ब्लादीमीर इलिच लेनिन

त्रिपुरा में बीजेपी समर्थकों ने जानबूझकर बेलोनिया सबडिविजन में चौराहे पर लगी रूसी क्रांति के नायक ब्लादीमीर इलिच लेनिन की मूर्ति को बुलडोजर की मदद से ढहा दिया है। रूस में सामंतवादी प्रथा को खत्म करने वाले क्रांतिकारी नेता व्लादिमीर लेनिन बचपन से से ही तानाशाही के विरोधी रहे हैं। 22 अप्रैल 1870 में जन्में लेनिन को कॉलेज के दिनों में तानाशाही विरोधी होने और मार्क्सवादी संगठन बनाने के कारण उन्हें कई बार कॉलेज से निकाला गया था। लेनिन ने 1917 में अक्टूबर क्रांति का नेतृत्व कर एक ऐसी सरकार का गठन किया जिसमें कामगार, मजदूर व किसानों को प्रतिनिधि नियुक्त किया। इस दौरान वह बोलशेविक्स के नेता के रूप में 1917-1924 तक सोवियत गणराज्य के शीर्ष पद पर बने रहे। इस क्रांति ने लेनिन सिर्फ रूस में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लिविंग लीजेंड बन दिया था।

देश में मूर्ति‍ व‍िवाद: लेन‍िन,पेर‍ियार व श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की तोड़ी गई प्रत‍िमाएं,आखि‍र कौन हैं ये शख्‍ि‍सयतें

इवी नायकर रामास्वामी पेरियार

इसके बाद तमिलनाडु में पेरियार की मूर्ति गिराने का मामला सामने आया।

यहां भी समाज सुधार और द्रविड़ आंदोलन की नींव डालने वाले पेरियार की प्रतिमा में सिर वाले हिस्से पर चोट पहुंचा गई। तमिलनाडु में इरोड वेंकट नायकर रामास्वामी यानी कि पेरियार का जन्म 17 सितम्बर 1879 में हुआ था। 1973 में दुनिया को अलविदा कह गए पेरियार ने प्रसिद्ध पेरियार आंदोलन चलाया था। यह आंदोलन नास्तिकता के प्रसार के लिए जाना जाता है। इसके बाद उन्होंने द्रविड़ कड़गम नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई थी। इसकी विभिन्न शाखाओं और डीएमके जैसी द्रविड़ियन पार्टियों के सदस्यों ने खुले तौर पर नास्तिकता का प्रसार और उसे स्वीकार किया। हालांकि, समय बीतने के साथ ही इसके कुछ मानने वालों ने धर्म और धार्मिक रीतियों का पालन शुरू कर दिया, जिसके खिलाफ पेरियार ने जीवन भर संघर्ष किया था।

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डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी

मूर्ति तोड़ने के इस सिलसिले में कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की एक मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की गई। इस दौरान मूर्ति के माथे वाले हिस्से को हथौड़ों से तोड़ने की कोशिश की गई है। इतना ही नहीं श्यामा प्रसाद मुखर्जी मूर्ति पर स्याही भी फेंकी गई। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 में कलकत्ता में हुआ था। इनको एक शिक्षाविद, बैरिस्टर और भारतीय राजनेता के तौर पर आज भी जाना जाता है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के पहले इंडस्ट्री एंड सप्लाई मंत्री बने थे। उन्होंने अपने जीवन में राष्ट्रीय एकता की स्थापना को ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाया था। इन्होंने एक निशान-एक विधान का नारा दिया था। भारतीय इतिहास में उनकी छवि कर्मठ, जुझारू और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति की थी। डॉक्टर मुखर्जी की मृत्यु 23 जून 1953 को कश्मीर में संदेहास्पद परिस्थिति में कारागार में हुई थी।

देश में मूर्ति‍ व‍िवाद: लेन‍िन,पेर‍ियार व श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की तोड़ी गई प्रत‍िमाएं,आखि‍र कौन हैं ये शख्‍ि‍सयतेंत्रिपुरा में बीजेपी की जीत के बाद जिन 'लेनिन' की गिराई गई मूर्ति, उनका शव आज भी यहां रखा है

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