- वन विभाग के मुख्यालय में बेकार खड़ी हैं दर्जनों सरकारी गाडि़यां

- प्राइवेट लग्जरी वाहनों से फर्राटा भर रहे हैं वन विभाग के अफसर

- प्राइवेट चालकों को दी जा रही है सरकारी वर्दी, सरकारी धन का जमकर हो रहा दुरुपयोग

DEHRADUN : लग्जरी गाडि़यों के शौकीन वन विभाग के अधिकारियों को विभाग की ओर से उपलब्ध करवाई जाने वाली गाडि़यां शायद अपनी शान के खिलाफ लग रही हैं। आलम यह है कि अफसर प्राइवेट लग्जरी गाडि़यों से फर्राटा भर रहे हैं और विभागीय गाडि़यां वन विभाग के मुख्यालय में धूल फांक रही हैं। कई गाडि़यां तो यहां खड़े-खड़े खराब हो गई हैं।

मुख्यालय में खड़ी हैं क्7 गाडि़यां

राजपुर रोड स्थित वन विभाग के मुख्यालय में वैसे तो दर्जनों गाडि़यां खड़ी हैं, लेकिन इनमें क्7 गाडि़यां ऐसी हैं, जो हाल के सालों में खरीदी गई हैं और पूरी तरह से ठीक-ठाक हालत में हैं। महीनों से खड़ी रहने के कारण इन गाडि़यों के खराब होने की संभावना भी बढ़ गई है। ये सभी अंबेसडर अथवा बोलेरो गाडि़यां हैं, जिन पर बैठने के लिए अधिकारी तैयार नहीं हैं।

न इस्तेमाल, न नीलामी

मुख्यालय में खड़ी इन गाडि़यों का न तो इस्तेमाल किया जा रहा है और न ही इनकी नीलामी की जा रही है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि ये वे गाडि़यां हैं, जिन्हें अभी नीलाम करना संभव नहीं है, क्योंकि इन्हें खरीदे अभी बहुत कम समय हुआ है। साफ है कि लग्जरी गाडि़यों से चलने के शौकीन अफसर इन्हें इस्तेमाल ही नहीं करना चाहते।

हर साल क्भ्0 गाडि़यां

वन विभाग में हर साल क्भ्0 से ज्यादा नई गाडि़यां खरीदी जाती हैं। इनमें मुख्यालय और विभिन्न प्रभागों में इस्तेमाल की जाने वाली सभी तरह की गाडि़यां शामिल हैं। आमतौर पर हर अधिकारी के पास कम से कम दो गाडि़यां होती हैं। इनमें एक गाड़ी शहर अथवा रिहायशी क्षेत्र में चलने के लिए होती है, जो आमतौर पर अंबेसडर होती है, लेकिन जंगलों में भ्रमण के लिए सफारी गाड़ी दी जाती है।

निजी ड्राइवर्स को सरकारी वर्दी

वन विभाग के अधिकारियों द्वारा आउटसोर्स पर निजी गाडि़यां चलाने के लिए हायर किये गये ड्राइवरों को भी सरकारी वर्दी पहनाई जा रही है। इस बात पर वन विभाग चालक संघ ने सख्त नाराजगी जताई है। संघ के महासचिव रवि मोहन जोशी का कहना है कि आउटसोर्स वाले ड्राइवरों को कुछ अलग तरह की वर्दी दी जानी चाहिए, लेकिन अधिकारी विभाग के ड्राइवरों के लिए निर्धारित वर्दी उन्हें दे रहे हैं। इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट और चालक संघ के माध्यम से मेरे संज्ञान में मामला आया है। जंगलों को फैली अरबों की संपत्ति का सवाल है, इसलिए कई बार डीएफओ को प्राइवेट गाड़ी इस्तेमाल करने की इजाजत होती है, लेकिन यदि कोई बिना कारण प्राइवेट गाड़ी इस्तेमाल कर रहा तो इसकी जांच कराई जाएगी।

-राजेन्द्र कुमार महाजन, प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखंड