हॉस्टल का खराब खाना

ये कोई नई समस्या नहीं है। फिर भी स्टूडेंट्स की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, जिससे स्टूडेंट्स को आए दिन रूबरू होना पड़ता है। हॉस्टल की मेस में आए दिन खाने को लेकर हंगामें इस बात के सुबूत हैं अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है। ऐसा नहीं है यूनिवर्सिटी एडमिन इस बात से अंजान है। फिर भी सुधार के जरूरी प्रयास नहीं हुए हैं। स्टूडेंट्स को भरोसा है कि जो भी आएगा उनकी इस समस्या को खत्म करेगा।

बाहरी लड़कों की घुसपैठ

यूनिवर्सिटी में बाहरी लड़कों और असामाजिक तत्वों की घुसपैठ भी स्टूडेंट्स के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या है। कई बार मासूम स्टूडेंट्स को इनसे उलझने का सिला भी मिल चुका है। इसे रोकने के लिए एडमिन पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। स्टूडेंट्स को भरोसा है कि नई यूनियन इन लोगों को रोकने में कामयाबी हासिल करेगी।  

लंबी लाइनों से परेशानी

स्टूडेंट्स को भी काम हो। आई कार्ड या मार्कशीट लेनी हो या एडमिन से जुड़ा कोई भी काम हो स्टूडेंट्स को प्रशासनिक भवन में अपना काम कराने के लिए लंबी, लंबी लाइनों से होकर गुजरना पड़ता है, जिसके लिए अधिकतर स्टूडेंट्स को अपनी जरूरी क्लासेज भी मिस करनी पड़ती हैं। इसके बाद भी कई स्टूडेंट्स के काम नहीं हो पाते हैं।

लड़कियों की सुरक्षा

हाल ही में डीयू में लड़कियों के साथ हुई घटना ने गल्र्स सेफ्टी पर  सबसे बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अगर बात सीसीएसयू कैंपस की जाए तो सुरक्षा के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। सीसीएसयू की एमएससी स्टूडेंट अनुष्का शर्मा की मानें तो उन्हें कैंपस लड़कियों के लिए बिल्कुल भी सेफ नहीं लगता। मुमकिन है कि आने वाला यूनियन इस पर जरूर वर्क करे।

स्पोर्ट्स फैसेलिटी

अगर बात स्पोट्र्स की जाए तो हालात उतने अच्छे नहीं हैं। यहां टैलेंट की कोई कमी नहीं है। फिर भी सुविधाओं के अभाव में प्लेयर्स को खेलना पड़ रहा है। न तो उन्हें प्रॉपर डायट मिल रही है। न ही वो एटमॉस्फेयर, जिससे प्लेयर्स स्टेट ही नहीं देश का प्रतिनिधित्व कर सकें। ऐसे स्टूडेंट्स को भी उम्मीद है कि उनके बारे में भी नेता सोचेंगे।

गुंडागर्दी

यहां गैंगबाजी और गुंडागर्दी से सिर्फ लड़कियां ही नहीं लड़के और एडमिन भी परेशान है। फिर भी कोई भी इसका समाधान नहीं निकल सका है। ऐसे स्टूडेंट्स अधिकतर वो होते हैं जो डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जीते हुए पैनल से जुड़े होते हैं। उसका फायदा उठाकर स्टूडेंट्स को परेशान करते हैं। स्टूडेंट्स यही चाहते हैं कि ऐसे लोगों पर यूनियन लगाम लगाने में खुद पहल करे।

रैगिंग से परेशानी

रैगिंग खत्म करने के लिए एंटी रैगिंग प्रोग्राम शुरू हुआ था। कई  नियम और कानून बने थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। नए स्टूडेंट्स को आज भी इस समस्या से गुजरना पड़ रहा है। इससे परेशान होकर कई स्टूडेंट्स सुसाइड भी कर चुके हैं। स्टूडेंट्स चाहते हैं कि एंटी रैगिंग पर यूनियन के लोग काम करें। सख्ती से पालन कराने के प्रयास करें।

समस्याओं का समाधान न होना

कई स्टूडेंट्स का कहना है कि यूनियन के लोग स्टूडेंट्स की समस्याओं को नहीं सुनते हैं। या यूं कि उनकी बातों को सीरीयसली नहीं लेते हैं। कोई भी जीते स्टूडेंट्स की सुने और उनकी बातों को सीरीयसली लेते हुए उनका काम करें।  

रिजल्ट में देरी

यूनिवर्सिटी का रिजल्ट भी स्टूडेंट्स को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। रिजल्ट में देरी स्टूडेंट्स की जॉब और दूसरी यूनिवर्सिटी में एडमिशन की अपॉच्र्यूनिटी बेकार हो जाती है। ये भी स्टूडेंट यूनियन के लिए बड़ा टास्क होगा।

"मैं चाहता हूं कि नई यूनियन हॉस्टल के खाने को लेकर वर्क करे."

- प्रशांत सागर

"यूनियन को बाहरी लड़कों पर लगाम लगानी चाहिए। ताकि स्टूडेंट को प्रॉब्लम न हो."

- गोपाल सिंह

"लड़कियों की सुरक्षा पर जरूर काम होना चाहिए। ताकि लड़कियां निडर होकर कैंपस में घूम सकें."

- लक्ष्मी रघुवंशी