सांसदों ने भाषणों में सेक्स शब्द का 23,722 बार इस्तेमाल किया है। इसका प्रयोग ज़्यादातर लिंग भेद करने के लिए हुआ है।

19वीं सदी के दौरान सेक्स शब्द से बने कुछ मुहावरों का कई बार प्रयोग किया गया।

ब्रिटेन की संसद में ईसाई या ईसाइयत शब्द का इस्तेमाल 45,902 बार हुआ है।

ब्रितानी संसद और 'युद्ध,सेक्स और धर्म'

19वीं सदी से ही वॉर यानी युद्ध शब्द का इस्तेमाल बार-बार हुआ है। इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल 1940 से 1949 के बीच हुआ।

इस दौरान एक लाख सत्तर हज़ार से भी ज़्यादा बार वॉर शब्द का इस्तेमाल हुआ है।

यह जानकारी मिली है एक वेबसाइट से जिसे ग्लासगो यूनिवर्सिटी ने तैयार किया है।

इस वेबसाइट पर 76 लाख भाषणों का संकलन है, जो 1803 से 2005 के बीच दिए गए हैं।

ब्रितानी संसद और 'युद्ध,सेक्स और धर्म'

इस वेबसाइट को तैयार करने वाले दल के प्रमुख डॉ. मार्क एलेक्ज़ेन्डर कहते हैं, "19वीं सदी में संसद का पसंदीदा शब्द स्वाधीनता और न्याय हुआ करता था, लेकिन अब जानवर और लोकतंत्र जैसे शब्दों का प्रयोग कई बार होता है।"

यह वेबसाइट बताती है कि बीते 200 साल में ब्रिटेन की संसद में 1.6 अरब शब्दों का इस्तेमाल हुआ है।

यहां यहूदी शब्द का इस्तेमाल 15,165 बार हुआ है। इस्लाम 5,291, हिन्दू 2,033 बार और सिख शब्द 1,192 बार बोला गया।

इसके अलावा इस वेबसाइट से यह भी पता किया जा सकता है कि ब्रिटेन की संसद में किस सांसद ने आख़िरी बार नीग्रो शब्द का प्रयोग किया था या किस नेता का सबसे पसंदीदा शब्द फ़ाइट यानि 'लड़ाई' था?

ब्रितानी संसद और 'युद्ध,सेक्स और धर्म'

या फिर कितनी बार सांसदों ने 'मैं कसम खाता हूं' बोला है?

यह शोध बताता है कि कुछ ख़ास शब्दों का इस्तेमाल ख़ास समय के दौरान हुआ है।

19वीं सदी में यहां जेम्स बॉन्ड शब्द को 132 बार, मिकी माउस 278 बार और ड्रैकुला को 66 बार बोला गया।

शोध से यह भी पता चला है कि हाउस ऑफ़ कॉमन्स और हाउस ऑफ़ लार्ड्स में बोली जाने वाली भाषा में साफ़ फ़र्क है। हाउस ऑफ़ कॉमन्स में आक्रामक शब्दों का इस्तेमाल ज़्यादा किया गया है।

ब्रितानी संसद और 'युद्ध,सेक्स और धर्म'

वेबसाइट के अनुसार 2005 तक के आंकड़ों के आधार पर विन्स्टन चर्चिल ने सबसे ज़्यादा 23,423 भाषण दिए हैं। उसके बाद ऑर्थर बॉल्फ़ोर ने 22,183 भाषण दिए हैं। जबकि मार्ग्रेट थैचर ने 18,699 भाषण दिए हैं।

सांसदों के ऊपर किया गया शोध बताता है कि वह अब ज़्यादा व्यक्तिगत भाषण देते हैं और उसमें अभद्र भाषा का इस्तेमाल भी ज़्यादा होता है।

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