चार घंटे तक पुलिस की लाठी चलती रही

इनके गुस्से को आग लगाने में विद्युतकर्मी भी पीछे नहीं रहे, लिहाजा चार घंटे तक पुलिस की लाठी चलती रही और सामने आने वाला हर शख्स शिकार होता रहा। विद्युत कर्मी से लेकर आम पब्लिक तक पुलिस की लाठियों के शिकार हुए। बात यहीं खत्म नहीं हुई, कर्मियों ने विद्युत भवन में छिपे लोगों को ढूढऩे के लिए कैंपस की दोनों बिल्डिंग की जांच की और जो भी बाहर निकला, उसकी जमकर पिटाई कर दी। इस दौरान कई पुलिस वाले इसका विरोध भी कर रहे थे। इस घटना के बाद विद्युत भवन के कर्मियों को जांच कर बाहर निकाला गया, लेकिन गुस्साए कर्मियों ने किसी की नहीं सुनी और फिर दनादन देते चले गए।

ट्रैफिक में प्रॉब्लम आ रही थी

पुलिस और विद्युत कर्मी की रंजिश दरअसल डायरेक्टली नहीं था। विद्युतकर्मी अपनी मांगों के साथ विद्युत भवन के पास बैठे थे। इनकी गलती थी कि सड़क पर भी इनके लोग बैठे हुए थे, जिससे ट्रैफिक में प्रॉब्लम आ रही थी। जब इन लोगों ने उठने से इंकार किया, तो फिर पुलिस ने बल का इस्तेमाल किया। फिर क्या था, चारों तरफ से पथराव और बीच में पुलिसकर्मी का डंडा, देखते-देखते इनकम टैक्स गोलंबर से लेकर हाईकोर्ट तक मैदान बन चुका था। लाठीचार्ज के बाद टीयर गैस भी छोड़ा गया। दो दर्जन से अधिक थाने की पुलिस के साथ-साथ पुलिस लाइन की पुलिस ने भी मोर्चा संभाल लिया। इस दौरान दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी जख्मी हो गए, तो वहीं दर्जनों विद्युत कर्मियों की पुलिस ने गिरफ्तारी भी की।

विद्युत भवन के अंदर भी पिटाई

पुलिस पर पथराव करने के बाद कर्मी कई एरिया में छिप गए, जिसमें से कई कर्मी विद्युत भवन के ऑफिस में जाकर छिप गए। इसके बाद गुस्साई पुलिस ने विद्युत भवन में भी टीयर गैस छोड़ी और अंदर छिपे प्रदर्शनकारियों को बाहर निकाला। पुलिस सोर्सेज की मानें, तो कुल 60 के आसपास लोगों की गिरफ्तारी हुई है। प्रदर्शनकारियों को पकड़कर कोतवाली थाना में ले जाया गया। इस घटना की जानकारी मिलने के साथ ही डीएम, सीनियर एसपी, सिटी एसपी सहित तमाम पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन के लोग मौजूद थे। यही नहीं, घटना को कंट्रोल करने के लिए वज्र वाहन, पुलिस लाइन के अलावा बीएमपी के जवानों बुलाया गया।

छह बजे के बाद गुम होने लगी बिजली

इस घटना के बाद गुस्साए विद्युत कर्मियों ने केदारभवन में मीटिंग कर अनिश्चितकालीन स्ट्राइक पर चले गए। इसके बाद शहर के कई एरिया से ब्लैक आउट की खबर आने लगी। सोर्सेज की मानें तो ग्रिड से ही बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई। दरअसल, इस प्रदर्शन में पेसा और जेसा सहित विद्युत विभाग के 17 संगठन शामिल थे। इसमें चीफ इंजीनियर से लेकर खलासी थे जो अपनी मांगों के साथ एक साथ हुए थे। वहीं बिजली की कटौती के साथ ही फोन की घंटियों आपूर्ति प्रमंडलों में घन घनाने लगा लेकिन कोई उठाने को तैयार नहीं था। इससे पहले 27 फरवरी 2008 को भी ब्लैक आउट हुआ था।

ट्रैफिक प्रॉब्लम

इस घटना के बाद चार घंटे तक बेली रोड पर यातायात बाधित रही, इनकम टैक्स से लोग इधर-उधर लिंक रोड पकडऩे में जुटे रहे। वहीं इसका असर न्यू डाकबंगला तक देखने को मिला, तो दूसरी तरफ आर ब्लॉक और हड़ताली चौक पर भी जाम रहा।

मंडी को करना पड़ा बंद

इस घटना के साथ ही इनकम टैक्स की फल मंडी और खोमचे वालों पर कयामत आ गयी। फल विक्रेता रिंकू ने बताया कि चार घंटे तक बिजनेस पूरी तरह से ठप रहा है। देर शाम बाद ही शॉप को खोला गया।

और काटो बिजली

एक तो प्रदर्शन और पथराव से खफा पुलिस वालों के अंदर पुलिस लाइन की बिजली कटने का भी दर्द था। लिहाजा, जो भी कर्मी विद्युत भवन और बगल की बिल्डिंग में पकड़ाते उसकी जमकर पिटाई कर गिरफ्तार कर लेते। आपस में कहते कि इन्हीं लोगों ने काटी थी बिजली

क्या था मामला

बेली रोड स्थित विद्युत भवन के सामने 10 बजे विद्युत कंपनी के इंजीनियर ऑफिसर और कर्मी अपने माग के समर्थन में जुटे हुए थे। 12 बजे लगभग सड़क पर कब्जा कर लिया था। कर्मियों ने पुलिसिया आग्रह को दरकिनार किया और फिर लाठियां चटकने लगीं। कर्मियों ने इसका जवाब ईट पत्थर चलाना शुरु कर दिया।

डिमांड

एमडी संजय कुमार अग्रवाल के रवैये से खफा कर्मियों ने तत्काल कंपनी से हटाने की मांग की।

फ्रेंचाइजी, आउट सोर्सिंग व निजीकरण के माध्यम से सार्वजनिक को निजी हाथ में देने की व्यवस्था व्यवस्था बंद हो।

प्रोमोशन पोस्ट पर सीधी बहाली न हो, एंट्री लेवल पोस्ट पर ही सीधी बहाली हो।

पहले अनुबंध कर्मियों की बहाली हो, मीटर रीडर सहित समाप्त किए गए पदों को प्रोन्नति देकर कर्मियों को दूसरी जगह एडजस्ट किया जाए।

बिहार सरकार की ट्रांसफर स्कीम के प्रावधान एवं पूर्व की सेवा शर्तो को ठीक किया जाए।

छठे वेतनमान की विसंगतियों के निवारण हेतु गठित कमेटी की रिपोर्ट को अविलंब लागू किया जाए।

कर्मियों को मुफ्त बिजली के पूर्व प्रावधान को संशोधित किया जाए।