- आरटीओ प्रवर्तन से लेकर बाबूओं के खिलाफ ट्विटर पर पड़ रहीं शिकायतें

- पीएम से लेकर सीएम तक को किए गए हैं ट्वीट, करप्शन के भी आरोप

GORAKHPUR: पीएम, सीएम से लेकर मंत्री और अधिकारी ट्विटर पर काफी एक्टिव हैं। यही वजह है कि अब हर कोई परेशानी या भ्रष्टाचार की सूचना आसासी से पीएम और सीएम तक पहुंचा दे रहा है, जिसपर तत्काल कार्रवाई भी की जा रही है। गोरखपुर का आरटीओ विभाग भी ट्विटर पर काफी नजर आ रहा है लेकिन ये अलर्टनेस का नहीं बल्कि ढेरों शिकायतों का नतीजा है, जो आरटीओ प्रवर्तन से लेकर बाबूओं के खिलाफ आ रही हैं। कई दिनों से आरटीओ के जिम्मेदारों पर तरह-तरह के आरोप भरे ट्वीट सीएम से लेकर पीएम तक पहुंच रहे हैं। इनमें करप्शन के आरोप तक शामिल हैं। इस संबंध में आरटीओ प्रवर्तन डीडी मिश्रा का कहना है कि इसके पीछे दलालों का हाथ हो सकता है। पहले भी इस तरह के आरोप लगाए गए थे जो जांच में फर्जी निकले।

करोड़ों की संपत्ति का जिक्र

पीएम और सीएम को ट्वीट कर सर्जरी मिश्रा नाम के ट्विटर हैंडल से बताया गया है कि गोरखपुर आरटीओ में कार्यरत कुछ बाबूओं की संपत्ति अगर आंकी जाए तो करोड़ों में आएगी। यही नहीं एक बाबू पर तो ये भी इल्जाम लगाया है कि उसकी एक दिन की कमाई लाखों में होती है। वहीं, आरटीओ प्रवर्तन डीडी मिश्रा पर भी उसने आरोप लगाया है कि उनकी हर दिन की 10 लाख रुपए की आमदनी है। उनके पास लखनऊ में मॉल टाइप का शॉपिंग कांपलेक्स है। इसके साथ ही कई जगहों पर जमीनें भी हैं। आरटीओ से जुड़े लोगों के खिलाफ ऐसी ही तमाम शिकायतें ट्विटर पर अधिकारियों तक पहुंच रही हैं।

पहले भी लगे आरोप, निकले फर्जी

सूत्रों के हवाले से ये भी जानकारी मिली है कि इससे पहले भी आरटीओ के जिम्मेदारों के खिलाफ ऐसा ही एक शिकायत का दौर चला था। जिसके बाद जांच भी हुई थी। जिसमें जितने भी आरोप आरटीओ विभाग के कर्मचारियों पर लगे थे गलत पाए गए थे। कुछ महीने पहले गोरखपुर आरटीओ विभाग के कर्मचारियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए पीएम को एक लेटर भी भेजा गया था। जिसमे डीडी मिश्रा समेत कई बाबूओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात लिखी गई थी।

कहीं ब्लैकमेलिंग का खेल तो नहीं?

सूत्रों के अनुसार आरटीओ विभाग में दलालों का एक ऐसा भी रैकेट काम करता है जो अधिकारियों और कर्मचारियों से हर दिन अपने काम आसान करने के लिए दबाव बनाता है। काम न होने पर दलाल ब्लैकमेलिंग का काम भी करते हैं। ट्विटर पर चल रहा शिकायतों का ये सिलसिला भी कुछ इसी ओर इशारा कर रहा है। लेकिन इन शिकायतों पर आरटीओ के लोगों का अंजान बना रहना भी कई सवाल खड़े कर रहा है।

वर्जन

दलालों का नेटवर्क है। इनकी बात न मानो तो ये गलत कार्य करते हैं। जबकि हम लोग पूरी ईमानदारी से अपने काम का निर्वहन कर रहे हैं। इनकी वजह से काम में थोड़ी परेशानी जरूर आती है। फिलहाल ट्विटर पर जो भी इस तरह गलत पोस्ट डाल रहा है उसके खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी।

- डीडी मिश्रा, आरटीओ प्रवर्तन