

- प्रशासन और पुलिस को पहले सूचना देना जरूरी है।

- अनुमति के बाद जुलूस के समय, मार्ग और स्थान में कोई बदलाव नहीं होगा।

- जुलूस निकालने से पहले सभी जानकारी पहले कर लें।

- जुलूस निकालने के दौरान तय करें कि उससे ट्रैफिक जाम तो नहीं होगा।

- पुलिस के निर्देशों और सलाह का पालन अनिवार्य है।

- दो दलों का जुलूस एक रास्ते और एक समय पर नहीं होना चाहिए।

- जुलूस के दौरान तनाव व्याप्त कराने वाली वस्तुओं का प्रयोग न करें।

- जुलूस के दौरान प्रदर्शन, नारेबाजी, पुतला दहन पर पूरी तरह से रोक है।