-वीआईटी इंजीनियरिंग गेटवेज-2018 में स्टूडेंट्स को मिला सफल होने का टिप्स, एआई पर रहा फोकस

-सनबीम वरुणा के हारमनी ऑडीटोरियम में ऑर्गनाइज हुआ प्रोग्राम

-वीआईटीईईई के थ्रू मिल सकेगी वीआईटी में एंट्री

VARANASI

वर्तमान दौर के हिसाब से खुद को अपग्रेड कर दौड़ लगाई जाए, तो आपको कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है। लेकिन अगर खुद को अपग्रेड नहीं किया, तो दुनिया की भीड़ में खो जाएंगे। वर्ष 2000 के बाद पूरी दुनिया में तेजी से चेंजेज हुए। खासतौर से इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव सामने आया है। जिसने इंसान की पूरी लाइफ स्टाइल को बदल दिया है। इस फिल्ड में डेली कुछ न कुछ नया करने का चांस है। यह बातें शुक्रवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज वीआईटी प्रेजेंट्स इंजीनियरिंग गेटवेज में एक्सपटर्स ने कहीं। सनबीम वरुणा के हारमनी ऑडीटोरियम में ऑर्गनाइज हुए प्रोग्राम में एक्सपर्ट्स ने स्टूडेंट्स को कॅरियर चुनने की राह दिखाई, तो वहीं कामयाब होने के टिप्स बताए।

आज एआई का दौर है

फेमस मोटीवेटर आरुणेंद्र सोनी ने कहा कि यह दौर एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है। जमाना बहुत तेजी बदल रहा है, पूरी दुनिया में टीचिंग मेथडोलॉजी बदल रही है। जो खुद को अपग्रेड कर रहा है, वही कामयाब है। नेटफ्लिक्स इसका सबसे ताजा उदाहरण है। 18वीं सदी की बात करें तो उस वक्त पहला रेवोल्यूशन हुआ था, भाप का इंजन बना था। इसके बाद 19वीं-20वीं सदी में मास प्रॉडक्शन शुरू हुआ, एक साथ अलग-अलग तरह की कारें बनाई जाने लगीं। 1970 के आसपास 20वीं सदी में कंप्यूटर ने दुनिया में कदम रखा और तीसरी क्रांति आई। अब आने वाला जमाना आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का है। जिसमें रोबोट न्यूज एंकर बन गया है। इसलिए अपने आपको अपडेट करना जरूरी है।

वीआईटी में है एआई कोर्स

इंजीनियरिंग गेटवेज 2018 में वीआईटी से आए एक्सप‌र्ट्स ने बताया कि फ्यूचर की राह आसान हो, इसके लिए टेक्नोलॉजी और अपडेट्स पर उनका पूरा फोकस है। पूरी दुनिया में आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के दौर को देखते हुए कैंपस में बीटेक इन एआई टेक्नोलॉजी, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, साइबर सिक्योरिटी एंड डिजिटल फोरेंसिक और गेमिंग टेक्नोलॉजी जैसे कोर्स स्टार्ट किए गए हैं, जिसमें स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकली सारी बारीकियां समझायी और बताई जाती हैं। जिससे कि उनका कॉन्सेप्ट क्लीयर हो सके और कोर्स पूरा करते-करते जॉब के लायक बन सकें।

दीप प्रज्ज्वलन से शुरुआत

इंजीनियरिंग गेटवेज की शुरुआत दीप प्रज्जवलन से हुई। इस दौरान चीफ गेस्ट महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के वीसी प्रो। टीएन सिंह, दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के सीओओ आलोक सांवल, वीआईटी के इंचार्ज यूजी एडमिशन मनीवन्नम, यूनिवर्सिटी के पीआरओ नंद कुमार, दैनिक जागरण के जीएम डॉ। अंकुर चड्ढा, मोटीवेटर अरुणेंद्र सोनी, वेल्लोर यूनिवर्सिटी कैंपस से आए डॉ। सुमित जिंदल ने दीप प्रज्ज्वलित किया। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के चीफ रिपोर्टर हिमांशु शर्मा ने बुके देकर गेस्ट्स का वेलकम किया। प्रोग्राम का संचालन डॉ। रविंद्र पाठक ने किया।

सही इंस्टीट्यूट आसान करेगा राह

मोटीवेटर अरुणेंद्र सोनी ने कहा कि बिना अच्छी पढ़ाई के अच्छा इंजीनियर बनना संभव नहीं है। दिन-रात पढ़ाई से कुछ नहीं होगा। पढ़ाई के लिए प्रॉपर प्लानिंग जरूरी है। आए दिन देश में इंजीनियरिंग कॉलेज रहे हैं। बात जब क्वालिटी एजुकेशन की होती है, तो इस पैमाने पर मैक्सिमम कॉलेज धराशायी हो जाते हैं। आप इंजीनियरिंग कहां से कर रहे हैं यह बहुत मायने रखता है। सही इंस्टीट्यूट का सेलेक्शन सबसे आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग करने वाले मात्र सात परसेंट स्टूडेंट्स ही ऐसे हैं, जिनके पास शानदार जॉब है, जबकि 93 परसेंट सिर्फ पढ़ाई कर रहे हैं। वह जॉब करने के लायक नहीं है इसलिए वह जॉबलेस हैं।

बताई वीआईटी की खासियत

दो सेशन में आयोजित इस सेमिनार में वीआईटी यूनिवर्सिटी से आए एक्सप‌र्ट्स ने पहले स्टूडेंट्स को मोटीवेट किया और यूनिवर्सिटी की आउटलाइन पेश की। इसके बाद उन्होंने एक वीडियो के थ्रू वीआईटी की पूरी इंफॉर्मेशन विजुअली स्टूडेंट्स से शेयर की। इसमें कॉलेज कैंपस की खासियत बताने के साथ ही यहां कितने स्टूडेंट्स हैं, कंप्यूटर लैब कैसा है, स्पो‌र्ट्स में वीआईटी किस तरह से स्टूडेंट्स को फैसलिटी देता है यह सब बताया गया। टॉपर्स को स्कॉलरशिप कितनी मिलती है, क्लास रूम कैसा है, इसकी भी विजुअल प्रेजेंटेशन दी गई। उन्होंने बताया कि वीआईटी के चार कैंपस हैं, इसमें सबसे लेटेस्ट कैंपस भोपाल में ओपन किया गया है। यह विशेष तौर पर नार्थ इंडिया से रिलेटेड स्टूडेंट्स के लिए बनाया गया है।

एफएफसीएस करता है अलग

वीआईटी के अस्सिटेंट प्रोफेसर

डॉ। सुमित जिंदल ने बताया कि अन्य इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट की अपेक्षा वीआईटी में यूं तो कई खास चीजें मौजूद हैं, लेकिन इसकी एक बात इसे सभी यूनिवर्सिटीज और इंजीनियरिंग कॉलेजेज से अलग करती है। वह है फुली फ्लेक्सिबल क्रेडिट सिस्टम (एफएफसीएस)। इसके थ्रू स्टूडेंट्स के पास यह मौका होता है कि वह जिस सब्जेक्ट का चाहे सेलेक्शन कर सकता है। वहीं फैकल्टी भी स्टूडेंट्स को उसके पसंद का ही मिलेगा यह भी फैसिलिटी वीआईटी स्टूडेंट्स को देता है। इतना ही नहीं वह चाहें तो फोर्थ इयर के स्टूडेंट्स के साथ भी पढ़ाई कर सकते हैं। बस उन्हें चार साल में दिए गए क्रेडिट पूरे करने पड़ते हैं। रही बात प्लेसमेंट की तो वीआईटी में 400 नेशनल व इंटरनेशनल कंपनियां कैंपस में आ चुकी हैं।

28 फरवरी तक रजिस्ट्रेशन का मौका

डॉ। सुमित जिंदल ने वीआईटी की खूबियों को स्टूडेंट्स को बताया। कहा कि वीआईटी में एंट्री के लिए सिर्फ एक ही ऑप्शन है वीआईटीईईई। इसके फॉर्म भरने की शुरुआत हो चुकी है। 28 फरवरी तक स्टूडेंट्स फॉर्म भर सकते हैं। इसके बाद 10 से 21 अप्रैल तक लगातार एंट्रेंस का दौर चलेगा, जिसमें स्टूडेंट्स अपनी कनवीनियंट के हिसाब से दिन और एग्जामिनेशन स्लॉट चुन सकते हैं। यहां एडमिशन के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया मई 2019 में स्टार्ट होगी।

सन् 1984 में स्टार्ट हुआ कैंपस

सन् 1984 में स्थापित वीआईटी कॉलेज जून 2001 में यूनिवर्सिटी बना। इसका कैंपस 450 एकड़ में फैला हुआ है। चेन्नई, अमरावती और अब 2017 में भोपाल कैंपस भी स्टार्ट हो गया है। वीआईटी की खास बात यह है कि वीआईटी तीन सालों से नंबर वन इंस्टीट्यूशन है। यहां का सिलेबस ग्लोबल है, जिससे यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स दो साल इंडिया और दो साल एब्रॉड में एजुकेशन हासिल करते हैं। इसके लिए 19 कंट्रीज से यूनिवर्सिटी का टाईअप है।

---------------------

कोट्स

वीआईटी कोई नया नाम नहीं है। क्वालिटी एजुकेशन का यह जाना-पहचाना इंस्टीट्यूशन है। यहां एडमिशन ट्रांसपरेंट तरीके से होता है। वैसे भी बिना हार्डवर्क और विजन के कुछ भी संभव नहीं है। आज रातभर पढ़ने से कुछ नहीं होता, बल्कि कांसेप्ट क्लीयर करने से ही सक्सेस संभव है। अवसर को मिस न करें, क्लीयर गोल जरूरी है। बिना उद्देश्य के लक्ष्य नहीं बन पाता है। समय का सदुपयोग आपको सही दिशा में ले जा सकता है।

प्रो। टीएन सिंह, वीसी

काशी विद्यापीठ

इंजीनियरिंग के फील्ड में कॅरियर बनाना है तो सबसे पहले हमें अपनी सोच को पॉजिटिव रखना होगा। अगर आपकी सोच निगेटिव है तो आगे बढ़ने में कठिनाई होगी। यही नहीं एंट्रेंस एग्जाम तक क्रैक करना मुश्किल हो जाएगा। केमिस्ट्री की बेसिक्स पर विशेष फोकस करना होगा। अगर इंटर के कोर्स बुक को सही तरीके से पढ़ा जाए तो कांसेप्ट क्लीयर हो जाएगा।

अवधेश कुमार सिंह, केमेस्ट्री

उदय प्रताप पब्लिक स्कूल

कई बच्चों को भले फिजिक्स कठिन लगता हो लेकिन सच्चाई यह है कि यह सबसे आसान सब्जेक्ट है। जरूरत है एक-एक प्वाइंट को विस्तार से पढ़ने और समझने की। सिर्फ रटकर एग्जाम देने से अच्छा है कि टेक्निकल टर्म को समझा जाए और उसी हिसाब से प्रीपे्रशन किया जाए। फिजिक्स बहुत टेक्निकल टर्म वाला सब्जेक्ट है।

ई। अमित पटेल, फिजिक्स

अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट