मेडिकल कॉलेज का हाल

अगर बात सिटी के सिटी के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल की बात करें तो टोटल ओपीडी 3000 के आसपास हैं, जिनमें 1500 से 1800 के करीब मरीज वायरल इंफेक्शन के आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स की माने तो वायरल इंफेक्शन के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इमरजेंसी में 28 बेड हैं, जिनमें से करीब 18 मरीज वायरल इंफेक्शन के ही हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वायरल इंफेक्शन के काफी मरीज आ रहे हैं।

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल भी कम नहीं

वहीं डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की बात करें तो यहां वायरल पेशेंट्स की कोई कमी नहीं है। अगर आंकड़ों की बात करें तो डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में रोज की ओपीडी 1500 से 2000 के बीच में है। अधिकारियों की माने तो ओपीडी में आने हर 100 पेशेंट्स में से वायरल इंफेक्शन की संख्या 20 से 25 है। डॉक्टर्स की माने पेशेंट्स की संख्या सिटी में दंगों को लेकर टेंशन होने से कम है। आने वाले समय में ये संख्या 50 से 80 भी पहुंच सकती है।

प्राइवेट हॉस्पिटल का हाल-ए-बयां

वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल में वायरल इंफेक्शन के मरीजों की संख्या भी कम नहीं है। वैसे ओपीडी में आने वाले सौ मरीजों में वायरल इंफेक्शन के मरीजों का रेश्यो 50 से कम नहीं है फिर भी डॉक्टर्स 30 फीसदी का आंकड़ा बता रहे हैं। केएमसी हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की माने तो हर 100 ओपीडी में 30 पेशेंट्स वायरल इंफेक्शन हैं। आजकल इसका जोर काफी बढ़ रहा है। कुछ को तो एडमिट करना पड़ रहा है।

'वायरल मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अगर बात हम इमरजेंसी वार्ड की करें तो कुल 28 बेड में 18 बेड पर वायरल इंफेक्शन के पेशेंट्स हैं.'

- डॉ। अजीत चौधरी, मेडिकल कॉलेज

'दंगों के कारण होने वाली टेंशन की वजह से पेशेंट्स थोड़े से कम जरूर हैं लेकिन वायरल मौजूदा समय में काफी विकराल रूप में है। आने वाले समय में इनकी संख्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है.'

- डॉ। रामेंद्र सिंह, सीएमएस, पीएल शर्मा हॉस्पिटल 

'वायरल इंफेक्शन पेशेंट्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ओपीडी में आने वाले हर 100 पेशेंट्स में 30 पेशेंट्स वायरल इंफेक्शन के हैं। अमूमन हर प्राइवेट हॉस्पिटल का यही आंकड़ा है.'

- डॉ। सुनील गुप्ता, केएमसी हॉस्पिटल

वायरल के लक्षण

-तेज बुखार

-सिरदर्द

-जोड़ों में दर्द

-थकान और गले में दर्द

-बदन दर्द

-खासी व जुकाम

-नाक बहना

-जोड़ों में दर्द और सूजन

-आंखें लाल होना

-लेटने के बाद उठने में कमजोरी महसूस करना

-भूख न लगना

उपचार

वायरल फीवर में एंटीबॉयटिक्स दवाओं की कोई भूमिका नहीं होती। बावजूद इसके अगर वायरल के अलावा अलग से कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन हो, तब एंटीबॉयटिक्स दे सकते हैं। जैसे वाइरल फीवर से पीडि़त किसी शख्स को पीला बलगम निकल रहा हो, तो इस स्थिति में एंटीबॉयटिक्सदी जा सकती हैं। रोगी को पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज और इलेक्ट्रोलाइट लेना चाहिए। शरीर में पानी या तरल पदार्र्थो की कमी नहीं होनी चाहिए।

डेंगू और मलेरिया

ये दोनों ही बीमारियां म'छर के काटने से होती हैं। मलेरिया मादा ऐनाफ्लीज और डेंगू ऐडिस के काटने से फैलता है। इन दोनों ही वायरल के सिम्टम्स एक जैसे ही है। मगर दोनों बुखार का फीवर पैटर्न अलग है।

डेंगू के लक्षण

-अचानक तेज बुखार आना।

-लंबे समय तक बुखार रहना (करीब सात दिन)।

-सिर दर्द।

-मसल्स व बॉडी पेन।

-हाथ-पैरों में रैशेज पडऩा।

-जी मचलाना, उल्टी आना।

-भूख न लगना।

- आंखों में दर्द रहना।

-ये बुखार 39.5 -41.4 सेल्सियस 103.1-106.52 फॉरेनहाइट तक रहता है।

मलेरिया के लक्षण

-ये बुखार चढ़ता-उतरता रहता है।

-ठंड लगना और ठंड से बुखार चढऩा।

-एनिमिया।

-जोड़ों में दर्द।

-उल्टी आना।

-दर्द और ऐंठन।

-पसीना आना।

-मलेरिया बुखार 10-15 दिन रहता है।

-मलेरिया के बुखार को तीन स्टेज में देखा जाता है

- कोल्ड स्टेज, हॉट स्टेज और स्वेट स्टेज।

उपचार

मलेरिया को माइक्रोस्कोपिक विजुअल्स और डेंगू को इम्यून केमिकल इंवेस्टिगेशन से डिटेक्ट किया जाता है। मलेरिया के लिए एंटीमलेरियल ड्रग्स दी जाती हैं। जबकि डेंगू के लिए कोई खास दवा नहीं बनी है। इसका इलाज फ्लूड रिससिटेट और ब्लड ट्रांसफ्यूजन है।

बुखार से रोकथाम

-कटे व खुले फलों से परहेज करें।

-जिन खाने की चीजों पर मक्खी बैठ जाए, उन्हें न खाएं।

-जो लोग पहले से ही वाइरल फीवर से ग्रस्त हैं, उनकी छींकों से स्वस्थ लोगों को बचना चाहिए।

-कूड़े-कचरे को खुला न छोड़ें।

-कमरे हवादार और साफ होने चाहिए।

-भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

-घर के आसपास पानी न इकट्ठा होने दें।

-पार्क या ग्राउंड में पानी भरा है तो उसमें मिïट्टी का तेल डाल दें ताकि वहां म'छर न पनप सकें।

-इस बात का हमेशा ध्यान दें कि हर बुखार में ब्लड प्लेटलेट्स काउंट कम होते हों मगर डेंगू में ये तेजी से और ज्यादा तादात में कम होते हैैं।

होम्योपैथ का उपचार

इस समय खांसी, जुकाम, बुखार आदि लक्षण ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। वैसे तो ये मौसम डेंगू का भी है मगर अभी डेंगू का कोई भी मरीज सामने नहीं आया है। इन वायरल से लडऩे के लिए इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाया जा सकता है। होम्योपैथ में आर्सेनिक-एल-30 और सल्फर-30 जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है.  इन दवाओं की हफ्ते में एक दिन तीन डोज बना लें और उन्हें 15-15 मिनट के डिफरेंस पर लें।

-डॉ। रजनीश भारद्वाज, होम्योपैथ

आयुर्वेद का उपचार

बरसात के मौसम के जाने का समय आ गया है और इसी वक्त पर वायरल लोगों को अपनी चपेट में लेता है। हम ठंडा पानी पीते हैं और ये गले को जकड़ लेता है। इसके साथ ही खांसी और जुकाम और बुखार लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है। इस मौसम के वायरल में तुलसी, काली मिर्च, पीपल, मुलैठी और अदरक का काढ़ा बनाकर पिएं। इसकी एक ही डोज काफी आराम देगी। इसके अलावा गिलोए का इस्तेमाल भी काफी अ'छा रहेगा।

-डॉ। वाईपी सिंह, आयुर्वेदाचार्य