भूमि अधिग्रहण कानून के दुरूपयोग के साथ भू राजस्व अधिनियम का भी किया गया उलंघन

एसडीएम के पॉवर वाला आदेश निबटा दिया तहसीलदार ने

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: सैम हिग्गिन बॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेस (पूर्व में एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट) के पदाधिकारियों तथा एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट सोसाइटी (वर्तमान में सैम हिग्गिन बॉटम एजूकेशन एंड रिसर्च सोसाइटी) पर सख्त कार्रवाई की संस्तुति उप जिलाधिकारी करछना राजा गणपति आर ने की है। यह संस्तुति भूमि पर कब्जा करने, उनका स्वरूप बदलने और अवैध तरीके से उन्हें बेचने के मामले में हुई जांच के बाद की गई है।

सत्यापन करवाना जरूरी

उप जिलाधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि जिस तरह से एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के सचिव प्रो। राजेन्द्र बिहारी लाल, उनकी पत्‍‌नी सुधा लाल, भाई विनोद बिहारी लाल, सुनील बिहारी लाल, बेटा, बहु व अन्य पदाधिकारियों ने संस्थान पर एकाधिकार के लिये पद का दुरूपयोग किया है।

अन्य एजेंसियों से जांच की सिफारिश

एसडीएम ने इसकी कैग, सीबीआई, ईडी, टैक्स जैसी उच्च स्तरीय संस्थाओं से जांच नितांत आवश्यक बताई है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये डीएम इलाहाबाद से अनुरोध किया है वे भी अपने स्तर से वित्तीय एजेंसियों से एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट की जांच वर्ष 1992 से अब तक के लिये करवायें। इसके अलावा पूर्व में पारित तथाकथित मुकदमों और आदेशों का सत्यापन शासन स्तर पर विधिक विशेषज्ञों से करवाने का अनुरोध किया गया है।

नेत्रहीन संस्थान को अधिकृत थी भूमि

- 42.6 एकड़ भूमि मौजा अभयचंदपुर परगना अरैल तहसील करछना में सरकार द्वारा वर्ष 1926 में अधिग्रहित की गई। यह अधिग्रहण नेत्रहीन संस्थान हेतु किया गया था

- लेकिन वर्ष 1980 के बाद राजस्व अभिलेख में अचानक भूमि पर एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट का नाम खतौनियों में दर्ज हो गया। जबकि इस भूमि पर नेत्रहीन संस्थान संचालित है और इसकी अलग सोसाइटी है

- खतौनी में बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर एग्रीकल्चर का नाम होने की वजह से एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट द्वारा इस भूमि पर कब्जा के लिए अनुचित लाभ उठाया गया

- यही नहीं 33/39 भू राजस्व अधिनियम में तहसीलदार के आदेश से मुकदमा नम्बर 960 वर्ष 1956 से एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट द्वारा इस भूमि को अपने नाम से होना बताया गया, जोकि फर्जी प्रतीत हो रहा है

- 33/39 भू राजस्व अधिनियम में आदेश पारित करने का अधिकार उप जिलाधिकारी को प्राप्त है न कि तहसीलदार को

तथाकथित शब्द के उपयोग का खेल

- मौजा इंदलपुर, मौजा डांडी, मौजा महेवा, मौजा अभयचंदपुर के तथाकथित मुकदमे जो तहसीलदार करछना के न्यायालय द्वारा निर्णित हैं।

- तथाकथित मुकदमों की आड़ में राजस्व अभिलेखों में वृहद स्तर पर छेड़छाड़ की गयी है।

- इसके जरिये सीधा लाभ एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट द्वारा लिया गया है जोकि संभव ही नहीं है।