- निजी प्रतिष्ठान खुलने से हो रहा वोटरों के अधिकारों का हनन

- सूचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी

- पिछले निकाय चुनाव में खुले थे निजी प्रतिष्ठान

AGRA। मताधिकार के बढ़ते जनाधार को निजी प्रतिष्ठान काफी हद तक प्रभावित करते हैं, इसका खुलासा आरटीआई के तहत मांगी गई निकाय चुनाव के तहत सूचनाओं के आधार पर हुआ। सूचना मांगने वाले ने सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी से निजी प्रतिष्ठानों को लेकर सूचनाएं मांगी जिसमें स्पष्ट नहीं किया गया कि वोटिंग के दौरान निजी प्रतिष्ठान खुलने चाहिए अथवा नहीं लेकिन निजी प्रतिष्ठान खुलने के कारण वोटिंग परसेंट पर इसका असर पड़ता है।

कम हो जाती है वोटिंग

रविमोहन कौशिक ने ख्0क्ख् में हुए निकाय चुनाव में निजी प्रतिष्ठान खुलने पर आपत्ति जताते हुए आरटीआई के तहत इस पर जानकारी मांगी थी। सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी ने निजी प्रतिष्ठानों के बंद होने पर वहां के एसडीएम व प्रभारी चुनावआयुक्त के निर्देश का हवाला देते हुए पालन कराने की बात कही।

आजाद हो वोट का अधिकार

वोटिंग परसेंट बढ़ाने के लिए आवेदक की ओर से स्पष्ट कहा गया है कि वोटिंग का अधिकार पूरी तरह से स्वतंत्र होना चाहिए, निजी प्रतिष्ठानों पर काम करने वाले वर्कर अपने वोट डाल नहीं पाते हैं।

मॉल और सिनेमा हाल पर हो पाबंदी

अकसर लोग वोटिंग वाले दिन मॉल या सिनेमा हॉल में चले जाते हैं और छुट्टी का आनंद लेते हैं लेकिन जब ऐसे प्रतिष्ठान बंद रहेंगे तो वोटर की मजबूरी होगी कि वह वोट डाले, क्योंकि ख्0क्ख् के निकाय चुनाव में पेसिफिक मॉल के खुले होने की बात सामने आई थी साथ ही सबूत भी पेश किए गए थे।

'ऐसा कोई आदेश नहीं है जिसमें निजी प्रतिष्ठानों को बंद करने की बात कही गई हो, केवल मदिरा की दुकानों को छोड़कर किसी प्रतिष्ठान के बंद होने के आदेश नहीं दिए गए हैं। आवागमन किसी भी प्रकार बाधित नहीं होगा.'

प्रेमप्रकाश पाल, एडीएम सिटी