- भदैनी पम्पिंग स्टेशन पर लगा डेटा लागर सेंसर खराब

- जलकल के लिए पानी की क्वालिटी तय कर पाना कठिन

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भदैनी वाटर पम्पिंग स्टेशन पर लगा डेटा लागर सेंसर काफी दिनों से खराब है। इससे जलकल गंगा की वाटर क्वालिटी चेक नहीं कर पा रहा है। पानी साफ है या गंदा। यह फिलहाल जलकल के अफसरों को भी नहीं पता है। साथ ही केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को डेली भेजी जाने वाली रिपोर्ट भी नहीं जा रही है।

दो तरह से क्वालिटी चेकिंग

दरअसल, जलकल दो तरह से वाटर क्वालिटी चेकिंग करवाता है। पहली, भदैनी पम्पिंग स्टेशन पर लगे डेटा लागर सेंसर के माध्यम से गंगा के पानी की जांच होती है। इससे सप्लाई होने वाले पानी की गुणवत्ता की जानकारी रहती है। इसकी डेली रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी जाती है। रिपोर्ट की सत्यता जानने के लिए बोर्ड अपने हाईटेक लैब में फिर से जांच करवाता है। दूसरी ओर जलकल, हेल्थ डिपार्टमेंट और नगर निगम की संयुक्त टीमें मोहल्लावाइज पानी का ओटी टेस्ट करती हैं। इसमें अगर निगेटिव रिपोर्ट आती है तो जलकल गड़बड़ी दूर कर शुद्ध व साफ पानी उपलब्ध कराने का प्रयास करता है।

निजी कम्पनी के सहारे व्यवस्था

भदैनी पम्पिंग स्टेशन पर लगे डेटा लागर सेंसर के संचालन का काम एक निजी कम्पनी को दिया गया है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अफसरों के मुताबिक कुछ समय से कम्पनी काम नहीं कर रही है। जिससे लागर को ठीक नहीं कराया जा रहा है। हालांकि प्रॉब्लम को देखते हुए लागर को ठीक कराने की जिम्मेदारी जलकल की भी बनती है। जिससे वाटर क्वालिटी की रुटीन जांच होती रहे।

पुरानी कहानी, कैसे दें साफ पानी?

जलकल विभाग के अफसर शहर को शुद्ध पानी मुहैया कराने का दावा जरूर करते हैं, लेकिन करीब 35 मोहल्लों में वाटर क्वालिटी ठीक नहीं है। डेली होने वाले ओटी टेस्ट में यह बात सामने आई है। इसपर अफसर गड़बड़ी दूर करने की बजाय पुरानी व जर्जर पाइपलाइन, पाइपों में लीकेज, डैमेज सीवरलाइन का पानी पाइप में जाने जैसे तमाम बहाने बनाकर प्रॉब्लम से पल्ला झाड़ लेते हैं।

अनुमान से पानी हो रहा शोधित

भेलूपुर स्थित वाटर रिजरवॉयर (मिनी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) में लगी आधा दर्जन मशीनें पानी की गंदगी के हिसाब से उसे साफ करती हैं। जिससे आधे से ज्यादा शहर को यहां से वाटर सप्लाई की जाती है। डेटा लागर सेंसर से क्वालिटी का पता नहीं चलने से जलकल अफसर अपने हिसाब से पानी को शोधित कर सप्लाई कर रहे हैं।

इतने इंतजाम, फिर सिस्टम क्यों नाकाम

- 311 एमएलडी डेली वाटर सप्लाई

- 115 एमएलडी गंगा से आपूर्ति

- 196 एमएलडी अन्य संसाधनों से आता है पानी

- 269 छोटे-बड़े ट्यूबवेल सिटी में

- 23 ओवरहेड टैंक करते हैं आपूर्ति

- 1500 किमी शहर में पाइपलाइन

डेटा लागर खराब होने से डेली रिपोर्ट नहीं भेजी जा रही है। विभाग वाटर क्वालिटी पर नजर रखे हुए है। लागर को बदलवाने का प्रयास कर रहा है।

रघुवेन्द्र कुमार, सचिव, जलकल

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