- कूड़ा निस्तारण के नाम पर लगा दी जाती है आग

- फाइलों में ही हाईटेक रही सॉलिड वेस्ट मेनेंजमेंट की व्यवस्था

आगरा. स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में ताजनगरी को टॉप टेन में शामिल होने का सपना, सपना ही बनकर रह गया. कहां तो शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले डलाबघरों को हटाया जाना था, लेकिन अभी तक न तो कूड़े के डंप को रोका गया है और न ही डलाबघरों को हटाया जा सका है. शहर की सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट व्यवस्था केवल फाइलों में ही हाइटेक रही, जमीन स्तर पर कुछ नहीं किया गया. शहर में कूड़े के डलाबघरों की तफ्तीश करती ये रिपोर्ट..

डलाबघरों में इकट्ठा किया जा रहा कूड़ा

अभी भी शहर में दर्जनों स्थानों पर डलाबघर बने हुए हैं. कहीं-कहीं तो सड़क और खाली प्लॉटों को ही डलाबघर बना दिया गया है. निगम सफाई कर्मियों द्वारा यहीं पर कूड़ा फेंका जा रहा है. इसमें गांधी नगर, कमला नगर, एमजी रोड, सुभाष पार्क चौराहे के पास समेत कई स्थानों पर डलाबघर बने हुए हैं. नगर निगम के अफसरों द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 अभियान से पहले इनको हटाया जाना था, लेकिन ये हट नहीं सके. हालांकि निगम के अफसरों का दावा है कि ताजगंज, लोहामंडी, शाहगंज क्षेत्र से डलाबघर हटा दिए गए हैं. बड़ी तेजी के साथ अन्य को भी हटाया जा रहा है.

नहीं हो सके कवर

शहर में डलाबघरों को टिन शेड से कवर किया जाना था, इनमें कांपेक्टर से लाए गए कूड़े को कांपेक्ट कर देने का दावा था, अभी तक ये व्यवस्था फाइलों तक ही सीमित है. बता दें कि शहर में तकरीबन 150 डलाबघर हैं. कुछ को अंडरग्राउंड किए जाने का दावा है. बता दें कि डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन कर डलाबघरों से कूड़ा कलैक्ट कर कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर पहुंचाया जाता है.

आग के हवाले किया जाता है कूड़ा

शहर में कूड़ा निस्तारण के नाम पर सफाईकर्मियों द्वारा उसको आग के हवाले कर दिया जाता है. टीटीजेड (ताज ट्रिपेजियम जोनन) में कूड़ा जलाने पर जुर्माने का प्रावधान है. इसमें नगर निगम द्वारा जोन वार टीमें गठित कर एक हजार जुर्माने का प्रावधान किया गया था, लेकिन कार्रवाई के नाम सिर्फ औपचारिकताएं ही निभाई गई.