- प्लस टू कॉमर्स की स्टूडेंट थी देवालिका

- सीए बनने का था सपना, सभी की थी लाडली

- बड़ी बहन को मानती थी अपना आदर्श

- बीटेक के बाद एमबीए कर रही हैं बड़ी बहन

Meerut : 'काकू' बहुत ही होशियार लड़की थी। हर काम फटाफट करती थी। घर में उसे लड़कों जैसी तवज्जो मिलती थी। वो घर की बेटी नहीं बेटा थी। डबडबाई आंखों से आंसू पूछते हुए देवालिका की चाची ने बातें की। उसके बाद गला ऐसा भरा कि वो अपने आप को रोक न सकी और अपनों के बीच पहुंच गई। गढ़ रोड स्थित मोती प्रयाग में मृतक देवालिका के घर में मातम के माहौल में इस बात का विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि हंसती-खेलती देवालिका अब उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही।

निकनेम था काकू

देवालिका का निकनेम काकू था। मेरठ कॉलेज में पढ़ाने वाले पिता एसोसिएट प्रोफेसर प्रदीप यादव और उसी कॉलेज की टीचर रूबी छोटी बेटी थी काकू। वैसे तो प्रदीप और रूबी दोनों बेटियों को खूब प्यार करते थे, लेकिन काकू से कुछ विशेष ही लगाव था। काकू यानी देवालिका भी अपने पेरेंट्स को बहू चाहती थी। यही कारण था घर में जब काकू की डेड बॉडी मिलने की बात पता चली तो किसी के आंसू नहीं रुके। मां रूबी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि काकू अब इस दुनिया में नहीं रही।

बेटी नहीं बेटे की तरह थी

काकू (देवालिका) अपने घर में लाडली होने के कारण बेटी नहीं बेटे की तरह परवरिश पा रही थी। अपने घर में वो एक तरह से टॉम ब्वॉय की तरह थी। वैसे ही कपड़े पहनती थी। माता पिता, ताऊ-ताई, चाचा-चाची बेटी नहीं बेटा ही समझते थे। वैसा ही वो बिहेव भी करती थी। हर काम में एक्टिव रहती थी। घर का काम हो या फिर बाहर का फटाफट कर दिया करती थी। सब ही उसे बहुत प्यार और दुलार करते थे।

सीए बनना चाहती थी

काकू पढ़ाई में भी काफी होशियार थी। टेंथ में भी उसने अच्छे ग्रेड पाए थे। लेकिन उसने कॉमर्स स्ट्रीम को चुना। परिजनों ने कारण बताते हुए कहा कि वो सीए बनना चाहती थी। अब वो एमपीएस मेन विंग में प्लस टू में थी। पढ़ाई पर जोर दे रही थी। कुछ दिन पहले स्कूल की प्रिंसीपल पद से रिटायर हुई अनिता त्रिपाठी ने बताया कि मैं देवालिका को काफी अच्छे से जानती थी। वो काफी वेल बिहेव और अनुशासन वाली लड़की थी। पढ़ाई में भी अक्सर आगे ही रहती थी।

बड़ी बहन को मानती आदर्श

काकू की बड़ी बहन देशू (निकनेम) सीबीएसई की टॉपर रह चुकी है। बीटेक करने के बाद एमबीए में एडमीशन लिया है। इसलिए काकू अपनी बड़ी बहन को अपना आदर्श मानती थी। पढ़ाई और करियर को लेकर थोड़ा भी कंफ्यूजन होता तो वो अपनी बहन से डिस्कस जरूर करती थी। परिजनों ने बताया कि दोनों ही बहनों में आपस में बड़ा लगाव था। दोनों ही दो जिस्म और एक जान की तरह थी।