- सावन का पहला सोमवार भी गया सूखा नहीं पड़ी एक भी बूंद पानी की, पब्लिक हुई बेहाल, जीना हुआ बेहाल

- मौसम वैज्ञानिक भी कुछ बता पाने में फेल, एक दो दिन में मौसम बदलने की उम्मीद

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: इन दिनों हर आंख सिर्फ बादलों की ओर टकटकी लगाए बैठी है। हर कोई सूरज की तल्खी देखकर यही सोच रहा है कि हे भगवान सावन शुरू हो गया है फिर भी इतनी गर्मी क्यों है। हर कोई बस इसी आस में है कि आज नहीं तो कल बूंदे पड़ेंगी और गर्मी से राहत मिलेगी। कुछ ऐसा हाल इन दिनों पूरे बनारस का हो रखा है। मुम्बई दिल्ली में रहने वाले लोग जब बनारस में किसी अपने को कॉल कर यहां के मौसम का हाल पूछ रहे तो शॉक्ड हो जा रहे हैं। वजह मानसून के मौसम में यहां पड़ रही गर्मी। चूंकि दिल्ली मुम्बई में बरसात लोगों को झूमकर भीगों रही है। इसलिए वहां रहने वाले लोग ये समझ नहीं पा रहे हैं कि बनारस में गर्मी क्यों पड़ रही है। वहीं बरसाती मौसम में पड़ रही इस भीषण गर्मी ने सबसे ज्यादा मुसीबत बढ़ाई है सावन में दर्शन पूजन करने आने वाले कांवरियों और डाक बम के लिए। हालांकि इस बारे में पूछे जाने पर मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी कुछ नहीं की सकते कि क्या कब होगा और इन्द्र बनारस को कब तर बतर करेंगे लेकिन उम्मीद है कि एक दो दिनों के अंदर मौसम करवट जरुर लेगा।

बहुत बुरा है हाल

मानसून को बनारस में आए काफी दिन हो चुके हैं लेकिन बादलों ने इस दौरान उस तरह से पानी नहीं गिराया है जिस तरह से बरसात होनी चाहिए। यही वजह है कि अब मानसून को लेकर कोई भी मौसम वैज्ञानिक कुछ बोलने से बच रहा है। वैसे मौसम विज्ञानी प्रो। बीआरडी गुप्ता बताते हैं कि मानसून कहीं फंस गया है। कहां फंसा है इसे लेकर तरह तरह की कयासबाजी चल रही है। हालांकि इसका मूल कारण है बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर का न बनना। चूंकि बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर के बनने के बाद ही मानसून पूर्व उत्तर प्रदेश को भिंगोता है। प्रो। एसएन पांडेय बताते हैं कि अगले कुछ दिनों में बंगाल की खाड़ी में बन रहे लो-प्रेशर के मजबूत के कारण मानसून के मजबूत होने की उम्मीद है। जैसे ही यह मजबूत होगा पूर्वी उत्तर प्रदेश में जमकर झमाझम होगा। लो-प्रेशर कब तक मजबूत होगा यह बता पाना किसी के वश में नहीं। उधर सावन के पहले सोमवार को आसमान पर बस बादलों की आवाजाही ही बनी रही। जिससे कुछ पल के लोगों को सूरज की तल्खी से राहत जरुर महसूस हुई।

उम्मीद पर दुनिया कायम है

भले ही मौसम अपने तीखे तेवर दिखाकर लोगों के पसीने छूटा रहा हो लेकिन मौसम वैज्ञानिक लोगों से बरखा की उम्मीद बनाये रखने की सलाह दे रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक प्रो। एसएन पांडेय के मुताबिक मौसम विज्ञान तो बारिश के सभी संकेत दे रहा है । बंगाल की खाड़ी में हवा के कम दबाव का क्षेत्र (लो-प्रेशर) बना है और हवा का पुरवा रुख यहां तक नमी भी ला रहा है। इसके बाद भी बादल पानी नहीं गिरा रहे। वैसे बादलों की गति और तेवर यह संकेत जरूर दे रहा है कि एक दो दिन में यहां झमाझम हो सकता है। फिलहाल हवा की गति यहां तक पहुंचे बादलों को आगे धकेल दे रही है। इस वजह से बादल बरस नहीं रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर अच्छी राहत भरी बारिश चाहिए तो ये जरुरी है कि हवा कमजोर पड़े।

तापमान स्थिर लेकिन गर्मी बम्पर

24 घंटे में अधिकतम तापमान तो 37 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रहा लेकिन न्यूनतम तापमान 3.5 डिग्री चढ़कर 25.1 से 28.6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। अधिकतम आ‌र्द्रता का स्तर 87 से 79 व न्यूनतम स्तर 45 से 49 फीसद पर पहुंच गया। जिस वजह से लोगों का पसीना निकलता दिखा।