वायरल को हल्के में न लें

Viral infection causes cancer

Allahabad: अगर वायरल इंफेक्शन को हल्के में लेने की आदत हैं तो इसको बदल डालिए। वायरल के ट्रीटमेंट के लिए न खुद डॉक्टर बनें और न ही इधर-उधर से दवा ले। वरना यह आपको कितना भारी पड़ सकता है इसका अंदाजा लगाना तक मुश्किल है। यह वायरल आपको कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी दे सकता है। जी हां, मंडे को टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई से आई प्रो। सरबानी घोष लश्कर ने यह दावा किया है। वह सिटी में आर्गनाइज कैंसर पर आयोजित एक सेमिनार में भाग लेने के लिए सिटी आई है। उन्होंने बताया कि तमाम रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई है. 

आप खुद भी अंदाजा लगा सकते हैं 
प्रो। घोष लश्कर ने यह बात सही है कि टुबेको का यूज करने वाले कैंसर की जद में जल्दी आते है। लेकिन यह बात भी आप देखते होंगे कि बहुत से ऐसे लोग कैंसर का शिकार हो जाते हैं जो कि टुबेको का यूज नहीं करते है। बहुत से ऐसे लोग है जो बेहद सिप्पल लीविंग लाइफ जीते है उसके बाद भी वह कैंसर की बीमारी हो जाती है। यह तथ्य इस रिसर्च का सपोर्ट करते है। वह कहती है कि छोटी-छोटी लापरवाही कैंसर का कारण बन जाती है। वह बताती है कि सिर्फ अवेयरनेस से ही इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है। क्योंकि शुरुआती स्टेज में कैंसर में दर्द नहीं होता है। ऐसे में पेशेंट्स को पता भी नहीं लग पाता है. 

कैंसर के कारण अभी तक नहीं पता चले  
प्रो। घोष कहती है कि कैंसर के होने का कोई खास कारण नहीं है। टुबैको का यूज करने वालों के अलावा भी कई ऐसे लोगों में कैंसर देखा जाता हैं, जो इन सबका यूज नहीं करते है। उसके बाद भी वह ऐसी बीमारियों से ग्रसित हो जाते है। ओलर और लंग कैंसर के अलावा होने वाले कई ऐसे कैंसर हैं, जिनके  होने का सही कारण नहीं पता चल सका है। इसके पीछे कई तरह के कारण सामने आए है। जिससे इस बात पर पहुंचा जा सकता हैं कि कैंसर होने के पीछे कई फैक्टर काम करते है। इसमें हमारी लाइफ स्टाइल से लेकर खान - पान का रूटीन व क्वालिटी तक शामिल है। अल्सर और हेपीटाइटिस बी जैसे रोगों के कारण भी कैंसर की बीमारी की बात सामने आई है. 

देश में अलग भागों में अलग कैंसर 
देश के अलग भागों में अलग-अलग तरह के कैंसर के केस ज्यादा आते है। वह बताती है कि मुंबई में पूरे देश से कैंसर पेशेंट्स पहुंचते है। जहां यूपी व बिहार से ओरल व लंग कैंसर के पेशेंट्स की सबसे ज्यादा तादाद है। वहीं जम्मू-कश्मीर में इसोफेजियल कैंसर यानी फूड पाइप के कैंसर से पीडि़त पेंशेंट्स की संख्या ज्यादा होती है। साउथ में स्पाइसी खान पान के कारण वहां पेट के कैंसर से पीडि़त लोगों की संख्या ज्यादा होती है. 


कैंसर के प्रकार
- ब्रेस्ट कैंसर
- स्टमक कैंसर
- स्किन कैंसर
- लंग कैंसर
- ओरल कैंसर
- यूटेराइन यानी गर्भाशय का कैंसर
- ब्लड कैंसर
- नेफ्रो ब्लास्टमा 
- प्रोस्टेट कैंसर
और भी कई कैंसर के प्रकार है

बचाव
- बॉडी में किसी प्रकार की गांठ होने पर डाक्टर से मिले
- जर्नल फीजिसियन और आम लोगों में अवेयनेस रहे
- मुंह में किसी प्रकार का दाग दिखने पर उसे हल्के में ना ले
- वायरल इंफेक्शन का सही ढंग से इलाज कराएं
- पेट का अल्सर, हेपीटाइटिस बी आदि रोगों के बाद डाक्टर की सलाह लेते रहे

आप खुद भी अंदाजा लगा सकते हैं 

प्रो। घोष लश्कर ने यह बात सही है कि टुबेको का यूज करने वाले कैंसर की जद में जल्दी आते है। लेकिन यह बात भी आप देखते होंगे कि बहुत से ऐसे लोग कैंसर का शिकार हो जाते हैं जो कि टुबेको का यूज नहीं करते है। बहुत से ऐसे लोग है जो बेहद सिप्पल लीविंग लाइफ जीते है उसके बाद भी वह कैंसर की बीमारी हो जाती है। यह तथ्य इस रिसर्च का सपोर्ट करते है। वह कहती है कि छोटी-छोटी लापरवाही कैंसर का कारण बन जाती है। वह बताती है कि सिर्फ अवेयरनेस से ही इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है। क्योंकि शुरुआती स्टेज में कैंसर में दर्द नहीं होता है। ऐसे में पेशेंट्स को पता भी नहीं लग पाता है. 

कैंसर के कारण अभी तक नहीं पता चले  

प्रो। घोष कहती है कि कैंसर के होने का कोई खास कारण नहीं है। टुबैको का यूज करने वालों के अलावा भी कई ऐसे लोगों में कैंसर देखा जाता हैं, जो इन सबका यूज नहीं करते है। उसके बाद भी वह ऐसी बीमारियों से ग्रसित हो जाते है। ओलर और लंग कैंसर के अलावा होने वाले कई ऐसे कैंसर हैं, जिनके  होने का सही कारण नहीं पता चल सका है। इसके पीछे कई तरह के कारण सामने आए है। जिससे इस बात पर पहुंचा जा सकता हैं कि कैंसर होने के पीछे कई फैक्टर काम करते है। इसमें हमारी लाइफ स्टाइल से लेकर खान - पान का रूटीन व क्वालिटी तक शामिल है। अल्सर और हेपीटाइटिस बी जैसे रोगों के कारण भी कैंसर की बीमारी की बात सामने आई है. 

देश में अलग भागों में अलग कैंसर 

देश के अलग भागों में अलग-अलग तरह के कैंसर के केस ज्यादा आते है। वह बताती है कि मुंबई में पूरे देश से कैंसर पेशेंट्स पहुंचते है। जहां यूपी व बिहार से ओरल व लंग कैंसर के पेशेंट्स की सबसे ज्यादा तादाद है। वहीं जम्मू-कश्मीर में इसोफेजियल कैंसर यानी फूड पाइप के कैंसर से पीडि़त पेंशेंट्स की संख्या ज्यादा होती है। साउथ में स्पाइसी खान पान के कारण वहां पेट के कैंसर से पीडि़त लोगों की संख्या ज्यादा होती है. 

कैंसर के प्रकार

- ब्रेस्ट कैंसर

- स्टमक कैंसर

- स्किन कैंसर

- लंग कैंसर

- ओरल कैंसर

- यूटेराइन यानी गर्भाशय का कैंसर

- ब्लड कैंसर

- नेफ्रो ब्लास्टमा 

- प्रोस्टेट कैंसर

और भी कई कैंसर के प्रकार है

 

बचाव

- बॉडी में किसी प्रकार की गांठ होने पर डाक्टर से मिले

- जर्नल फीजिसियन और आम लोगों में अवेयनेस रहे

- मुंह में किसी प्रकार का दाग दिखने पर उसे हल्के में ना ले

- वायरल इंफेक्शन का सही ढंग से इलाज कराएं

- पेट का अल्सर, हेपीटाइटिस बी आदि रोगों के बाद डाक्टर की सलाह लेते रहे