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LUCKNOW: यूपी विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित हुए यूपीकोका विधेयक को अभी केंद्र सरकार और राष्ट्रपति भवन की मंजूरी नहीं मिली है जिसका फायदा आतंकियों को हो रहा है। खासतौर पर आतंकियों के खिलाफ बनाए गये इस सख्त कानून को मंजूरी मिलने के बाद यूपी में उनकी पनाहगाह बनने का सिलसिला थम सकता है जो बीते दो सालों के दौरान सुरक्षा एजेंसियों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है।

दो बार करना पड़ा था पेश

योगी सरकार को यूपीकोका विधेयक को दोनों सदनों से पारित कराने के लिए भी इंतजार करना पड़ा था। पिछले साल दिसंबर में सपा द्वारा इस पर तमाम आपत्तियां किये जाने के बाद इसे मार्च में दोबारा विधान परिषद में पेश किया गया जहां यह पारित हो सका। इसके बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा गया जिन्होंने आईपीसी की कई धाराओं की वजह से इसे केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेज दिया। करीब आठ महीने बीतने के बाद भी अभी तक इसे मंजूरी नहीं मिल सकी है। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो अभी यह विधेयक गृह मंत्रालय में ही विचाराधीन है। इसके बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन भेजा जाना है। फिलहाल इस देरी की वजह से यूपी में न केवल आतंकी संगठनों बल्कि संगठित अपराधों पर भी ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इनमें तमाम भू-माफिया, नकल माफिया और जालसाजों के गिरोह भी शामिल है।

कुंभ से पहले अरेस्टिंग ने बढ़ाई मुश्किल

जनवरी से शुरू होने वाले कुंभ से पहले आईएसआईएस के नये मॉड््यूल के खुलासे ने सुरक्षा एजेंसियों की मुश्किलों को भी बढ़ा दिया है। एनआईए की नजरें प्रयागराज के साथ लखनऊ पर भी टिकी हैं क्योंकि आईएसआईएस ने पिछले तीन साल से लखनऊ को अपना टारगेट बना रखा है। इसकी शुरुआत तीन साल पहले इंदिरानगर से आईएसआईएस आतंकी अलीम की गिरफ्तारी से हुई थी जिसके बाद इमरान और रिजवान को कुशीनगर से दबोचा गया था। ध्यान रहे कि रिजवान आईएसआईएस का भारत में सेकंड कमांडर था। उसकी गिरफ्तारी के बाद मुंबई से ऑपरेट हो रहे इस मॉड्यूल का खुलासा हुआ जिसके बाद एनआईए ने पूरे देश से करीब तीन दर्जन आतंकियों को गिरफ्तार किया था।   

सोशल मीडिया पर ज्यादा सख्ती की जरूरत

हाल ही में यूपी एटीएस और एनआईए ने आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के नए मॉड्यूल हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम का राजफाश कर 10 संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार किए थे। इनका सरगना भी पश्चिम उप्र के अमरोहा से गिरफ्तार हुआ, जबकि उसका साथी हापुड़ से पकड़ा गया। इस नये मॉड़्यूल के राजफाश के बाद पूर्वी यूपी से टेरर फंडिंग का मामला सामने आया था। इससे यह भी साबित हो चुका है कि आतंकियों को यूपी में केवल पनाह ही नहीं, बल्कि खाद-पानी भी मिल रहा है। आईएसआईएस के खुरासान मॉड्यूल की गिरफ्तारी के बाद भी यह सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल आतंकी संगठन लगातार यूपी के युवाओं को अपना निशाना बना रहे है। सोशल मीडिया के जरिए युवाओं का ब्रेनवॉश करने का उनका पुराना तरीका कारगर साबित हो रहा है। केंद्र सरकार ने जेहादी साहित्य वाली तमाम वेबसाइट को बंद कराने में सफलता तो पाई है पर यह अभी नाकाफी है। इसी तरह यूपी एटीएस भी फेसबुक के तमाम संदिग्ध खातों को बंद करा चुकी है पर यह कवायद भी अभी आतंकियों का हौसला नहीं तोड़ सकी है।

आईएसआईएस के इस नये मॉड्यूल की गिरफ्तारी के बाद आतंकी संगठनों की सोशल मीडिया के जरिए युवाओं का ब्रेनवॉश करने की कोशिशों का फिर से खुलासा हुआ है। वे अभी तक फेसबुक, टेलीग्राफ, वाट्सएप के जरिए युवाओं से संपर्क साध रहे हैं। हजारों सोशल मीडिया एकाउंट बंद कराने के बाद भी वह लगातार दूसरे नामों से एकाउंट खोलकर एक्टिव हैं। सुरक्षा एजेंसियां लगातार ऐसे एकाउंट पर नजर बनाए हुए हैं।

- असीम अरुण, आईजी, एटीएस

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