रामनवमी 2017: आज भी मौजूद हैं इन तीन देशों में भगवान श्रीराम की 11 निशानियां

अयोध्या
भारत के उत्तरप्रदेश में फैजाबाद शहर के निकट आज भी अयोध्या नगर मौजूद है। इस स्थान को श्रीराम का जन्मस्थान कहा जाता है। यहां आज भी उनके जन्म और शैशव काल के कई प्रमाण मिलते हैं। आजकल भले ही राम जन्म भूमि विवाद चल रहा हो पर ये तो सब मानते हैं कि इस स्थान पर राम नाम के राजा का जन्म हुआ था।

रामनवमी 2017: आज भी मौजूद हैं इन तीन देशों में भगवान श्रीराम की 11 निशानियां

जनकपुर
भारत नेपाल बॉर्डर से करीब 20 किलोमीटर आगे नेपाल के काठमाण्डु के दक्षिण पूर्व में जनकपुर नाम का स्थान मौजूद है। यहां पर राम की पत्नी सीता के जनम से जुड़े कई प्रमाण मिलते हैं। हर साल रामनवमी से पहले यहां सैंकड़ो हजारों श्रद्धालु इकठ्ठे होते हैं और विवाह पंचमी का उत्सव मनाते हैं। उनकी मान्यता है कि इसी दिन इस स्थान पर श्री राम और सीता का विवाह हुआ था।

रामनवमी 2017: आज भी मौजूद हैं इन तीन देशों में भगवान श्रीराम की 11 निशानियां

प्रयाग
भारत का ये स्थान अब इलाहबाद के नाम से प्रसिद्ध है। कहते हैं कि इसी स्थान से आगे बढ़ते हुए श्री राम ने अपनी वन यात्रा प्रारंभ की थी और आज भी यहां ऋषि भारद्वाज के आश्रम के चिन्ह मिलते हैं। जिनसे आर्शिवाद और ज्ञान प्राप्त करके राम लक्ष्मण और सीता आगे बढ़े थे।

रामनवमी 2017: आज भी मौजूद हैं इन तीन देशों में भगवान श्रीराम की 11 निशानियां

चित्रकूट
चित्रकूट मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बीच स्थित है। ये वही स्थान है जहां वन के निकल चुके श्री राम से मिलने भरत जी आये थे। तब उन्होंने राम को राजा दशरथ के देहांत की सूचना दी थी और उनसे घर लौटने का अनुरोध किया था। आज भी इस स्थन पर राम के ठहरने का स्थान, भरत से मिलने के स्थान और माता सीता की रसोई के अवशेष मौजूद हैं।
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दण्डकारण्य
यहीं पर श्री राम ने रावण की बहन शूर्पनखा के प्रेम प्रस्ताव को ठुकराया था और लक्ष्मण ने उसके नाक कान काटे थे। इसके बाद ही राम रावण युद्ध की नींव पड़ी थी। ओडिसा, आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच फैले विशाल हरे भरे इस क्षेत्र में आज भी राम के निवास के चिन्ह मिलते हैं और यहां पर आ कर असीम शांति और ईश्वर की उपस्थिति का आभास होता है।

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पंचवटी
दण्डकारण्य का ही हिस्सा है पंचवटी जिसका आधुनिक नाम है नासिक। इसी स्थान पर सीता ने स्वर्ण मृग देखा था और राम से उसे लाने का अनुरोध किया था। इसके बाद यहीं सीता का हरण हुआ था। आज भी यहां पर सीता गुफा नाम का स्थान मौजूद है और राम के निवास के प्रमाण मिलते हैं।

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किष्किंधा
सु्ग्रीव और बालि का वानर राज्य यहीं था। यहीं सीता को खोजते हुए राम की भेंट हनुमान से हुई थी और यहीं बालि का वध हुआ था। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित इस स्थान पर पुराने वानर राज्य के बड़े स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं जो ये साबित करते हैं कि रामायण में वर्णित तथ्य कोरी कल्पना नहीं थे। ये स्थान कर्नाटक के हम्पी में मौजूद है और इसे वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित कर दिया गया है।
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ऋष्यमूक पर्वत
ऋष्यमूक पर्वत के बिलकुल पास अंजनेय पहाड़ियां हैं जो हनुमान की माता अंजनी के नाम से जुड़ी हुई हैं। ये इस बात का निश्चित प्रमाण है कि राम भक्त हनुमान का जन्म यहीं हुआ था। अगर हुनमान थे तो उनके प्रभू श्री राम का अस्तित्व तो अपने आप ही प्रमाणित हो जाता है।

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रामेश्वरम
भारत के दक्षिण में स्थित रामेश्वरम वही स्थान है जहां से श्री लंका जाने के लिए प्रभु श्री राम ने समुद्र से प्रार्थना की थी और फिर राम सेतु का र्निमाण किया था आज भी इस प्राचीन सेतु के चिन्ह यहां मिलते हैं।

रामनवमी 2017: आज भी मौजूद हैं इन तीन देशों में भगवान श्रीराम की 11 निशानियां

अशोक वाटिका
श्री लंका में नुवरा एलिया शहर का हॉकगाला बॉटेनिकल गॉर्डन वही स्थान है जहां लंकाधिपति रावण की अशोक वाटिका थी। इसी वाटिका में सीता के अपहरण के बाद उन्हें रखा गया था।
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तालीमन्नार
श्री लंका पहुंच कर पहली बार जहां श्री राम ने अपना खेमा स्थापित किया था तालीमन्नार वही जगह है। लंका में रावण से युद्ध करने से लेकर विजय प्राप्ति तक श्री राम यही रहे थे। यही पर सीता की अग्नि परीक्षा हुई थी। यही पर रामेश्वरम से आकर राम सेतु के जुड़ने के चिन्ह भी मिलते हैं। ये स्थान श्री लंका के मन्नार आइसलैंड पर स्थित है।

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