बाप रे! इतना अनशन तो गांधी व अन्ना ने भी नहीं किया


Allahabad : क्लासेस नहीं चल रहीं आमरण अनशन की घोषणा, हास्टल नहीं मिल रहा आमरण अनशन की घोषणा, कोई कार्रवाई हो गई तो आमरण अनशन की घोषणाअरे भाई, आमरण अनशन न हुआ हलुवा पूड़ी हो गया। जिसे देखो वही या तो आमरण अनशन पर बैठ जा रहा है या फिर वार्निंग दे देकर आफिसर्स की नाक में दम किए हुए है। कुछ इसी अंदाज में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी कैम्पस में फ्राइडे को वोट मांगने पहुंचे छात्र नेताओं को स्टूडेंट्स ने झाड़ पिलाई कि उनकी बोलती ही बंद हो गई। छात्र यहीं नहीं रुके उन्होंने नेताओं से यहां तक पूछ डाला कि आमरण अनशन का मतलब समझते हैं नेता जीजिस तेजी से आप लोग अनशन करते हैंलगता है महात्मा गांधी और अन्ना हजारे भी पीछे छूट जाएंगे। इन दिनों कुछ ऐसे ही व्यंग्यात्मक, रोचक और चुभने वाले सवाल-जवाब का सामना करना पड़ रहा है उन छात्रनेताओं को जो स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन की बह रही बयार के बीच सफेद कुर्ते पायजामे में हर तरफ हाथ जोड़कर स्टूडेंट्स से वोट मांगते नजर आ रहे हैं. 

कितना पढ़े हैं नेता जी!

यह सीन दोपहर एक बजे छात्रसंघ भवन के समीप का है। जहां एक सीनियर छात्र जिन्हें इस बार इलेक्शन लडऩे का शौक चर्राया हुआ है। उन्हें उस समय झटका लगा, जब कुछ फ्रेशर्स उनके वोट मांगते ही तपाक से पूछ बैठे कि कितना पढ़े हैं नेता जीइसपर अभी तक सीनियारिटी का तमगा लिए घूम रहे नेता जी ने जूनियर्स को मरता क्या न करता की तर्ज पर जवाब तो दिया। लेकिन उनके जाते ही काफी देर तक भुनभुनाते रहे कि इस इलेक्शन के चलते न जाने और क्या-क्या सुनना पड़ेगा. 



Classes का मुद्दा कहां है

यह सीन कामर्स फैकल्टी में ढाई बजे का है। जहां बहुत मुश्किल से दिखे छात्रों के एक झुण्ड को पूरे आत्मविश्वास के साथ रोककर एक छात्रनेता ने अपना परिचय दिया और बोला कि अध्यक्ष पद के लिएजरूर दीजिएगा। इसपर स्टूडेंट्स भी नहीं चूके, पूछा आपका एजेंडा क्या-क्या है? इसपर नेता जी ने जैसे ही दनादन अपना एजेंडा गिनाना शुरू किया तो उन्हें बीच में टोकते हुए एक स्टूडेंट ने पूछा नेता जी यूनिवर्सिटी खुलने के बाद से क्लासेस नहीं चली हैं और आपके एजेंडे से यही गायब है। इस सवाल से चकराए नेता जी हां- हूं करते और अटकते हुए किसी तरह से अपना बचाव कर पाए। स्टूडेंट्स के जाने के बाद तो नेता जी का मुंह देखने लायक था।  

अभी तक कहां थे

यह सवाल हर एक स्टूडेंट की जुबां पर है। नेता जी वोट मांगने पहुंचे नहीं कि स्टूडेंट्स ने सवाल दाग दिया अभी तक कहां थे। कुछ न कुछ बोलना ही था तो बोले भीतब तक दूसरा सवाल उभरकर सामने आया सालभर किया क्याजवाब खत्म होता, इससे पहले तीसरा सवाल यूनियन से मिला क्या

नेतागिरी शुरू

एयू में बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं। जिन्होंने फस्र्ट ईयर में एडमिशन लेते ही कुर्ता पायजामा तो धारण कर लिया, मगर अब चुनावी मैदान में गुलाटी खाते नजर आ रहे हैं। मसलन, उन्हें स्टूडेंट्स के बीच उपहास का पात्र बनना पड़ रहा है कि एडमिशन हुआ नहीं कि नेतागिरी शुरू। ऐसे नेता अब सीनियर्स की शरण में जाकर नए-नए गुरुमंत्र लेने को मजबूर हैं।  

इन सवालों के जवाब मुश्किल

-सभी को हास्टल क्यों नहीं मिला
-लाइब्रेरी से किताबें क्यूं नहीं मिलतीं
-क्लासेस कब से चलेंगी
-गुंडागर्दी पर रोक कैसे लगेगी
-मेडिकल फैसिलिटी की हालत खराब क्यों
-यूनियन बदहाल क्यों
-लास्ट इलेक्शन के बाद से कहां थे
-अधिकतर नेताओं की एकेडमिक क्वालिफिकेशन खराब क्यों
-बेहतर रिकार्ड वाले क्यों नहीं लड़ते इलेक्शन
-टीचर्स क्यों नहीं लेते क्लास
-इलेक्शन को अपराधिकरण से कैसे रोकेंगे
-कैसे वापस चला गया यूनिवर्सिटी का 200 करोड़ रुपया 

कितना पढ़े हैं नेता जी!

यह सीन दोपहर एक बजे छात्रसंघ भवन के समीप का है। जहां एक सीनियर छात्र जिन्हें इस बार इलेक्शन लडऩे का शौक चर्राया हुआ है। उन्हें उस समय झटका लगा, जब कुछ फ्रेशर्स उनके वोट मांगते ही तपाक से पूछ बैठे कि कितना पढ़े हैं नेता जीइसपर अभी तक सीनियारिटी का तमगा लिए घूम रहे नेता जी ने जूनियर्स को मरता क्या न करता की तर्ज पर जवाब तो दिया। लेकिन उनके जाते ही काफी देर तक भुनभुनाते रहे कि इस इलेक्शन के चलते न जाने और क्या-क्या सुनना पड़ेगा. 

Classes का मुद्दा कहां है

यह सीन कामर्स फैकल्टी में ढाई बजे का है। जहां बहुत मुश्किल से दिखे छात्रों के एक झुण्ड को पूरे आत्मविश्वास के साथ रोककर एक छात्रनेता ने अपना परिचय दिया और बोला कि अध्यक्ष पद के लिएजरूर दीजिएगा। इसपर स्टूडेंट्स भी नहीं चूके, पूछा आपका एजेंडा क्या-क्या है? इसपर नेता जी ने जैसे ही दनादन अपना एजेंडा गिनाना शुरू किया तो उन्हें बीच में टोकते हुए एक स्टूडेंट ने पूछा नेता जी यूनिवर्सिटी खुलने के बाद से क्लासेस नहीं चली हैं और आपके एजेंडे से यही गायब है। इस सवाल से चकराए नेता जी हां- हूं करते और अटकते हुए किसी तरह से अपना बचाव कर पाए। स्टूडेंट्स के जाने के बाद तो नेता जी का मुंह देखने लायक था।  

अभी तक कहां थे

यह सवाल हर एक स्टूडेंट की जुबां पर है। नेता जी वोट मांगने पहुंचे नहीं कि स्टूडेंट्स ने सवाल दाग दिया अभी तक कहां थे। कुछ न कुछ बोलना ही था तो बोले भीतब तक दूसरा सवाल उभरकर सामने आया सालभर किया क्याजवाब खत्म होता, इससे पहले तीसरा सवाल यूनियन से मिला क्या

नेतागिरी शुरू

एयू में बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं। जिन्होंने फस्र्ट ईयर में एडमिशन लेते ही कुर्ता पायजामा तो धारण कर लिया, मगर अब चुनावी मैदान में गुलाटी खाते नजर आ रहे हैं। मसलन, उन्हें स्टूडेंट्स के बीच उपहास का पात्र बनना पड़ रहा है कि एडमिशन हुआ नहीं कि नेतागिरी शुरू। ऐसे नेता अब सीनियर्स की शरण में जाकर नए-नए गुरुमंत्र लेने को मजबूर हैं।  

इन सवालों के जवाब मुश्किल-सभी को हास्टल क्यों नहीं मिला

-लाइब्रेरी से किताबें क्यूं नहीं मिलतीं

-क्लासेस कब से चलेंगी

-गुंडागर्दी पर रोक कैसे लगेगी

-मेडिकल फैसिलिटी की हालत खराब क्यों

-यूनियन बदहाल क्यों

-लास्ट इलेक्शन के बाद से कहां थे

-अधिकतर नेताओं की एकेडमिक क्वालिफिकेशन खराब क्यों

-बेहतर रिकार्ड वाले क्यों नहीं लड़ते इलेक्शन

-टीचर्स क्यों नहीं लेते क्लास

-इलेक्शन को अपराधिकरण से कैसे रोकेंगे

-कैसे वापस चला गया यूनिवर्सिटी का 200 करोड़ रुपया