- 25 मकानों की हो चुकी रजिस्ट्री, 90 से ज्यादा पर बनी सहमति

- 50 से ज्यादा ट्रस्ट, मंदिर और सेवइत प्रॉपर्टी का अधिग्रहण है बाकी

600 करोड़ रुपये की विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर और गंगा पाथवे योजना के काम में मंदिर ट्रस्ट फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। 167 मकानों के अधिग्रहण की इस योजना में अब तक 90 से ज्यादा मकान मंदिर ट्रस्ट की प्रापर्टी बन चुके हैं। इन मकानों की या तो रजिस्ट्री हो चुकी है या फिर इनकी रजिस्ट्री की सहमति बन चुकी है। अधिग्रहित मकानों की मरम्मत और ध्वस्तीकरण का काम भी शुरू कराया जा चुका है।

फर्जी कागजात बने रुकावट

अधिग्रहण अधिकारी आलोक सिंह ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से विशेष बातचीत में बताया कि अधिग्रहण और रजिस्ट्री का काम उम्मीद से धीमा है। इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा मसला पुराने मकानों के कागजात न मिलना या इनके फर्जी कागजात बनवाया जाना है। तमाम लोगों ने प्रॉपर्टीज पर अवैध कब्जा कर रखा है और फर्जी डीड या पावर ऑफ अटार्नी के जरिए अपना दावा कर रहे हैं। हालांकि इन सबकी जांच कराई जा रही है। कई संपत्तियों के मालिक दूसरे राज्यों या विदेशों में हैं, उनसे भी बातचीत की कोशिश हो रही है और रजिस्ट्री के लिए उन्हें बुलाया जा रहा है। अब तक 25 मकानों की रजिस्ट्री कराई जा चुकी है। मंदिर परिक्षेत्र में कई प्रापर्टी ऐसी भी हैं जो किसी ट्रस्ट या सेवइत प्रॉपर्टी का हिस्सा हैं। हालांकि इनमें रहने वाले किराएदार या केयरटेकर ही इनके मालिक बन बैठे हैं। ऐसे लोगों को भी समझाने की कोशिश जारी है। कानून के अनुसार ट्रस्ट इनका अधिग्रहण करेगा।

दलाली की नहीं गलेगी दाल

कॉरीडोर योजना में रजिस्ट्री में कुछ लोगों के दलाली की भी खबरें हैं। इस पर विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह कहते हैं कि व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी है। संपत्ति मालिकों को पूरा पेमेंट आरटीजीएस के जरिए एकाउंट में किया जा रहा है। इसके बाद भी अगर कोई ब्रोकरेज का दबाव बना रहा हो तो लोग सीईओ दफ्तर या जिला प्रशासन से सीधे शिकायत कर सकते हैं। इसमें दलाली की दाल नहीं गलने वाली है।

बयान

कॉरीडोर योजना में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जा रही है और इसमें भ्रष्टाचार का कोई रास्ता ही नहीं है। जनता से भी अनुरोध है कि इसे लेकर जो भी भ्रांतियां हैं उन्हें दूर करें, योजना मंदिर परिक्षेत्र के सुंदरीकरण की है न कि धरोहरों के ध्वंस की।

विशाल सिंह, मुख्य कार्यपालक अधिकारी

ये सब होगा कॉरीडोर योजना में

- विश्वनाथ मंदिर व आसपास के क्षेत्र में भवनों, गलियों, मंदिरों का मूल स्वरूप व स्थापत्य को बरकरार रखा जाएगा।

- पुराने और जर्जर मंदिरों व भवनों का पुरातत्व सर्वेक्षण विशेषज्ञों के निर्देशन में विशेष मरम्मत कराई जाएगी।

- काशी खण्ड में वर्णित 23 अन्य पौराणिक शिव व अन्य देवी देवताओं के मंदिर, विग्रह को चिह्नित किया जाएगा।

- इनमें से कई मंदिर व विग्रह अब भवनों, दुकानों तथा धर्मशालाओं से घिरे हैं जहां तक मार्ग सुगम किया जाएगा।

- गलियों के प्राचीन मूल स्वरूप को स्थापित करने के लिए अतिक्रमण चिह्नित कर उन्हें हटाया जाएगा।

- सभी मंदिरों को एक परिपथ के तौर पर जोड़ा जाएगा और इनके सुंदरीकरण के लिए विशेष प्रयास होंगे।

यह आ रही दिक्कतें

- पुराने नक्शे से विपरीत कई जगह हो चुके हैं अवैध निर्माण

- रजिस्ट्री के दौरान एक भवन के कई मालिक या कई अवैध दावेदार भी आ रहे सामने

- कई भवनों पर अवैध कब्जे भी हैं जो रुकावट डाल रहे हैं

- संपत्तियों के वारिस शहर या देश से बाहर हैं, उन्हें भी बुलाने की तैयारी है।