- सीएम की प्राथमिकता वाले चारों प्रोजेक्ट हुए धड़ाम

-मल्टी लेवल पार्किंग व आईटी पार्क जैसी योजनाएं हवा-हवाई

Meerut : महानगर के डेवलपमेंट को लेकर सीएम अपने विजन-2016 के माध्यम से जो उम्मीद लगाए बैठे हैं। उसे एमडीए अपनी फाइलों में दबाए बैठा है। सीएम की टेबल पर जिन चार योजनाओं का पुलिंदा रख एमडीए ने शहर की जो तस्वीर बदलने की ताल ठोकी थी। उनमें से अभी तक कोई प्रोजेक्ट पूरा होना तो दूर अभी तक फाइलों से बाहर भी नहीं आ पाया है। ऐसा तो तब है जब सीएम के विजन की डेड लाइन में एक साल का भी समय शेष नहीं बचा।

विजन-2016

सीएम अखिलेश यादव ने विजन-2016 के माध्यम से प्रदेश की तस्वीर बदलने का खाका तैयार किया था। इसके अंतर्गत सीएम ने उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण की बैठक बुलाते हुए चार बड़े प्रोजेक्ट्स की लिस्ट मांगी थी। इस दौरान मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजेश यादव ने शहर के विकास के लिए पांच बड़े प्रोजेक्ट्स का पुलिंदा रखते हुए शहर के विकास का दम भरा था।

ये हैं प्रोजेक्ट्स

-आईटी पार्क की स्थापना

- समाजवादी आवास योजना के अंतर्गत दुर्बल आय वाले लोगों के लिए तीन हजार आवास मुहैया कराना

-शहर में मल्टीलेवल पार्किंग की स्थापना

-चार मुख्य चौराहों का टै्रफिक कंट्रोल करना

मल्टीलेवल पार्किंग: नौ दिन चले अढ़ाई कोस

एमडीए ने शहर में 25 करोड़ की मल्टीलेवल पार्किंग बनाने के उदेश्य से घंटाघर स्थित टाउन हॉल की जगह का चुनाव किया था। इसके लिए एमडीए ने फिजीबिलिटी रिपोर्ट आदि की औपचारिकताएं भी पूर्ण कर ली थी। लेकिन इसी बीच एक आरटीआई कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल तैयार योजना में अड़ंगा लगा दिया। इसके बाद एमडीए ने आबू नाला, एमडीए परिसर, कैंट स्थित बंगला नंबर 173 से लेकर मेनका टॉकीज में मल्टीलेवल पार्किंग बनाने का प्रस्ताव तैयार किया।

क्या हुआ?

किसी न किसी कारण से जमीन मयस्सर नहीं हो सकी। आज हालत यह है कि एमडीए प्रोजेक्ट के प्रस्ताव को दोनों हाथों में उठाए घूम रहा है, लेकिन जमीन का बंदोबस्त नहीं हो रहा है।

समाजवादी आवासीय योजना: आशियाना बना सपना

शासन की समाजवादी आवासीय योजना के अंतर्गत 57 मीटर में को एक हजार मकान बनाकर देने थे। इनमें से 800 मकान शताब्दी नगर और 200 मकान लोहियानगर में बनाने की तैयारी की गई थी। एमडीए शताब्दी नगर और लोहियानगर स्थित 11,500 रुपए प्रति वर्ग मीटर वाली जमीन योजना को दे दी। जमीन की यह कीमत मकानों की कीमत में शामिल कर दी गई। इस तरह से योजना के एक मकान की कीमत 22.5 लाख रुपए तक पहुंच गई।

क्या हुआ?

मध्यमवर्गीय को आशियाने का सपना तो अखिलेश सरकार ने खूब दिखाया किंतु कीमतों पर नियंत्रण नहीं रहा। महंगी आवासीय योजना से लोगों ने हाथ खींच लिए, महज तीस आवेदन मेरठ में आए हैं।

आईटी पार्क: रोजगार दूर की कौड़ी

शासन की प्राथमिकता वाली योजना आईटी पार्क के लिए एमडीए ने वेदव्यासपुरी में साढ़े सात एकड़ भूमि का चयन किया था। इसमें से ढाई एकड़ भूमि एमडीए ने कार्यदायी संस्था सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया एसटीपीआई को तीस साल के लिए लीज पर दी थी। इस जमीन पर एसटीपीआई को सेट-अप तैयार करके देना था।

क्या हुआ?

जमीन पर किसानों का मुआवजा संबंधी विवाद होने के कारण किसानों ने आईटी पार्क की नींव ही उखाड़ फेंकी और योजना शुरू होने से पूर्व ही धड़ाम हो गई।

सौन्दर्यीकरण: आसान नहीं है राह

हैवी ट्रैफिक लोड और जाम के झाम से शहर को मुक्ति दिलाने के लिए एमडीए ने चौराहों के आधुनिकीकरण का मॉडल तैयार किया था। इसके लिए एमडीए ने शहर के चार मुख्य और ट्रैफिक लोड की मार सह रहे चौराहों तेजगढ़ी चौराहा, बेगमपुल चौराहा, एचआरएस चौक व हापुड़ अड्डा चौराहा की स्टडी कर उसकी आधुनिक बनाने की पहल की थी। एमडीए की ओर से इसका प्राथमिक बजट छह करोड़ रखा था।

क्या हुआ?

अफसोस की बात यह है कि योजना पर अभी तक कोई कार्य शुरू नहीं किया जा सका। चौराहों पर दिनोंदिन वाहनों का भार बढ़ रहा है।

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प्रोजेक्ट्स पर कार्य शुरू किया जा रहा है। मल्टीलेवल पार्किंग के लिए जगह की तलाश हो रही है। आईटी पार्क का मसला जल्द सुलझा लिया जाएगा। योजनाओं को समय से पूर्ण कर लिया जाएगा।

-राजेश कुमार यादव, वीसी एमडीए