पुराने सिस्टम में कई खामियां
सरकार की तरफ से जो बिल पेश किया जाना है, उसका सीधा मकसद पुराने सिस्टम को खत्म करना है. अभी हाल के दिनों में न्यायपालिका में उठे करप्शन के मुद्दे और नियुक्ति को लेकर पुरानी कोलेजियम सिस्टम में खामियों के आरोप के बाद इस बिल पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. सरकार इस बिल को पास करा कर अदालतों में नियुक्ति के कोलेजियम सिस्टम को खत्म करने जा रही है. सूत्रों का कहना है कि इसके लिये 14 अगस्त को खत्म होने वाला संसद का सत्र भी बढ़ाया जा सकता है. गौरतलब है कि इस सत्र में सरकार कई अहम बिलों को पास कराने पर विचार कर रही है.
अब बनेगा NJAC
दरअसल सरकार चाहती है कि कोलेजियम सिस्टम के स्थान पर जजों की नियुक्ति के लिये नेशनल ज्यूडिशियल एप्वाइंटमेंट कमीशन (NJAC) बनाया जाये. इस बिल पर मंगलवार को भी लोकसभा में चर्चा हुई थी. पक्ष हो या विपक्ष सभी दलों ने इस व्यवस्था को बदलने में समर्थन किया है. हालांकि कुछ सांसदों ने विधेयक में थोड़े बहुत बदलाव की भी सलाह दी है इसके साथ ही कुछ ने हाईकोर्ट में नियुक्ति और ट्रांसफर के लिये अलग से राज्य न्यायिक आयोग बनाने का सुझाव दिया है.
1993 में कानून मंत्री करते थे नियुक्ति
आपको बता दें कि SC और HC के जजों की नियुक्ति अभी तक कोलेजियम सिस्टम से होती रही है. कोलेजियम में SC के जज होते हैं और वही SC और HC के जजों की नियुक्ति मिलकर करते हैं. जजों की नियुक्ति को लेकर अगर हम पुराने सिस्टम पर ध्यान दें तो 1993 से पहले SC के जजों की सलाह से कानून मंत्री नये जजों की नियुक्ति करते थे. 1993 के बाद SC और HC के जजों की नियुक्ति के लिसे कोलेजियम सिस्टम बना.
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