उम्मीद की जा रही है कि ये देश का ऐसा पहला चुनाव होगा जिसमें सत्ता की बागडोर लोकतांत्रिक प्रक्रिया के ज़रिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के हाथ में जाएगी. मौजूदा राष्ट्रपति हामिद करज़ई दो बार राष्ट्रपति बन चुके हैं और संवैधानिक बाध्यता की वजह से तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकते हैं.

तालिबान, चुनावों से पहले यहां-वहां हमले करके अपने इरादे ज़ाहिर कर चुका है. चुनाव के दौरान तालिबान के हमले रोकने के लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त करने का दावा किया गया है.

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता सादिक़ सिद्दीक़ी ने बीबीसी से कहा है कि सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षा का अहसास कराना चाहती है ताकि वे वोट डाल सकें.

सादिक़ सिद्दीक़ी का कहना है, ''बड़े पैमाने पर सुरक्षा के इंतज़ाम किए गए हैं. लोगों को हम भरोसा दिलाना चाहते हैं कि उन्हें तालिबान की धमकियों से डरने की ज़रूरत नहीं है. कितने लोग वोट डालते हैं, ये हमारे लिए बहुत मायने रखता है.''

लेकिन सुरक्षा के तमाम दावों के बीच लोगों के मन में तालिबान को लेकर ख़ौफ़ है.

हेलमंद प्रांत में रहने वाले अहमद ने बीबीसी को बताया, ''तालिबान ने धमकी दी है कि हमने वोट डाला तो वो हमारी उँगलियों को काट देंगे, हमें जान से मार देंगे. तालिबान कहता है कि अफ़ग़ानिस्तान की सरकार वैध नहीं है और इसके पीछे विदेशियों का हाथ है. मैं वोट तो देना चाहता हूं लेकिन इसके लिए अपनी जान का ख़तरा मोल नहीं ले सकता.''

मतदान की चाहत

तस्वीर का दूसरा पहलू ये भी है कि अफ़ग़ानिस्तान के ज़्यादातर लोग वोट डालना चाहते हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में मतदान शुरू

ऐसे ही एक मतदाता डॉक्टर ज़कीरा बरकज़ई का कहना है, ''मुझे लगता है कि वोट डालने वालों की जान जोखिम में तो होगी, लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि अफ़ग़ानिस्तान के लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की ख़ातिर चुनावी क़वायद का समर्थन कर रहे हैं. सर्वेक्षण बताते हैं कि देश के अधिकतर लोग चुनाव के विचार से सहमत हैं और अस्सी प्रतिशत मतदाता, मतदान करना चाहते हैं.''

"मुझे लगता है कि वोट डालने वालों की जान जोखिम में तो होगी, लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि अफ़ग़ानिस्तान के लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की ख़ातिर चुनावी क़वायद का समर्थन कर रहे हैं. सर्वेक्षण बताते हैं कि देश के अधिकतर लोग चुनाव के विचार से सहमत हैं और अस्सी प्रतिशत मतदाता, मतदान करना चाहते हैं."

-डॉक्टर ज़कीरा बरकज़ई

चु्नाव से एक दिन पहले ही पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में एक अफ़ग़ान पुलिस अधिकारी ने दो विदेशी महिला पत्रकारों को गोली मार दी थी जिनमें से एक दम तोड़ चुकी हैं. अफ़ग़ानिस्तान के गृह मंत्रालय ने इस घटना के बारे में बीबीसी को बताया कि ये दोनों पत्रकार, चुनाव आयोग के एक अधिकारी के साथ दौरे पर थीं.

वहीं अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हमले की इस घटना पर दुख जताया है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोश अर्नेस्ट का कहना है, ''राष्ट्रपति ओबामा का मानना है कि अफ़ग़ानिस्तान में चुनाव कवर करने पहुंचे पत्रकार वहां का घटनाक्रम दुनिया तक पहुंचाने के लिए अपनी जान हथेली पर रखकर चल रहे हैं.''

राष्ट्रपति पद के प्रमुख उम्मीदवारों की बात करें तो कुल आठ उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला अब्दुल्ला, ज़ालमई रसूल और पूर्व वित्त मंत्री अशरफ़ ग़नी अहमदज़ई भी शामिल हैं. अब्दुल्ला अब्दुल्ला, वर्ष 2009 में हुए चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति हामिद करज़ई के मुख्य प्रतिद्वदी थे. इस बार उन्हें राष्ट्रपति पद के प्रबल दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है.

राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को कुल मतदान के पचास फ़ीसद वोट हासिल करना ज़रूरी है. अगर ऐसा नहीं होता है तो सबसे अधिक वोट पाने वाले दो उम्मीदवार में से किसी एक को चुनने के लिए 28 मई को दूसरे दौर का मतदान कराया जाएगा.

पहले दौर के नतीजे मई के मध्य से पहले आने की उम्मीद नहीं है. इसलिए दूसरे दौर के मतदान के नतीजों में देरी होगी. ऐसे में अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण जुलाई तक ही हो पाएगा.

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