सिर्फ फीस से काम नहीं चलेगा

सिटी में 0001, 0002. 111, 222सीरीज और 786 नंबर पाने के लिए सबसे ज्यादा जद्दोजहद होती है। शासन की ओर से निर्धारित 15000 रुपए देकर कोई भी ये नंबर एलॉट करा सकता है। लेकिन सिटी में वीआईपी नंबर्स की बढ़ती डिमांड के चलते इस प्रॉसेस से नंबर मिलना मुश्किल हो रहा है। क्योंकि बहुत से लोग इस रकम को अदा करने के लिए तैयार रहते हैं। एक कार कंपनी के एजेंट अभय ने बताया कि कई कार ओनर्स गाड़ी खरीदने के बाद वीआईपी नंबर की डिमांड करते हैं। लेकिन आरटीओ में उन नंबर्स के लिए पहले से ही सैकड़ों  अप्लीकेशन और सिफारिशें लगती हैं।

अधिकारी बनाते हैं भूमिका

नई कार लेने वाले रमेश चड्ढा ने बताया कि उन्होंने 333 के लिए कंपनी एजेंट से बोला था, लेकिन नंबर मिल नहीं रहा है। एक दूसरे एजेंट से भी बात की है, 10 हजार रुपए तक एक्स्ट्रा देने के लिए तैयार हूं। लेकिन इसके बाद भी एजेंट ने कंफर्म नहीं कहा है। आरटीओ परिसर में घूम रहे एक दलाल ने बताया कि कई बार गाड़ी नंबर एलॉटमेंट सेल में बैठे ऑफिसर्स ही कमाई के चक्कर भूमिका बनाते हैं, और सेटिंग करके नंबर एलॉट कर देते हैं।

किसको दें, किसको नहीं

एक ही नंबर के लिए सैकड़ों अप्लीकेशन और उसके साथ ही नेताओं, विधायकों, सांसदो और मंत्रियों की सिफारिश से आरटीओ के लिए किसी एक को नंबर अलॉट करना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि आरटीओ के मार्क करने के बाद ही नंबर एलॉट किया जाता है। डेली इस तरह की करीब 300 अप्लीकेशंस आती हैं।

प्रॉसेस तो ये है

रजिस्ट्रेशन फाइल में ए फार्म के साथ 20 नंबर फार्म भरना पड़ता है। इसके बाद आरआई गाड़ी को चेक करता है। इसी फाइल में एक अप्लीकेशन देनी होती है। जिसमें नंबर च्वाइस लिखकर रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट में जमा करनी पड़ती है। नंबर अवेलेबल होने पर तुरंत एलॉट कर दिया जाता है। इसमें गाड़ी कंपनी का एजेंट ही फाइल को आगे बढ़ाता है। इसके बाद मोस्ट इंर्पोटेंट सीरीज के नंबर के लिए गाड़ी ओनर्स सिफारिश लेटर या एजेंट्स और अधिकारियों के थ्रू फाइल को पेश करता है।  

चार कैटेगिरी के वीआईपी नंबर

शासन की ओर से चार कैटेगरी में वीआईपी नंबर्स को बांटा गया है। प्रथम अतिमहत्वपूर्ण पंजीयन नंबर के लिए 15 हजार, प्रथम महत्वपूर्ण नंबर के लिए 7500 रुपए, द्वितीय अति महत्वपूर्ण नंबर के लिए 6000 और द्वितीय महत्वपूर्ण नंबर के लिए 3000 रुपए निर्धारित किए गए हैं। एमवी एक्ट के तहत कोई भी व्यक्ति चार्ज जमा करके लिखित आवेदन कर सकता है। जिसके बाद प्रथम आवेदक को ही नंबर एलॉट करने का प्रावधान है।

इन नंबर्स के लिए होती जंग

100,111, 222, 300, 333, 400, 444, 500, 555, 600, 666, 700, 777, 786, 800, 888, 900, 999,1000,1111, 2000, 2222, 3000, 3333, 4000, 4444, 5000, 5555, 6000, 6666, 7000, 8000, 8888, 9000, 9999

"कुछ खास नंबर्स पाने के लिए ज्यादा अप्लीकेशन आती हैं। लोग सिफारिशें भी लाते हैं। कई बार सोचना पड़ता है आखिर किसकी सुनें। ऐसी स्थिति में नियमानुसार पहले आवेदन करने वाले को ही नंबर एलॉट किया जाता है। "

वीके सोनकिया, आरटीओ